घोसी की चुनावी जंगः दांव पर NDA और INDIA की प्रतिष्ठा, सपा का बीजेपी पर वोटरों को धमकाने का आरोप

बीजेपी के दारा सिंह और सपा के सुधाकर सिंह
उत्तर प्रदेश के घोसी विधानसभा सीट के लिए पांच सितंबर को होने जा रहे उप-चुनाव में एनडीए और इंडिया की प्रतिष्ठा दांव पर है। एनडीए में शामिल पूर्वांचल के सभी घटक दलों ने बीजेपी प्रत्याशी दारा सिंह चौहान के पक्ष में जमकर प्रचार किया। बीजेपी के दर्जनों मंत्रियों और सैकड़ों नेताओं की गाड़ियां घोसी में फर्राटे भरती रहीं, वो आखिर तक जनता को उन सवालों के सटीक जवाब नहीं दे सके कि दलबदलू प्रत्याशी को बीजेपी ने मैदान में क्यों उतारा? दरअसल, बीजेपी के लिए दारा सिंह चौहान खुद चुनौती है, इसलिए वह भयभीत नजर आ रही है। इस बीच सपा ने बीजेपी पर एक बड़ा आरोप चस्पा किया है। सपा का आरोप है कि "चुनाव जीतने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी रामपुर माडल अपना रही है। पुलिस के जरिये उनके वोटरों और प्रधानों को धमकाया जा रहा है। मुस्लिम बहुल इलाकों में अभियान चलाकार बिजली की लाइनें काटी जा रही हैं।"
घोसी सीट के लिए हो रहे उपचुनाव पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं। यहां पिछले छह बरस में चौथी मर्तबा चुनाव होने जा रहा है। इस चुनाव में सीधा मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच है तो एनडीए बनाम इंडिया भी है। फकत 15 महीने पहले दारा सिंह चौहान समाजवादी पार्टी से चुनाव जीते थे। साल 2022 के विधानसभा चुनाव के पहले वह यूपी के कैबिनेट मंत्री थे। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद वो फिर बीजेपी में लौट आए और घोसी सीट पर ताल ठोंक दी। घोसी सीट पर चौहान का सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी के सुधाकर सिंह से है। इस उप-चुनाव में सबसे अहम सवाल यह है कि बीजेपी घोसी सीट जीत लेगी अथवा सपा अपनी सीट बचाने में कामयाब हो जाएगी? कांग्रेस, सपा, बसपा, भाजपा, फिर बीजेपी, सपा और फिर बीजेपी में वापस लौटने के बाद दारा सिंह चौहान सत्तारूढ़ दल के लिए ख़तरा बनते नजर आ रहे हैं
4,30,394 वोटर करेंगे फैसला
घोसी सीट के लिए 239 मतदान केंद्रों के 455 बूथों पर पांच सितंबर को वोट डाले जाएंगे। कुल 4,30,394 वोटरों में 2,31,545 पुरुष और 1,98,840 महिलाएं हैं। पोलिंग पार्टियां मतदान केंद्रों पर पहुंच गई हैं। निष्पक्ष मतदान के लिए यहां 2002 कर्मचारियों तैनाती की गई है। बीजेपी और सपा के प्रत्याशियों के साथ कुल 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। मऊ जनपद के घोसी सीट पर हो रहे चुनाव के नतीजों से सूबे की 403 सीटों वाली विधानसभा पर सिर्फ एक इकाई का फर्क पड़ सकता है। इसके बावजूद घोसी का चुनाव बेहद दिलचस्प है।
@SECUttarPradesh @DMMau1 pic.twitter.com/Qc38eYDXfb
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) September 4, 2023
ऐसे हुआ चुनाव प्रचार
समाजवादी पार्टी छोड़कर कमल चिह्न पर चुनाव लड़ रहे बीजेपी प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को सिर्फ मीडिया के तीखे आरोप ही नहीं झेलने पड़े, प्रचार के दौरान बल्कि उन्हें जनता की खरी-खोटी भी सुननी पड़ी। इस उप-चुनाव में चौहान को हर गांव में सफाई देनी पड़ी "अब मैं बीजेपी में हूं। मैं जब तक हूं, इसी पार्टी में रहूंगा। डबल इंजन की सरकार से ही जनता का फायदा होगा। सपा में रहते हुए वह घोसी इलाके का विकास नहीं करा सकते थे।" घोसी में सपा मुखिया अखिलेश यादव चुनाव प्रचार में आए तो उन्होंने वोटरों की दुखती रगों को सहलाया और कहा, "घोसी के वोटरों ने तय कर लिया है वो दलबदलुओं को सबक जरूर सिखाएंगे। पलायन करने वालों ने सिर्फ जनता का भरोसा ही नहीं तोड़ा बल्कि लोकतंत्र में मत का विश्वास भी तोड़ा है। घोसी के लोग इसबार उन्हें तगड़ा सबक सिखाने जा रहे हैं।"
