मानसून सत्र के पहले ही दिन संसद में गूंजा मणिपुर मुद्दा, दोनों सदन में कामकाज रहा बाधित

नयी दिल्ली : मणिपुर में करीब दो महीने से जारी जातीय हिंसा पर संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान देने और उसके बाद चर्चा कराने की मांग को लेकर बृहस्पतिवार को मानसून सत्र के पहले दिन दोनों सदनों में विपक्षी सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया, जिसके कारण लोकसभा की कार्यवाही एक बार और राज्यसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने की घटना पर क्षोभ प्रकट किया और कहा कि यह घटना किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली है।
प्रधानमंत्री ने मानसून सत्र की शुरुआत से पहले संसद भवन परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए देशवासियों को भरोसा दिलाया कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
गौरतलब है कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने की घटना का वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। चार मई के इस वीडियो में दिख रहा है कि कुछ व्यक्ति एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमा रहे हैं और उनके साथ बदसलूकी कर रहे हैं।
मणिपुर में करीब दो माह से जातीय हिंसा हो रही है। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने पहली बार, आज सार्वजनिक टिप्पणी की है।
प्रधानमंत्री के आश्वासन के बावजूद विपक्षी दलों ने राज्यसभा और लोकसभा में इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर हंगामा किया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने तो इस बात पर आपत्ति भी जताई कि सत्र की बैठक आरंभ होने के बावजूद प्रधानमंत्री ने सदन के बाहर इस मुद्दे पर बयान दिया।
एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे दोबारा राज्यसभा की बैठक आरंभ होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि विभिन्न मुद्दों पर अल्पकालिक चर्चा के लिए नियम 176 के तहत उन्हें 12 नोटिस मिले हैं और इनमें से आठ नोटिस मणिपुर हिंसा से संबंधित हैं।
इसी दौरान सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर चर्चा को तैयार है। उन्होंने कहा, ‘‘इस नोटिस को स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है।’’
इस पर धनखड़ ने कहा कि चूंकि सरकार ने आगे आकर मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए सहमति जताई है इसलिए चर्चा कराई जा सकती है।
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने इस दौरान हंगामा आरंभ कर दिया और नियम 176 के तहत चर्चा कराए जाने पर आपत्ति जताई।
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि सदस्यों ने नियम 267 के तहत भी इस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए नोटिस दिए हैं।
खरगे ने कहा कि कांग्रेस के सदस्यों ने नियम 267 के तहत नोटिस दिए हैं, जिसमें सारे कामकाज स्थगित कर चर्चा कराने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) को सदन में आना चाहिए और इस मुद्दे पर बयान देना चाहिए और फिर चर्चा की जानी चाहिए।
इसी दौरान ओ’ब्रायन ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि नियम पुस्तिका में नियम 267 बिल्कुल स्पष्ट है जो कहता है कि जब तक इसके तहत उठाए गए मुद्दे पर चर्चा नहीं होती है, तब तक दूसरे किसी अन्य विषय को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने नियम 267 के तहत मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग पर बल दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को सदन में आकर अपना मुंह खोलना होगा... मणिपुर, मणिपुर, मणिपुर। कहां हैं, देश के प्रधानमंत्री... सदन में आएं और मणिपुर पर बोलें।’’
इसी दौरान विपक्षी सदस्यों ने अपने अपने स्थान पर खड़े होकर हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के बीच, धनखड़ ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजकर 12 मिनट पर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
दोपहर दो बजे बैठक फिर शुरू होने पर सदन में यही स्थिति बनी रही।
खरगे ने कहा, ‘‘मणिपुर जल रहा है, महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहे हैं, उन्हें निर्वस्त्र घुमाया जा रहा है... और प्रधानमंत्री चुप बैठे हैं। वह (सदन के) बाहर बयान दे रहे हैं।’’
Manipur is burning. Women are raped, naked, paraded and horrific violence is taking place.
But the Prime Minister has kept quiet for so long.
Today, after so much outrage, he gave a statement outside the Parliament.
We want a detailed discussion on Manipur and PM Modi should… pic.twitter.com/oeuCxG72Az
— Mallikarjun Kharge (@kharge) July 20, 2023
इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराये जाने की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। सभापति ने सदस्यों से सदन में व्यवस्था बनाये रखने की अपील की। किंतु इस अपील का कोई असर न होते देख उन्होंने बैठक को शुक्रवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
लोकसभा में भी कमोबेश ऐसा ही नजारा देखने को मिला। कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने मणिपुर हिंसा का मुद्दा उठाते हुए हंगामा किया। सदस्यों के शोर शराबे के कारण सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 2 बजकर 5 मिनट पर दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयी।
सरकार ने निचले सदन में कहा कि वह मणिपुर के मुद्दे पर लोकसभा अध्यक्ष द्वारा तय किसी भी तारीख पर चर्चा कराने को तैयार है जिसका विस्तृत जवाब गृह मंत्री अमित शाह देंगे।
कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों के सदस्य मणिपुर की हिंसा का मुद्दा उठाने लगे। कुछ सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी भी कर रहे थे।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि विपक्ष मणिपुर पर चर्चा की मांग कर रहा है और सरकार इसके लिए तैयार है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि हमने, सदन के उपनेता राजनाथ सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि हम संसद के दोनों सदन में इस विषय पर चर्चा कराने को तैयार हैं। मणिपुर का विषय संवदेनशील है। इस पर चर्चा का विस्तृत उत्तर गृह मंत्री (अमित शाह) देंगे।’’
जोशी ने विपक्षी सदस्यों से आग्रह किया कि लोकसभा अध्यक्ष चर्चा के लिए जो तारीख तय करेंगे, उस दिन सरकार चर्चा कराएगी, लेकिन वे सदन में सुचारू रूप से कामकाज चलने दें।
विपक्षी सदस्यों का हंगामा नहीं थमने पर पीठासीन सभापति किरीट सोलंकी ने दोपहर दो बजकर पांच मिनट पर बैठक को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 लोगों की जान जा चुकी है।
संसद के मानसून सत्र का आज पहला दिन है। इस सत्र का समापन 11 अगस्त को प्रस्तावित है। इस दौरान संसद के दोनों सदनों की कुल 17 बैठक होनी हैं।
(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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