तिरछी नज़र: एक व्यंग्य लेखक के प्रदूषण से लड़ने के लिए सरकार को 5 सुझाव
देश की राजधानी, दिल्ली वायु प्रदूषण से ग्रसित है। दिल्ली ही नहीं, दिल्ली के आसपास के इलाके, जिन्हें हम एनसीआर के नाम से जानते हैं, वहाँ की वायु भी प्रदूषित है। यहाँ की सरकारें, दिल्ली की भी और एनसीआर में पड़ने वाले अन्य क्षेत्रों की सरकारें भी वहाँ रहने वाली जनता के सौभाग्य से भाजपा की ही हैं। इन सब जगह डबल, ट्रिपल इंजन की सरकारें हैं। तो मैं इन सरकारों को प्रदूषण से निपटने की कुछ सलाह-सुझाव देना चाहता हूँ। क्योंकि सरकारें बीजेपी की हैं तो अवश्य ही मान लेंगी। अगर किसी अन्य दल की सरकारें होतीं तो ये सलाहें मैं अपने तक ही सीमित रखता।
पहली सलाह
पहली सलाह तो यह है कि सरकार का कोई मंत्री, या फिर मुख्यमंत्री, यदि चाहें तो स्वयं ही, 'गो प्रदूषण गो', 'गो प्रदूषण गो', के नारे लगा कर, गीत गा कर, प्रदूषण को भगा सकते हैं। कोरोना काल में हमने कोविड को इसी तरह भगाया था और वह भाग कर गांवों की ओर चला गया था। देशव्यापी हो गया था। इस तरह से वे इस वायु प्रदूषण को एनसीआर की प्रॉब्लम से देशव्यापी प्रॉब्लम बना सकते हैं।
सलाह नंबर–2
दूसरे, हम एनसीआर में हर गली चौराहे पर गाएं छोड़ सकते हैं। हमें पता है, कोरोना काल से ही पता है कि गाय ही एकमात्र ऐसा जीव है जो कार्बन डाई ऑक्साइड अंदर लेता है और ऑक्सीजन बाहर छोड़ता है। इसी तरह से गाय प्रदूषित वायु अंदर लेगी और स्वच्छ हवा बाहर निकालेगी। वैसे तो गाय अभी भी हैं, हर गली में, हर सड़क पर, हर चौराहे पर दिख ही जाती हैं। कूड़े के ढेर के पास तो ज्यादा ही दिखती हैं। और वे कम भी नहीं हैं। खूब हैं पर फिर भी जरा कम हैं। गाय और कूड़े के ढेर, दोनों और अधिक बढ़ाए जाएं, चारों ओर फैलाए जाएं तो प्रदूषण से थोड़ा अधिक आराम मिल सके।
गौमाता का एक और लाभ है। जितना ज्यादा गौवंश होगा, उतना ही ज्यादा गोमूत्र और गोबर मिलेगा। उनका सेवन कर, पी कर, खा कर और शरीर पर लेप लगा कर, हम प्रदूषण जनित तथा अन्य बीमारियों से निजात पा सकेंगे। तब हमारा देश निरोग बनेगा। जितना ज्यादा गौवंश, उतना ज्यादा गोमूत्र और गोबर, उतना ही अच्छा स्वास्थ्य। जितना ज्यादा गौवंश, उतना ज्यादा गौमांस और उतना ही ज्यादा निर्यात। है ना सबके विकास का फार्मूला!
