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कटाक्ष: ऑपरेशन सिंदूर की क़ीमत तुम क्या जानो विपक्षी बाबू!

ऑपरेशन सिंदूर की क़ीमत वह भी तो है, जो दस दिन की तिरंगा यात्रा में, सबसे ताक़तवर फ़ौजी के रूप में मोदी जी की तस्वीर घुमाकर वसूल की जाएगी।
Operation Sindoor

ये विपक्ष वाले जब राष्ट्रभक्ति ही नहीं समझते हैं, ऑपरेशन सिंदूर की कीमत क्या जानेंगे? वर्ना ऑपरेशन सिंदूर में अपने अर्णव गोस्वामियों, गौरव सामंतों, नाविका कुमारों, अंजना ओम कश्यपों, अशोक श्रीवास्तवों आदि, आदि के वीरतापूर्ण कारनामों के गुण गा रहे होते या नहीं! 

पर खुद गुण गाना तो छोड़िए, बेचारे मंत्री अश्विनी वैष्णव जी ने देश के मीडिया महारथियों का युद्ध के टैम पर देश के काम आने के लिए जरा सा धन्यवाद क्या कर दिया, ये तो बेचारे वैष्णव जी के ही पीछे पड़ गए। शोर मचा रहे हैं कि तो क्या दुनिया यह समझे कि इन सब ने जो-जो किया, जो-जो फेक न्यूज चलाए, जो-जो युद्ध के फर्जी दृश्य दिखाए, सब वैष्णव की सरकार के इशारे पर था। 

इनके गोदी मीडिया होने की ख्याति तो खैर दुनिया भर में और दसों दिशाओं में पहले ही फैल ही चुकी थी। लोगों ने कहना और मानना शुरू कर दिया है कि गोदी मीडिया की खबर है, तो जरूर खबर से अगले दर्जे की चीज होगी; कोई मजाक, कोई एंटरटेनमेंट की चीज। पर यह अब पता चला रहा है और खुद मंत्री जी के श्रीमुख से पता चल  रहा है कि यह गोदी सवार होना ही फेक न्यूज का असली स्रोत है, आदि, आदि।

पर यह इल्जाम ही झूठ है, फेक न्यूज है। इस इल्जाम का आधार क्या है? यही ना कि गोदी मीडिया योद्धाओं ने जो खबरें चलायीं सच नहीं थीं। किसी ने खबर चलायी कि भारतीय नौसेना ने करांची बंदरगाह को पूरी तरह से तबाह कर दिया, यह सच नहीं था। भारतीय नौसेना ने ऐसा कुछ नहीं किया था। किसी ने खबर चलायी कि भारतीय थल सेना पाकिस्तान की सीमाओं में घुसकर आगे बढ़ती जा रही थी, यह भी सच नहीं था। भारतीय थल सेना ने ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की थी। किसी ने शोर मचाया कि हमने रावलपिंडी पर कब्जा कर लिया है, तो किसी और ने दावा किया कि भारत ने पाकिस्तान के पांच शहरों पर कब्जा कर लिया है। कंपटीशन तेज हुआ तो किसी और ने पच्चीस शहरों पर कब्जा करा दिया, तो किसी और ने आधे पाकिस्तान पर। और जो कंपटीशन में सबसे तेज निकला, उसने पूरे पाकिस्तान पर। 

किसी और ने फौज में तख्तापलट करा दिया और आसिम मुनीर को जेल में डलवा दिया, तो किसी और ने उदारता दिखाते हुए उसे भागने का मौका दे दिया और किसी और ने उसके छुपने का ठिकाना भी बता दिया। लेकिन, इस सब के सच नहीं होने से क्या होता है? खबर-खबर होती है। खबर में सच-झूठ कुछ नहीं होता। वास्तव में कुछ सच-झूठ ही कहां होता है। सिंपल है--अगर कुछ होता है, तो अपने देश का हित होता है, अपने देश का पक्ष होता है, अपने देश का नफा, अपने देश का नुकसान होता है। जो देश के साथ वो सच, जो दूसरे देश के साथ वो झूठ। इसमें मुश्किल क्या है?