चुनाव प्रचार के आखिरी दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने प्रत्याशी दारा सिंह चौहान के समर्थन में प्रचार करने घोसी पहुंचे। सफाई दी, "सुबह का भूला शाम को घर वापस आ जाए तो वह भूला नहीं होता है। चौहान अपने घर में वापस आए हैं और वो जनता की अदालत में खड़े हैं।" योगी ने साल 2005 की मऊ दंगे की याद दिलाते हुए कहा, “जो माफ़िया असलहा लहराते थे वो आज व्हीलचेयर पर अपनी जान की भीख मांगते हुए दिखाई देते हैं।"
घोसी में सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव पूरी शिद्दत के साथ घर-घर जाकर चुनाव प्रचार करते रहे। बीजेपी के पक्ष में ओमप्रकाश राजभर ने एक दिन के लिए भी घोसी इलाका नहीं छोड़ा। दरअसल, इस चुनाव में राजभर की ताकत का भी इम्तहान होने जा रहा है। बीजेपी की ओर से सिर्फ योगी ही नहीं, इनसे ज्यादा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक के अलावा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, महामंत्री धर्मपाल सिंह, ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने यहां खूब पसीना बहाया। बीजेपी के घटक दल निषाद पार्टी के अध्यक्ष और मंत्री डॉ संजय निषाद, अपना दल से आशीष पटेल और सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। पूर्वांचल का कोई मंत्री ऐसा नहीं था, जिसने घोसी में वोटरों के घरों पर दस्तक नहीं दी होगी।
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को इस चुनाव में चौहान से पार्टी छोड़ने का हिसाब-किताब चुकाना है। इसीलिए सपा महासचिव शिवपाल यादव, उनके भाई राम गोपाल यादव कई दिनों तक घोसी में डेरा डाले रहे। पार्टी के वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश सिंह, महिला सभा की अध्यक्ष जूही सिंह, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, बलराम यादव, राजीव राय, दुर्गा यादव, मनोज पांडेय, इंद्रजीत सरोज, राजपाल कश्यप ने वोटरों को रिझाने की कोशिश की। इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने की वजह से कांग्रेस और वाम दलों ने खुल कर सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह का समर्थन किया। ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा के अलग होकर पार्टी बनाने वाले नेताओं ने भी सपा के पक्ष में प्रचार किया।
खौफजदां है सपा समर्थक
समाजवादी पार्टी के नेताओं को डर सता रहा है कि बीजेपी घोसी में दूसरा रामपुर उपचुनाव दोहरा सकती है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव को लगता है कि बीजेपी अपनी हार देखकर बौखलाई हुई है और वह सत्ता का दुरुपयोग कर रही है। इस बीच शिवपाल ने आईजी रेंज से मुलाकात की और आरोप लगाया कि थानेदार और सीओ मोहल्लों में जाकर मतदाताओं को धमका रहे हैं। उनकी बिजली और पानी के कनेक्शन तक काटे जा रहे हैं। वह कहते हैं, "हमें लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि थानेदार और डिप्टी एसपी मोहल्लों में जाकर वोटरों को धमका रहे हैं। वो वोटरों को रोक रहे हैं। हम चाहते हैं कि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव हों। मतदाताओं में टेरर न फैलाया जाए। सरकार का प्रेसर है कि कम से कम मतदान हो। अल्पसंख्यक और मुस्लिम मतदाताओं का कम वोट पड़े। इस तरह से निष्पक्ष चुनाव नहीं हो पाएंगे। इस बाबत हमने मऊ के कलेक्टर के यहां भी शिकायत दर्ज कराई है। सपा के पदाधिकारियों को रेड कार्ड और यलो कार्ड दिए जा रहे हैं। इस सिलसिले में उन्होंने चुनाव से पहले पुलिस अफसरों से मुलाकात की और आरोप लगाया कि बीजेपी चुनाव में गड़बड़ी करा रही है।"
