यूक्रेन में फंसे बच्चों के नाम पर PM कर रहे चुनावी प्रचार, वरुण गांधी बोले- हर आपदा में ‘अवसर’ नहीं खोजना चाहिए

यूक्रेन-रूस विवाद मानवीय संकट के रूप में सबके सामने है। 24 फ़रवरी के दिन रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। इसके बाद से अभी भी रूस यूक्रेन पर चौतरफ़ा हमला कर रहा है। इस बीच हज़ारों भारतीय छात्र भी यूक्रेन के युद्धग्रस्त क्षेत्र में फंसे हुए हैं। 15 फ़रवरी के दिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन में रहने वाले भारतीयों को यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी थी। लेकिन इस बीच किसी भी तरह की व्यवस्था भारत सरकार द्वारा नहीं की गई थी जिससे यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र भारत आ सकते।
22 फ़रवरी के दिन भारत द्वारा पहली एयर इंडिया फ़्लाइट भेजी गई, जिसमें बमुश्किल 250 यात्री आ पाए। अगली फ़्लाइट 24 फ़रवरी के दिन की थी लेकिन उसी सुबह युद्ध शुरू हो जाने के कारण एयर इंडिया के जहाज़ को वापस आना पड़ गया था।
इस तरह युद्ध की आशंकाओं के बाद भी भारत सरकार केवल एक जहाज़ यूक्रेन भेज सकी। लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद जिस तरह से चौतरफ़ा हाहाकर मची, यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की तस्वीरें आने लगीं, उसके बाद सरकार की नींद खुली।
इस आपदा में गंभीरता दिखाने की बजाय सरकार ने अपनी लापरवाही पर पर्दे डालना शुरू कर दिया। सिर्फ़ पर्दे ही नहीं मारे बल्कि उन पर्दों पर लाल-पीली झालर लगाकर उसे खूबसूरत दिखाने की कोशिश की। फिर कथित रेस्क्यू अभियान चलाए गए, यूक्रेन के आसपास की सीमवर्ती देशों से भारतीय छात्रों को लाया गया। केंद्र सरकार के मंत्रियों ने उनके साथ तस्वीरें डालीं। और इस कथित बहादुरी के लिए अपने “सुप्रीम लीडर” की स्तुति शुरू कर दी।
सुप्रीम लीडर ने भी इन कुछ सौ लोगों को आसपास के देशों से भारत लाकर अपनी पीठ खुद अपने ही हाथों से थपकाकर चुनावी राज्यों में वोट माँगना शुरू कर दिया। ये ऐसी राजनीतिक अश्लीलता थी जिस पर बार बार शर्म आती है लेकिन अब अचरज नहीं होता।
सरकारी तौर पर ही अभी करीब एक हज़ार लोगों को ही भारत लाया जा सका है। रविवार को विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि भारत ने यूक्रेन से अपने करीब 2,000 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है और उनमें से 1,000 लोगों को हंगरी और रोमानिया के रास्ते चार्टर्ड विमानों से घर लाया जा चुका है।
नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया है कि लगभग 13,000 भारतीय अभी भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं और सरकार उन्हें जल्द से जल्द वापस लाने का प्रयास कर रही है।
उधर, यूक्रेन की राजधानी कीव समेत अन्य युद्ध प्रभावित शहरों में फंसे हुए भारत के हज़ारों छात्र कह रहे हैं कि भारत सरकार से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है, मदद तो दूर भारतीय दूतावास के अधिकारी उनके फ़ोन तक नहीं उठा रहे हैं। ऐसी ही एक छात्रा का एक वीडियो सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने शेयर किया है। जिस पर गंभीरता दिखाने की बजाय अब राजनीति शुरू हो गई है।
