तिरछी नज़र: ऑपरेशन सिंदूर पर डेलिगेशन– 'किया क्या और हासिल क्या'

हमने ऑपरेशन सिंदूर किया है। केवल हम ही ऑपरेशन सिंदूर कर सकते हैं क्योंकि विश्व में सिर्फ हमें ही सिंदूर का महत्व पता है। एक बार किसी की मांग में सिंदूर भर दिया तो उसे जिंदगी भर निभाना है। यह है हमारे यहाँ सिंदूर का महत्व। यह हैं हमारे संस्कार। हिन्दू धर्म में सिंदूर का रूल।
आप कहेंगे, काहे के संस्कार, काहे का रूल। इस रूल को रुला देने वाले, संस्कार को भुला देने वाले देश के सरकार जी बने बैठे हैं। देश के सरकार जी ही नहीं, विश्व गुरु हुए बैठे हैं, पूरे ब्रह्मांड में प्रसिद्ध हुए बैठे हैं । विश्व गुरु होने का दावा तो हमारा अपना है पर पूरे ब्रह्मांड में प्रसिद्ध हुए बैठे हैं यह दावा 'खासा' का है।
अब आप पूछेंगे, पूछेंगे ही। मुझसे ही पूछेंगे। सरकार जी से, सरकार से पूछने का काम तो हमने विदेशी पत्रकारों पर ही छोड़ दिया है। पूछेंगे कि यह 'खासा' क्या है? अजी साहब, यह खासा वही संस्था है जो हमारे यहाँ की व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी ने नासा के मुकाबले में खड़ी की है। यह खासा नासा के हवाले से नई नई रिसर्च पेश करती रहती है। इसी खासा ने पहले यह दावा किया था कि सूर्य हर समय ॐ, ॐ का जाप करता रहता है।
अब इसी खासा ने यह बताया है कि लाखों प्रकाश वर्ष दूर, सूर्य से भी हज़ारों गुना बड़ा, एक और सूर्य है जो हर समय नमो, नमो का जाप करता रहता है। अब अपने सूर्य से तो हम नमो नमो का जाप करवा नहीं सकते हैं। वह तो ॐ ॐ का जाप करने में व्यस्त है। तो नमो नमो का जाप करने के लिए खासा ने एक नया सूर्य ढूंढ निकाला है। इसी जाप का असर है कि आज हम विश्व गुरु हैं। और तबतक विश्व गुरु बने रहेंगे जब तक सरकार जी हैं। पर गुरु, विश्व गुरु बने रहने के लिए बहुत काम करना पड़ता है। अपना एक एक एक्शन विश्व को समझना पड़ता है। नहीं समझाओ तो यह विश्व है ना, बड़ा नालायक है। हमें गलत समझ लेता है।
अब देखो, हम विश्व गुरु बने रहें, इसके लिए सरकार जी ने ऑपरेशन सिंदूर किया। जो लोग बोलते हैं कि सरकार जी ने ऑपरेशन सिंदूर चुनाव के लिए किया है वे गलत हैं। और चलो मान भी लेते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर चुनाव जीतने के लिए किया है। अगर चुनाव नहीं जीतेंगे तो देश की सेवा कैसे करेंगे। देश का उत्थान कैसे होगा। हमारे देश में देश की सेवा और देश का उत्थान करने के लिए चुनाव जीतना बहुत ही जरूरी होता है। तो हम मान सकते हैं कि सिंदूर नाम का यह ऑपरेशन सरकार जी ने चुनाव जीतने के लिए किया है और चुनाव जीते बिना देश की सेवा नहीं हो सकती है, देश का उत्थान नहीं हो सकता है। तो ऑपरेशन सिंदूर देश की सेवा, देश के उत्थान के लिए किया गया है।
अब विश्व गुरु बने रहने के लिए सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर करने से तो काम नहीं बनता है। उसको समझाना भी पड़ता है। पूरे देश को समझाना पड़ता है, और वह काम सरकार जी कर ही रहे हैं। और देश को ही नहीं, पूरे विदेश को भी समझाना पड़ता है। समझाना पड़ता है कि ऑपरेशन सिंदूर क्यों किया? लेकिन यह नहीं समझाना पड़ता है कि ऑपरेशन सिंदूर बंद क्यों किया। वह काम तो ट्रम्प जी कर ही रहे हैं।
तो सरकार जी ने पूरे विश्व को समझाने के लिए डेलिगेशन भेजा। सर्वदलीय डेलिगेशन। वैसे सरकार जी खुद भी जा सकते थे। पर खुद जाने में एक डर रहता है। वैसे सरकार जी किसी से डरते नहीं हैं। सबके सामने छप्पन इंच का सीना ताने खड़े रहते हैं। शेर की माफिक। पर बाई चांस किसी विदेशी पत्रकार ने कुछ पूछ लिया तो! विदेशी पत्रकार को तो आप मजबूर नहीं कर सकते हैं कि वह यह ही पूछे कि आप बटुआ रखते हैं या नहीं? आप इतनी एनर्जी कहाँ से पाते हैं, या फिर आप केला कैसे खाते हैं? (आम खाने के बारे में तो पहले ही पूछा जा चुका है)
हमारा डेलिगेशन विदेश गया और लौट कर सरकार जी से मिल भी लिया है। फोटो सेशन भी हो गया है और रिपोर्ट भी कर दिया है कि कहाँ गाना गाया, कहाँ डान्स किया और कहाँ और क्या क्या किया।
किया क्या?
डेलिगेशन चुना गया।
भाजपाइयों की वकत सिर्फ देश तक सीमित है तो विपक्षियों को भी डेलिगेशन में चुना गया।
फिर बिजनेस क्लास में विदेश भेजा गया। (कैटल क्लास में तो सिर्फ जनता जाती है)
जा कर फाइव स्टार होटलों में ठहरे।
वहाँ बसे भारतीयों से मिले। उनसे सरकार जी की जय जयकार बुलवाई।
किसी भूतपूर्व सांसद या मंत्री से मिल ऑपरेशन सिंदूर की महिमा बताई।
किसी किसी देश में उप प्रधानमंत्री या मंत्री से भी मिलने का सौभाग्य मिला।
सभी ने आतंकवाद की भर्त्सना की।
हमें भी लगा सभी हमारे साथ हैं।
वहाँ खाये-पिए, नाचे गाये, धूम मचाये और बिजनेस क्लास में बैठ वापस आ गए।
आ कर सरकार जी से मिले, फोटो खिंचवाई और हेड लाइन बनाई।
हासिल क्या?
हम ऑपरेशन सिंदूर कर ही रहे थे कि पाकिस्तान को आईएमएफ का लोन मिल गया। हमारे डेलिगेट्स अभी विदेशों में ही थे कि पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी संस्था का उप प्रमुख बना दिया गया।
लिखते लिखते: खबर है कि अमेरिका ने पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी कार्यों की सराहना की है। वहाँ के सेना अध्यक्ष को अमेरिका भी बुलाया है।
यानी कि सबकुछ टाएं टाएं फुस्स।
(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)
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