सपा ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है, "घोसी उपचुनाव में सत्ता का दुरुपयोग कर रही बीजेपी सरकार! बीजेपी सरकार घोसी में अपनी हार सामने देखकर बौखलाई हुई है... इसलिए पुलिस प्रशासन का गलत इस्तेमाल कर चुनाव में धांधली के उद्देश्य से समाजवादी पार्टी के पदाधिकारियों को रेड और यलो कार्ड जारी करवा रही है....संज्ञान ले चुनाव आयोग।"
समाजवादी पार्टी ने सोशल मीडिया पर कुछ रेड और यलो कार्ड की फोटो शेयर की है। उस पर मऊ जनपद के पुलिस इंसपेक्टर की मुहर है। इन पर संबंधित नेता का नाम लिखा है और कहा गया है, "आप विधानसभा 354 घोसी उप-चुनाव 2023 में अपने क्रियाकलापों एवं गतिविधियों के जरिये पार्टी विशेष के पक्ष में मतदान करने के लिए लोगों को उकसा और भड़का रहे हैं। दवाब बना रहे हैं जिससे मतदान के दिन कोई भी अप्रिय घटना घटित हो सकती है। जिससे शांति भंग होने की प्रबल संभावना है। अंत: आपको सचेत किया जाता है कि मतदान के दिन अपना मतदान करने के उपरांत अपने घर पर रहें और कोई ऐसा कार्य न करें जिससे वोटिंग में कोई बाधा उत्पन्न हो। शांति भंग हो अन्यथा आपके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।"
रामपुर फार्मूला अपना रही बीजेपी
पूर्वांचल की सियासत की गहराई से नब्ज टटोलने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कुमार कहते हैं, "बीजेपी रामपुर फार्मूले पर चुनाव लड़ रही है। वहां भी वोटर हाईजैक किए गए थे और यहां भी पुलिस के जरिये कुछ वैसा ही खेल चल रहा है। विपक्ष ने पुलिस और सरकारी तंत्र पर जो आरोप लगाया है उसमें दम नजर आ रहा है। इनके निशाने पर अल्पसंख्यक, यादव और दलित वोटर हैं। कोशिश यह की जा रही है कि ये वोट देने ही न जाएं। इसीलिए रामपुर की तर्ज पर घोसी में भी ताकत झोकी जा रही है। यह सीट बीजेपी और सपा दोनों के लिए नाक का सवाल है। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए इसे एनडीए और इंडिया का लिटमस टेस्ट भी माना जा रहा है। अगर दारा सिंह चौहान घोसी सीट जीतते हैं तो उनका सियासी कद बढ़ सकता है और उनकी पराजय उनका करियर मटियामेट कर सकती है। घोसी उप-चुनाव में हार-जीत का संदेश सिर्फ यूपी ही नहीं, समूचे देश में जाएगा। इतना तय है कि अगर घोसी में बीजेपी के माफिक नतीजे नहीं आए तो यह संदेश भी जाएगा कि पूर्वांचल में सत्तारूढ़ दल पिछड़ों और अति-पिछड़ों को साधने में असफल रही है। हालांकि, जब से सपा इंडिया गठबंधन में शामिल हुई है, तभी से बीजेपी घबराई हुई है। बीजेपी के नेताओं को अभी तक यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर अचानक इंडिया गठबंधन कैसे बन गया?"
प्रदीप कहते हैं, "बीजेपी प्रत्याशी दारा सिंह चौहान के बार-बार दल बदलने से घोसी के वोटर खफा हैं। बीजेपी के जो वोटर उनके सपा में जाने से नाराज थे, उन्हें भी यह अच्छी तरह से पता है कि चौहान ने दल बदलकर घोसी में दोबारा चुनाव कराने पर विवश किया है। योगी-मोदी के समर्थक भी उनसे खफा है और उनकी नाराजगी जनता में दिख रही है जो बीजेपी की बौखलाहट की वजह बनी हुई है। जबकि सपा के वोटर अपनी पार्टी के प्रत्याशी के साथ हैं। सबसे नरम चारा हैं दलित वोटर जिन्हें अपने पक्ष में करने के लिए दोनों प्रत्याशी आखिरी दम तक ताकत लगा रहे हैं। सपा को कमजोर करने के लिए बसपा मुखिया मायावती ने आखिरी दौर में अपने वोटरों को नोटा दबाने अथवा वोट न देने का फरमान जारी किया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने दारा सिंह चौहान को न सिर्फ चुनाव लड़ाया बल्कि उन्हें लोकसभा में बसपा का नेता सदन तक बनाया। इसके बावजूद उन्होंने पाला बदल लिया। मायावती उन लोगों को कतई माफ नहीं करतीं जो उन्हें राजनीति में धोखा दे चुके हैं। ऐसे में उनके वोटर चौहान के पक्ष में मतदान कैसे कर सकते हैं।"