इसे कलियुग ही कहा जाएगा कि भगवा पार्टी को बाकायदा वीडियो बनाकर, देश को और जाहिर है कि बाकी दुनिया को भी, यह ज्ञान देना पड़ा है कि सच-झूठ कुछ नहीं होता है और कहीं युद्ध का टैम हो तब तो, सच ही झूठ और झूठ ही सच होता है। यही हमारी प्राचीन परंपरा है, संस्कृति है, धर्म है, इतिहास है। बाकी छोड़िए, यही महाभारत का ज्ञान है। सिर्फ गीता नहीं, पूरे महाभारत का ज्ञान। महाराज युधिष्ठिर याद हैं। उनसे बड़ा सत्यवादी कौन होगा? लेकिन, महाभारत के युद्ध में क्या हुआ? युधिष्ठिर को भी मानना पड़ा कि सत्य और असत्य कुछ नहीं होता है। होता है, अपना पक्ष और विरोधी का पक्ष। गुरु द्रोणाचार्य को मरवाना था, तो युधिष्ठिर ने भी सत्य की परिभाषा लचीली कर दी। पुत्र अश्वत्थामा के मारे जाने का अर्ध सत्य द्रोणाचार्य के सामने युधिष्ठिर ने इस तरह बोला कि, पुत्र के शोक में पिता ने प्राण ही त्याग दिए। पिता के शोक में अश्वत्थामा ने असमय ही अपना अमोघ अस्त्र चला दिया और खुद भी मारा गया। पांडवों के युद्ध जीतने के लिए, युधिष्ठिर का झूठ जरूरी था यानी वही पांडवों का सत्य था। इतनी सी बात जो विपक्षी नहीं समझ सकते हैं, उनसे देशभक्ति की उम्मीद ही कैसे की जा सकती है!

बेचारे गोदी मीडिया वाले जब पूरी ताकत लगाकर पाकिस्तान को पीट रहे थे और वहां तक पीट रहे थे, जहां तक देश की सेना भी नहीं पीट पा रही थी, उसमें किसी देशभक्त को क्यों प्राब्लम होनी चाहिए। देशभक्त को प्राब्लम होनी चाहिए, जब दुश्मन वही करे। पर कोई गोदी मीडिया पर यह आरोप नहीं लगा सकता है कि उसने दुश्मन को पीटते हुए दिखाया। फिर उसकी राष्ट्र सेवा पर सवाल खड़े क्यों किए जा रहे हैं? उस पर देश का नाम बदनाम करने के इल्जाम क्यों लगाए जा रहे हैं? और अगर गोदी मीडिया की ऐसी राष्ट्र सेवा पर इसी तरह से सवाल उठाए जाते रहे, तो क्या हम कभी दुश्मन से जीत भी पाएंगे? पाकिस्तान को जीतने का जो मुंह से एलान तक नहीं कर सकते, वो क्या कभी उसे जीत पाएंगे? तो क्या हम अखंड भारत का सपना यूं ही देखते ही रह जाएंगे।

फिर ऑपरेशन सिंदूर की कीमत वही तो नहीं है जो पाकिस्तान को या आतंकवादियों को झूठा-सच्चा पीटकर वसूल की गयी है। वह तो एकदम फौरी वसूली थी, जो डियर फ्रेंड ट्रंप ने रुकवा भी दी। ऑपरेशन सिंदूर की कीमत वह भी तो है, जो दस दिन की तिरंगा यात्रा में, सबसे ताकतवर फौजी के रूप में मोदी जी की तस्वीर घुमाकर वसूल की जाएगी। और जो बिहार के चुनाव में वसूल की जाएगी। बल्कि हुआ तो अगले साल के चुनावों में भी वसूल की जाएगी। अगले ऑपरेशन तक वसूल की जाएगी। ऑपरेशन सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो विपक्षी बाबू। 

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोकलहर के संपादक हैं।)

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