इस वीडियो में छात्रा कह रही है- “इंडियन एंबेसी में हम कॉल लगातार कॉल कर रहे हैं, मैं आपको इनका नाम भी बताती हूँ इन अधिकारी का नाम है विक्रम कुमार, वे लगातार अपने फ़ोन काट रहे हैं। जबकि हमने इन्हें रोमानिया बॉर्डर (यूक्रेन सीमा से लगा हुआ देश) की वीडियो भेजी हैं। जहां पर लड़कियों (भारतीय) को बेरहमी से मारा जा रहा है। और इन्होंने अभी दोपहर को ही हमें बोला है कि कीव (यूक्रेन की राजधानी) के बच्चों को जितने भी निकल पा रहे हैं, ट्रेन से निकल जाएँ बॉर्डर पर। इस हालात में हम लोगों को गाइडेन्स देने की बजाय ये लोग हमारे कॉल्स को कट कर रहे हैं। और वे हमें पूरी तरह से इग्नोर कर रहे हैं। सारे देश के लोगों ने अपने बच्चों को निकाल लिया है। लेकिन भारत सरकार हमारे लिए एकदम कुछ नहीं कर रही है। वो कह रहे हैं कि सरकार बॉर्डर से बच्चों को निकाल रही है। लेकिन बॉर्डर यहाँ से 800 किलोमीटर दूर है यहाँ से। आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि ऐसी स्थिति में हम लोग बॉर्डर पहुँच सकते हैं। आप जितने भी लोग भारतीय मीडिया की खबरों को देख रहे हैं आप प्लीज़ उनकी खबरों पर बिल्कुल भी विश्वास मत करिए। भारत सरकार हमारी कोई मदद नहीं कर रही है। आप लोग प्रोटेस्ट करिए, सरकार पर दबाव डालिए। तभी हम कोई बीस हज़ार लोग जो यहाँ फंसे हुए हैं वो यहाँ से निकल पाएँगे। जय हिंद”
इस छात्रा की अपील और स्थिति को देखते हुए वरुण गांधी ने ये वीडियो अपने ट्विटर एकाउंट पर शेयर की है। और लिखा है- “सही समय पर सही फैसले न लिए जाने के कारण 15 हजार से अधिक छात्र भारी अव्यवस्था के बीच अभी भी युद्धभूमि में फंसे हुए है।
ठोस रणनीतिक और कूटनीतिक कार्यवाही कर इनकी सुरक्षित वापसी इन पर कोई उपकार नहीं बल्कि हमारा दायित्व है।
हर आपदा में ‘अवसर’ नही खोजना चाहिए।”
सही समय पर सही फैसले न लिए जाने के कारण 15 हजार से अधिक छात्र भारी अव्यवस्था के बीच अभी भी युद्धभूमि में फंसे हुए है।
ठोस रणनीतिक और कूटनैतिक कार्यवाही कर इनकी सुरक्षित वापसी इन पर कोई उपकार नहीं बल्कि हमारा दायित्व है।
हर आपदा में ‘अवसर’ नही खोजना चाहिए। pic.twitter.com/6GIhJpmcDF
— Varun Gandhi (@varungandhi80) February 28, 2022
वरुण गांधी उसी पार्टी के सांसद हैं जिसकी अभी देश में सरकार है। उनकी बात को गंभीरता से लेने की बजाय सरकार से पहले सरकार समर्थक पत्रकारों ने उनपर हमला बोलना शुरू कर दिया है। टीवी एंकर रुबिका लियाक़त ने उल्टे वरुण गांधी पर ही सवाल करते हुए कहा है- “हर आपदा में अवसर नहीं खोजना चाहिए वरूण जी”
हर आपदा में अवसर नहीं खोजना चाहिए वरूण जी https://t.co/laM6VhmSQv
— Rubika Liyaquat (@RubikaLiyaquat) February 28, 2022
हालाँकि इस एंकर के इस असंवेदनशील ट्वीट पर नागरिक-समाज के लोगों की भी प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई हैं। ‘कश्मीरनामा’ और ‘उसने गांधी को क्यों मारा’ जैसी अपनी किताबों के लिए मशहूर लेखक अशोक कुमार पांडेय ने रुबिका लियाक़त के इस ट्वीट पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है- “यह इस सदी की सबसे अद्भुत कहानी है। जहाँ सत्तारूढ़ पार्टी का सांसद सरकार से सवाल कर रहा है और एक पत्रकार को इससे दुख पहुँच रहा है।”
यह इस सदी की सबसे अद्भुत कहानी है।
जहाँ सत्तारूढ़ पार्टी का सांसद सरकार से सवाल कर रहा है
और
एक पत्रकार को इससे दुख पहुँच रहा है। pic.twitter.com/5bYQdI90MF
— Ashok Kumar Pandey अशोक اشوک (@Ashok_Kashmir) February 28, 2022