मऊ के वरिष्ठ पत्रकार प्रवीन राय ‘न्यूजक्लिक’ से कहते हैं,"घोसी में मुस्लिम वोटर सर्वाधिक हैं और उनका थोक वोट सपा में जा रहा है। दूसरे नंबर पर दलित हैं। बसपा के मैदान में नहीं उतरने के कारण इस समुदाय के ज्यादातर वोटरों का झुकाव सपा के सुधाकर सिंह के पक्ष में नजर आ रहा है। मायावती ने भले ही बसपा के वोटरों को नोटा दबाने का निर्देश दिया है लेकिन वो ऐसा करेंगे, इसमें संदेह है। वोटों के मामले में तीसरा और चौथा नंबर राजभर व चौहान बिरादरी का है। चौहान (नोनिया) बीजेपी के साथ हैं लेकिन राजभर एकमत नहीं हैं। निषाद बीजेपी के साथ खड़े हैं तो यादव सपा के पाले में हैं। राजपूतों के वोट एकतरफा सपा के सुधाकर सिंह के पक्ष में जा रहा है। भूमिहार और ब्राह्मण वोटर असमंजस में हैं। इनके वोट बंट सकते हैं।"
"बीजेपी के दारा सिंह चौहान और उनके समर्थकों को लगता कि चौहान, राजभर, भूमिहार और दलितों के दम पर वो घोसी सीट जीत लेंगे। बीजेपी ने इसी गरज से घोसी के गांवों में अपने मंत्रियों की जातिवार ड्यूटी लगाई थी, लेकिन घोसी के वोटरों में वो कोई खास असर नहीं छोड़ पाए। किसी भी सीट पर जीत दिलाने में स्थानीय कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम होती है। बीजेपी के स्थानीय कार्यकर्ता आखिरी दौर तक यह तय नहीं कर पाए थे कि उन्हें करना क्या है? इतना जरूर है कि घोसी की जनता ने नेताओं की हैसियत बता दी है। चाहे वो बीजेपी के हों या फिर सपा के। अगर दारा सिंह चुनाव हार चुके हैं तो सुधाकर सिंह भी अच्छे कैंडीडेट नहीं।"
मऊ के वरिष्ठ पत्रकार हरिद्वार राय मानते हैं कि बीजेपी यह सीट हारने जा रही है। वह इसकी कई वजह बताते हैं। पहला, उनका दलबदलू चरित्र और दूसरा, उनकी वजह से 15 महीने के अंदर दोबारा चुनाव थोपा जाना है। तीसरी वजनदार बात यह है कि बीजेपी के दारा सिंह चौहान बाहरी हैं जबकि सपा के सुधाकर सिंह स्थानीय हैं और सर्वसुलभ रहते हैं। सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर की घोसी उप-चुनाव में भूमिका क्या होगी? इस सवाल पर हरिद्वार कहते हैं,"घोसी में करीब 50 हज़ार राजभर मतदाता हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने चौहान को जिताया था। उस समय वो सपा प्रत्याशी थे और ओमप्रकाश का सपा से गठबंधन था। अब दोनों बीजेपी में हैं। जिस रफ्तार से दोनों ने पाला बदला है उसी गति से वोटरों ने अपना मुकाम बदला। योगी-मोदी के खिलाफ उनके विवादित बोल को लोग आज तक नहीं भूल पाए हैं। सियासत के गलियारों से जो बातें छनकर आ रही हैं, उसमें योगी न तो ओमप्रकाश राजभर को पसंद करते हैं और न ही दारा सिंह चौहान को। योगी घोसी में प्रचार करने आए और 22 मिनट में ही अपने भाषण को समेट दिया।"
पत्रकार हरिद्वार यह भी कहते हैं, "हाल के दिनों में सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर ने यादव समुदाय के लोगों के खिलाफ विवादित बयान दिया था जिसका पूरे प्रदेश में विरोध हुआ। राजभर सीरियस नेता नहीं है। वह कभी भी और कुछ भी बोल देते हैं। वोटरों की नजर में उनकी हैसियत नेता की कम, मसखरे की ज्यादा हो गई है। मऊ की सियासत में ओमप्रकाश राजभर से महेंद्र राजभर का कद छोटा नहीं है। अपने प्रत्याशी का नामांकन खारिज होने के बाद उन्होंने सपा के सुधाकर सिंह को समर्थन देने का ऐलान किया है। सुधाकर जमीनी नेता हैं। लोगों को उत्साह है। इनका इंडिया उतरा है। गांव-देहात से खबरें आ रही हैं कि वोटरों को पैसे बांटे जा रहे हैं। जगजाहिर है कि पैसे बंटवाने वाले कौन लोग हो सकते हैं।"
(लेखक बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।