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इज़रायल के ख़िलाफ़ देश-दुनिया में प्रदर्शन, वाम दलों की भारत सरकार से चुप्पी तोड़नी की मांग

भारत के पांच वामपंथी दलों ने साझा बयान जारी कर मोदी सरकार से अपना स्टैंड साफ़ करने की मांग की है। इसी के साथ राजधानी दिल्ली में छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में सड़क पर उतरे और इज़रायली एम्बेंसी के सामने प्रदर्शन किया।
Free Palestine
दिल्ली में इज़रायल के ख़िलाफ़ वाम छात्र संगठनों का प्रदर्शन

 

फ़िलिस्तीन के ग़ज़ा में जारी इज़रायल के नरसंहार और नाकेबंदी के ख़िलाफ़ एक बार फिर देश-दुनिया में आवाज़े तेज़ हो गई हैं। 

ग़ज़ा में मानवीय सहायता लेकर जा रहे फ़्रीडम फ़्लोटिला के जहाज़ ‘मैडलीन’ को सोमवार, 9 जून को इज़रायली बलों ने को जबरन रोक लिया और उसमें सवार कार्यकर्ताओं को बंधक बना लिया। इसमें फ्रांसीसी यूरोपीय सांसद रीमा हसन और स्वीडन की जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग समेत 12 अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवक जिनमें अधिकांश यूरोपीय देशों से थे, मौजूद थे।

इसे पढ़ें– ‘मैडलीन’ पर इज़रायली हमले के विरोध में प्रदर्शन, वैश्विक नेताओं की चुप्पी पर सवाल

इसके बाद एक बार फिर दुनिया भर में हलचल तेज़ हो गई है। और अमेरिका-यूरोप समेत तमाम जगहों पर प्रगतिशील, मानवतावादी ताक़तें सड़कों पर उतर रही हैं और अपनी सरकारों से भी सवाल कर रही हैं कि वे ये सब देखकर भी चुप क्यों हैं। 

इसी कड़ी में भारत की राजधानी दिल्ली में आज वाम छात्र संगठनों से जुड़े छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में सड़क पर उतरे और इज़रायली एम्बेंसी के सामने प्रदर्शन किया। 

इसी बीच भारत के भारत के पांच वामपंथी दलों ने साझा बयान जारी कर इज़रायल के नरसंहार की निंदा की और भारत सरकार से चुप्पी तोड़ते हुए अपना स्टैंड साफ करने की मांग की। इन दलों ने 17 जून को देशव्यापी फिलीस्तीन एकजुटता दिवस मनाने का आह्वान किया है। 

आपको मालूम है कि इज़रायल का फ़िलिस्तीन पर एकतरफ़ा हमला और नरसंहार क़रीब 20 महीने से जारी है। अक्टूबर 2023 में फ़िलिस्तीन संगठन हमास के इज़ारयल में किए गए एक हमले के बदले के नाम पर इज़रायल का यह हमला रुका नहीं है और वो पूरी तरह ग़ज़ा के सफ़ाये पर उतारू है। इज़रायल की नाकेबंदी के चलते ग़ज़ा में राहत और भोजन सामग्री तक नहीं पहुंच पा रही है और हज़ारों बच्चे भुखमरी के चलते मौत के कगार पर हैं। 

दिल्ली में छात्रों ने इसी के विरोध में आज 10 जून को इज़रायली दूतावास के सामने प्रदर्शन का आयोजन किया था। इस प्रदर्शन में SFI, AISA, DSF आदि वामपंथी छात्र संगठनों के छात्र-छात्राएं शामिल थे। ये छात्र जैसे ही प्रदर्शन स्थल की तरफ़ बढ़े पुलिस ने इन्हें रोक लिया और हिरासत में ले लिया। आरोप है कि इस दौरान पुलिस ने काफी बर्बरता भी की और महिला छात्रों को भी ज़बरदस्ती घसीटा। 
पुलिस इन सभी छात्रों को हिरासत में लेकर बवाना थाने ले गई। जहां देर शाम इन्हें रिहा कर दिया गया। 
आप इन तस्वीरों में देख सकते हैं कि छात्रों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को किस तरह कुचल दिया गया–

17 जून को मनाया जाएगा 'फिलिस्तीन एकजुटता दिवस': वामपंथी दलों की संयुक्त अपील

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) CPI(M), भाकपा (माले)-लिबरेशन, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (AIFB) और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP) ने संयुक्त बयान जारी करते हुए 17 जून 2025 को देशव्यापी फिलिस्तीन एकजुटता दिवस के रूप में मनाने की अपील की है।

इन दलों ने ग़ज़ा में इज़रायल द्वारा किए जा रहे नरसंहार और अमानवीय घेराबंदी की कड़ी निंदा की है। बयान में कहा गया है कि बीते बीस महीनों में 55,000 से अधिक फिलीस्तीनियों की हत्या कर दी गई है, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। अस्पतालों, स्कूलों और शरणार्थी शिविरों को जानबूझकर निशाना बनाया गया है। यह एक खुला जनसंहार है।

डी. राजा – महासचिव, CPI, एम. ए. बेबी – महासचिव, CPI(M), दीपंकर भट्टाचार्य – महासचिव, भाकपा (माले)-लिबरेशन, जी. देवराजन – महासचिव, फॉरवर्ड ब्लॉक, मनोज भट्टाचार्य – महासचिव, RSP) के साझा हस्ताक्षर से जारी इस बयान में इज़रायल द्वारा अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में फ्रीडम फ्लोटिला ग़ज़ा के मानवीय सहायता पोत 'मैडलीन' पर हमले की भी कड़ी निंदा की गई है। वामपंथी दलों ने भारत सरकार से माँग की है कि वह सभी अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवकों की रिहाई की माँग करे और ग़ाज़ा तक राहत सामग्री की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित कराए।

 

बयान में कहा गया है कि अमेरिका और उसके कुछ सहयोगियों के समर्थन से इज़रायल अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानवाधिकारों की धज्जियाँ उड़ा रहा है, और भारत सरकार का इस पर चुप रहना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह भारत की ऐतिहासिक फिलिस्तीन-समर्थक नीति से विचलन है।

वाम दलों ने सभी शांतिप्रिय, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष नागरिकों से अपील की है कि वे 17 जून को देशभर में आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होकर फिलिस्तीन के संघर्ष के साथ एकजुटता दिखाएँ। दिल्ली में यह प्रदर्शन जंतर मंतर पर सुबह 11 बजे आयोजित किया जाएगा।

मुख्य मांगें:

  • ग़ज़ा में जारी नरसंहार और युद्ध अपराधों की निंदा
  • फ़िलिस्तीनी जनता के आत्मनिर्णय, स्वतंत्रता और गरिमा के संघर्ष के प्रति एकजुटता
  • भारत सरकार से फ़िलिस्तीन समर्थक ऐतिहासिक रुख़ पर लौटने और इज़रायल से सैन्य सहयोग तत्काल बंद करने की मांग

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