सलाह नंबर–3
हां, एक और काम है जो हम प्रदूषण से लड़ने के लिए कर सकते हैं। वह है किसी एक नियत समय, सब लोग एक साथ बरतन भांडे बजाएं। उन्हें जोर जोर से पीटें। कोई परात बजाय तो कोई थाली पीटे। बरतनों को जमीन पर पटक पटक कर मारें। इसकी हमें प्रैक्टिस है। यह हमनें कोविड को भागने के लिए भी किया था। इतना ध्वनि प्रदूषण कर दें कि वायु प्रदूषण उससे घबरा कर भाग जाए। अपना बोरिया बिस्तर बांध ले। और फिर हम ध्वनि प्रदूषण के साथ शांति से रहें। हमारे सरकार जी इसमें वैज्ञानिक कारण भी ढूंढ सकते हैं। बोल सकते हैं कि तीव्र ध्वनि की तरंगे PM 2.5 और PM 10 को या तो जमींदोज कर देती हैं या फिर आसमान में फैंक देती हैं। इस विधि से कोरोना तो भागा नहीं पर वायु प्रदूषण अवश्य भाग जायेगा।
सलाह नंबर–4
प्रदूषण से लड़ाई का एक और तरीका है। वही जो हमने कोविड से लड़ाई के दौरान किया था। रात को नौ बजे नौ मिनट का ब्लैक आउट। तब हमने सरकार जी के टोटके के अनुसार रात को नौ बजे घर की लाइट्स ऑफ कर दिये थे। दिये और मोमबत्ती जलाई थी। मोबाइल की लाइट चमकाई थी। और इस टोटके से जिस तरह से कोविड भाग गया था, देख लेना यह वायु प्रदूषण भी भाग जायेगा।
सबसे अच्छा और सबसे बढ़िया तरीका है, लॉकडाउन लगा दो। सब घर में बंद रहें। ना रहेगा सांप और ना बजेगी लाठी। कोई घर से बाहर निकलेगा ही नहीं तो प्रदूषण उसे कैसे सताएगा। वैसे भी पार्शियल लॉकडाउन तो वायु प्रदूषण से लग ही जाता है। सुबह शाम बाहर घूमना बंद। आउटडोर खेलना बंद। बच्चों की कक्षाएं ऑनलाइन शुरू। ऑफिस का काम भी ऑनलाइन करने के निर्देश। ग्रेप 3 या ग्रेप 4 चालू। डिस्ट्रक्शन भले ही चलता रहे, पर कंस्ट्रक्शन का काम बंद। कंस्ट्रक्शन के काम में लगे मजदूरों का काम बंद। उनका पलायन शुरू। बस सरकार जी किसी दिन रात को आठ बजे वैसा ही लॉकडाउन लगा दें, जैसा कोविड के काल में लगाया था, तो सच में, वायु प्रदूषण कहीं नहीं ठहरेगा।
सलाह नंबर–5
प्रदूषण से लड़ने का एक और तरीका है। तरीका क्या ट्रिक कहो। सरकार जी यह तरीका सभी बातों में अपना चुके हैं। नई बनने वाली सड़कों की लम्बाई से लेकर जीडीपी के आकलन तक। महंगाई सूचकांक से लेकर औद्योगिक विकास तक। कोविड में बीमारों से लेकर मृत लोगों की संख्या तक। और वह है आंकड़ों का खेल। हमारे सरकार जी इसमें माहिर हैं।
एक सुबह आप उठें तो अख़बार में हेडलाइन पढ़ें कि दिल्ली की हवा साफ। एक्यूआई मात्र 120. दिल्ली वासियों, अब सरकार जी की कृपा से आप स्वच्छ हवा में सांस ले रहे हैं। आप बाहर जा कर चैन से एक गहरी सांस लेंगे। पर यह क्या, आँखों में उतनी ही जलन, गले में उतनी ही खराश। या कहें, पहले से ज्यादा। आप घबरा कर अंदर आ जायेंगे। पूरी खबर पढ़ेंगे। देर रात सरकार जी की अध्यक्षता में चली कैबिनेट मीटिंग में निर्णय लिया गया है कि प्रदूषण के मामले में हम अपनी चलाएंगे। कि आगे से एक्यूआई 300 को ज़ीरो माना जायेगा। नए मानकों के हिसाब से पुराना एक्यूआई 500 अब 200 माना जायेगा और हवा स्वच्छ मानी जाएगी। और इस तरह से हम प्रदूषण पर रातों रात नियंत्रण पा सकते हैं। और सारा खेल नियंत्रण पाने का ही तो है।
(लेखक पेश से चिकित्सक हैं।)
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।