वहीं हिंदी के जाने-माने पत्रकार विनोद कापड़ी ने रुबिका लियाक़त को पत्रकार कहे जाने पर आपत्ति करते हुए लिखा है- “सुधार करें। पत्रकार तो क़तई नहीं, शर्मनाक पैरोकार।”
सुधार करें।पत्रकार तो क़तई नहीं , शर्मनाक पैरोकार।
— Vinod Kapri (@vinodkapri) February 28, 2022
बहरहाल यूक्रेन के अंदर भारत सरकार की कोई मदद नहीं पहुँची है, लेकिन पौलेंड और रोमानिया जैसे सीमवर्ती देशों में पहुँच सके भारतीयों को भारत लाया जा रहा है। अपनी इस लापरवाही या कहें कि नाकामी को भी भाजपा सरकार अपने विशेष स्किल से प्रचार करने में इस्तेमाल कर रही है। अभी भी युद्धग्रस्त यूक्रेन में हज़ारों भारतीय अपनी जान बचाने के लिए सरकार से उम्मीद लगाए हुए हैं।
यूक्रेन में भारत सरकार के दूतावास ने भारतीय छात्रों को संबोधित करते हुए कहा है- “कीव में वीकेंड कर्फ़्यू हटा लिया गया है। सभी छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे डेल्व के माध्यम से पश्चिमी सीमाओं पर पहुँच जाएँ। यूक्रेन सरकार रेस्क्यू के लिए स्पेशल ट्रेन चला रही है।”
इस बीच पौलेंड-यूक्रेन सीमा की एक वीडियो भी वायरल हो रही है जिसमें भारतीय छात्रों, ख़ासकर लड़कियों को बेरहमी से पीटा जा रहा है। इस वायरल वीडियो को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी शेयर किया है। उन्होंने सरकार से ये भी कहा है कि हम अपने लोगों को अकेले नहीं छोड़ सकते, सरकार को जल्द से ही बड़ा रेस्क्यू अभियान चलाना चाहिए। आप इस वीडियो को यहाँ भी देख सकते हैं-
My heart goes out to the Indian students suffering such violence and their family watching these videos. No parent should go through this.
GOI must urgently share the detailed evacuation plan with those stranded as well as their families.
We can’t abandon our own people. pic.twitter.com/MVzOPWIm8D
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 28, 2022
वहीं रोमानिया बॉर्डर से सम्बंधित एक वीडियो भी शेयर की जा रही है। जिसे शेयर करते हुए वक़ार आलम खान ने लिखा है- रोमानिया स्थित भारतीय दूतावास से कोई मदद नहीं मिल रही है। वे बहुत ही ग़ैर-ज़िम्मेदार हैं। कृपया भारत सरकार तक हमारी आवाज़ पहुँचाने में मदद करें। छात्रों को यहाँ के ऑफ़िसर्स द्वारा पीटा जा रहा है।”
आप इस वीडियो को यहाँ भी देख सकते हैं-
@ndtvfeed pls help them to raise their voice. There's no member of the @eoiromania on the Ukraine-Romania border. They're being too irresponsible. Pls help in reaching out to the Indian Govt. The students were also beaten by the officers there. pic.twitter.com/RgQsaokts1
— Waqquar Alam Khan (@m_waqq_r) February 27, 2022
इंडिया अहेड न्यूज़ चैनल की कंट्रिब्यूटिंग एडिटर और पत्रकार स्मिता शर्मा ने एक रोमानिया-यूक्रेन बॉर्डर की एक वीडियो (जिसमें बर्फ़बारी में फंसे छात्रों को देखा जा सकता है) शेयर करते हुए लिखा है- यूक्रेन-रोमानिया बॉर्डर पर फंसे 100 से अधिक छात्रों को कोई हेल्प नहीं पहुँची है। जबकि उन्हें घंटों बॉर्डर पर ही हो गए। उनसे पैसों के लिए कहा जा रहा है, पीटा जा रहा है, वे बर्फ़बारी के बीच रात में खड़े हुए हैं। भारतीय दूतावास को तरफ़ से कोई भी मदद नहीं की जा रही है। आप इस वीडियो को यहाँ भी देख सकते हैं-
