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पुणे में फ़िलीस्तीन समर्थक शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर हमला!

Indian People in Solidarity with Palestine ने इस हमले के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं और पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगाया है।
Indian People in Solidarity with Palestine

10 मई को पुणे के कर्वेनगर स्थित डोमिनोज़ पिज़्ज़ा आउटलेट के बाहर फिलीस्तीन के समर्थन में चल रहे शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर हमले का आरोप है। 

"इंडियन पीपल इन सॉलिडैरिटी विद फिलीस्तीन" (Indian People in Solidarity with Palestine- IPSP) मंच के नेतृत्व में यह प्रदर्शन देशभर में डोमिनोज़ के ख़िलाफ़ चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा था। संगठन ने डोमिनोज़ पर इज़रायल द्वारा फ़िलीस्तीनी जनता के ख़िलाफ़ किए जा रहे जनसंहार (genocide) में साझेदार होने का आरोप लगाया है।
संगठन की ओर से प्रेस को जारी एक बयान में कहा गया है कि प्रदर्शन के दौरान मंच के कार्यकर्ता शांति से पर्चे बाँट रहे थे और आम लोगों से संवाद कर रहे थे। लेकिन भाजपा नेताओं महेश पवले और सागर धमे के नेतृत्व में 50 से 100 लोगों की भीड़ वहाँ इकट्ठा हुई और प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया।

संगठन ने आरोप लगाया है कि महिलाओं के साथ अभद्रता की गई, बलात्कार और हत्या की धमकियाँ दी गईं और उनके कपड़े तक फाड़े गए।

पुलिस की भूमिका को लेकर भी गंभीर सवाल उठे हैं। संगठन का कहना है कि पुलिस घटना के दौरान मूकदर्शक बनी रही और बाद में केवल 4 प्रदर्शनकारियों को ही हिरासत में लिया गया। पीड़ितों की शिकायत लेने के बावजूद पुलिस ने कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं की, और न ही आरोपियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की। शिकायतकर्ताओं को एमएलसी (मेडिको-लीगल केस) के लिए ससून अस्पताल भी स्वयं ही जाना पड़ा।

11 मई को जब कार्यकर्ता पुनः पुलिस स्टेशन पहुँचे, तो उन्हें बताया गया कि उनकी पुरानी शिकायत “गुम” हो गई है। नई शिकायत, जिसमें हमलावरों के नाम दर्ज थे, लेने से भी पुलिस ने इनकार कर दिया। अंततः सिर्फ़ एक पुरानी शिकायत पर रसीद दी गई। संगठन ने आरोप लगाया है कि पुणे पुलिस भाजपा नेताओं के दबाव में काम कर रही है और हमलावरों को संरक्षण दे रही है।

इस बीच भाजपा की आईटी सेल और समर्थक सोशल मीडिया पर एक मुहिम चला रहे हैं, जिसमें प्रदर्शनकारियों पर "पाकिस्तान ज़िंदाबाद" जैसे नारे लगाने के आरोप लगाए जा रहे हैं। संगठन ने इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज करते हुए कहा कि ऐसा कोई नारा नहीं लगाया गया, और इसका कोई प्रमाण नहीं है। उनका कहना है कि उनका संघर्ष केवल फ़िलीस्तीन की आज़ादी और न्याय के पक्ष में है, न कि किसी चरमपंथी विचारधारा का समर्थन।

संगठन ने यह भी कहा कि यह भाजपा की दोगली नीति को उजागर करता है—जहाँ विदेश मंत्री एस. जयशंकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर फ़िलीस्तीन के लिए समर्थन की बात करते हैं, वहीं ज़मीनी स्तर पर भाजपा और आरएसएस कार्यकर्ता हर फ़िलीस्तीन समर्थक आवाज़ को देशद्रोही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं।

“इंडियन पीपल इन सॉलिडैरिटी विद फिलीस्तीन” ने कहा है कि वे न तो भाजपा के झूठे प्रचार से डरेंगे, न ही पुलिस के दबाव में झुकेंगे। संगठन का कहना है कि वह देश के हर हिस्से में फ़िलीस्तीन के समर्थन में शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक संघर्ष जारी रखेगा।

इसे भी पढ़ें–फ़िलिस्तीन के साथ एकजुटता : IPSP का स्टारबक्स के बाहर प्रदर्शन

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