No help has reached these 100s of students stuck at #Ukraine #Romania border even after hours.Being asked for money,beaten up & stood in snowfall through the night. No Indian emb officials to help them yet @IndiainUkraine @opganga @DrSJaishankar @PMOIndia @ZelenskyyUa @eoiromania pic.twitter.com/Np40Jw9RU1
— Smita Sharma (@Smita_Sharma) February 28, 2022
वहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी नाकामी को ही प्रचार के रूप में पेश करने से बाज नहीं आ रहे। कोरोना महामारी में ऑक्सीजन का संकट हो, या लॉकडाउन में प्रवासी मज़दूरों का संकट हो, प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया आपदा को अपने प्रचार के “अवसर” में बदलने की रही है। यूपी के वाराणसी में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए वे इसमें भी क्रेडिट ले रहे हैं। प्रधानमंत्री दावा करते हुए कह रहे हैं- हमने अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है।'ऑपरेशन गंगा' चलाकर हम यूक्रेन से भी हजारों भारतीयों को वापस ला रहे हैं।
...हमने अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है।
'ऑपरेशन गंगा' चलाकर हम यूक्रेन से भी हजारों भारतीयों को वापस ला रहे हैं।
- आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी pic.twitter.com/Kl293YAnh3
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) February 27, 2022
यूपी के बस्ती में भी रविवार को चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यही कहा कि सरकार यूक्रेन में फंसे सभी भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए दिन-रात काम कर रही है। उन्होंने दुनिया भर में मौजूदा संकट का जिक्र किया और देश को ‘‘आत्मनिर्भर’’ बनाकर मजबूत करने की वकालत की।
अब वे एक राज्य के विधानसभा चुनाव में अंतर्राष्ट्रीय स्थितियों का हवाला देकर देश के नाम पर वोट मांग रहे हैं।
कुल मिलाकर एक तरफ़ प्रधानमंत्री हज़ारों बच्चों को रेस्क्यू करने का दावा कर रहे हैं। दूसरी तरफ़ हज़ारों बच्चे यूक्रेन में फंसे हुए हैं और कह रहे हैं कि सरकार कोई मदद नहीं कर रही। तीसरी तरफ़ सरकार समर्थित मीडिया है जिसने अपने माइक प्रवासी बच्चों की चीख सुनने की बजाय प्रधानमंत्री के मंच पर लगाए हुए हैं।
अब रोते-बिलखते बच्चों के तमाम वीडियो वायरल होने और विपक्ष के साथ सत्तारूढ़ दल के नेता के सवाल उठाने के बाद ख़बर है कि भारतीयों को बाहर निकालने के प्रयासों में समन्वय के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में हमारे चार मंत्री जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक केंद्र ने सोमवार को फैसला किया कि केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, किरेन रिजिजू और वी के सिंह इस अभियान में समन्वय करने तथा छात्रों की मदद के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में जाएंगे। ये मंत्री भारत के ‘‘विशेष दूत’’ के तौर पर वहां जाएंगे। सिंधिया भारतीयों को यूक्रेन के निकालने के अभियान के लिए समन्वय का काम रोमानिया और मोल्दोवा से संभालेंगे, जबकि रिजिजू स्लोवाकिया जाएंगे। पुरी हंगरी जाएंगे और सिंह भारतीयों को निकालने का प्रबंध करने के लिए पोलैंड जाएंगे। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में किया गया। इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल समेत कई मंत्री शामिल हुए।
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