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कटाक्ष: चल खुसरो राज्य अगले...

अब बताइए, इन्हें इसमें भी प्राब्लम है कि अब तक सरकार बिहार में थी, अब अगले चार-पांच महीने सरकार बंगाल में रहेगी, बाक़ी देश अपना देख ले…
PM MODI
तस्वीर प्रतीकात्मक प्रयोग के लिए। साभार

थैंक यू मोदी जी। बड़ा वाला थैंक यू, यह साफ करने के लिए कि बिहार के बाद, अगला नंबर किस का है। कि बिहार के बाद युद्ध का अगला मोर्चा कहां लगेगा। कि बिहार के बाद, आपकी फतेहयाब फौजें किस तरफ कूच करने वाली हैं। थैंक यू अपनी पार्टी की बिहार विजय रैली से ही सब साफ कर देने के लिए। इस मामले में कोई शक-शुब्हा, कोई कन्फ्यूजन नहीं रहने देने के लिए। किसी अनुमान, किसी अटकल के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ने के लिए। 

थैंक यू बिना एक दिन भी गंवाए यह साफ कर देने के लिए कि अब चार-पांच महीने आप जी केरल, तमिलनाडु, पुदुच्चेरी, असम के और सबसे बढ़कर बंगाल के पीएम रहेंगे। चार-पांच महीने आप के नंबर दो, अमित शाह सबसे बढ़कर बंगाल के चाणक्य रहेंगे। आपकी सरकार चार-पांच महीने पूर्व और दक्षिण-वास करेगी। बाकी देश अपना देख ले।

भक्त लोग एकदम सही पकड़े हैं। इन विरोधियों की यही प्राब्लम है, मोदी जी कितना भी अच्छा करें, ये उसमें कुछ न कुछ खोट निकाल ही लेंगे। अब बताइए, इन्हें इसमें भी प्राब्लम है कि अब तक सरकार बिहार में थी, अब अगले चार-पांच महीने सरकार बंगाल में रहेगी, बाकी देश अपना देख ले। कह रहे हैं कि ये तो बड़ी गैर-जिम्मेदारी की बात है, जी। मोदी जी बाकी देश को किस के भरोसे छोड़ रहे हैं? ये बात ही क्या हुई? जब इन्हें पूरे देश की जिम्मेदारी सौंपी गयी है, तो ये बाकी देश को खुद अपना देख लेने के लिए कैसे छोड़ सकते हैं? फिर ये कोई एक दिन, दो दिन की बात तो है नहीं। सच पूछिए तो सिर्फ चार-पांच महीने की भी बात नहीं है। यह तो मोदी जी के राज में कायदा ही बन गया है। इससे पहले कई महीने से मोदी जी के बिहार के पीएम थे और बाकी देश खुद अपना देख रहा था। उससे पहले महाराष्ट्र के पीएम रहे और बाकी देश ने खुद अपना देखा। उससे पहले हरियाणा के पीएम, उससे पहले दिल्ली, वगैरह, वगैरह के पीएम और हर बार बाकी देश अपना देख रहा था। जब बाकी देश को अपना ही देखना है, तो ये पीएम क्या सिर्फ चुनाव के लिए हैं? जहां-जहां चुनाव, वहां-वहां के पीएम।

मगर भक्त बखूबी जानते हैं कि यह विरोधियों का बात को तोड़ना-मरोड़ना है। यह पीएम की गैर-जिम्मेदारी का नहीं, एक्स्ट्रा जिम्मेदार होने का सबूत है। एक्स्ट्रा जिम्मेदार कैसे? पीएम तो इस देश ने बहुत देखे हैं। कम से कम आठ-दस तो देखे ही होंगे। पहले पीएम भी देखे हैं और महिला पीएम भी देखे हैं। कुछ ज्यादा ही पढ़े हुए पीएम भी देखे हैं, तो किसानी धज वाले पीएम भी देखे हैं। उत्तर के पीएम भी देखे हैं, तो दक्षिण के पीएम भी देखे हैं। कई-कई चुनाव जीतने वाले पीएम भी देखे हैं, तो एक भी चुनाव न चल पाने वाले पीएम भी देखे हैं। और इसकी कसमें खाने वाले पीएम तो खैर देखे ही देखे हैं कि भारत, राज्यों का संघ है। लेकिन, ऐसा पीएम यह देश पहली बार देख रहा है, जिसे सिर्फ दिल्ली के तख्त वाला पीएम होना मंजूर नहीं है। वह बदल-बदल कर, अलग-अलग राज्यों का पीएम बनता रहता है। जिस राज्य में चुनाव होता है, वह उसी राज्य का पीएम होता है। और जब चुनाव ज्यादा दूर होता है, वह अपने राज्य का पीएम होता है। इस तरह, वह एक-एक राज्य को अपना पीएम बनाने का मौका देता है। सब का नंबर आ रहा है। इसी को तो कहते हैं--सब का साथ, सब का विकास।

और रही बात बाकी देश के अपना देख लेने की तो, उसमें भी एक गहरा प्रयोग है। हर बार, किसी एक राज्य को छोड़कर, बाकी सारे देश को अपना खुद देख लेने का मौका दिया जा रहा है। देश को आत्मनिर्भर बनाने का इससे साहसिक प्रयोग, क्या कभी किसी पीएम ने किया था? राज्य-दर-राज्य, देश यह सीखता जा रहा है कि मोदी जी के बिना, उनके नंबर दो के भी बिना, उनके राज की निगाह और निगरानी के भी बिना, वह अपना देख सकता है। और देश को यह सिखा कौन रहा है? वही पीएम जिस पर विरोधी तानाशाही के, सारी ताकत अपने हाथों में समेट लेने के इल्जाम लगाते हैं। पर विरोधियों को शर्म नहीं आती।

खैर! विरोधियों से मोदी जी का थैंक यू करने की उम्मीद तो कोई करता भी नहीं है। पर एक दिन भी गंवाए बिना, अगले मोर्चे की निशानदेही करने के लिए थैंक यू है, तरह-तरह के कार्यकर्ताओं की तरफ से, जो अब सीधे एक मोर्चे से उठकर, दूसरे मोर्चे के लिए निकल जाएंगे, बीच में शंटिंग में पड़े बोर नहीं होना पड़ेगा। इनमें शब्दश: तरह-तरह के कार्यकर्ता होंगे। संघ से लेकर भगवा पार्टी तक के जमीनी कार्यकर्ताओं के अलावा, जो जाकर नये मोर्चे पर जमीन संभालेंगे, तरह-तरह के स्पेशल कार्यकर्ता तक। राज्य-राज्य घूमकर वोट डालने वाले कार्यकर्ता भी। कई-कई बार वोट डालने वाले, कई-कई नामों से वोट डालने, वगैरह, वगैरह। सब अपने तंबू उठाएंगे और नये मोर्चे की ओर निकल जाएंगे। कितना कन्फ्यूजन बचेगा!

और कन्फ्यूजन से याद आया, सरकार उर्फ बाबू लोग का कन्फ्यूजन दूर करने के लिए भी मोदी जी का बहुत-बहुत थैंक यू। पीएम और उनके नंबर टू, अब बंगाल के पीएम और नंबर टू होंगे, तो क्या अकेले होंगे। उनके साथ पूरा का पूरा सरकारी अमला, बंगाल का हो जाएगा। सारे बंगाली कनैक्शन खोज-खोज कर निकाले जाएंगे। सारे बंगाली प्रोजैक्टों का शिलान्यास होगा। सारे बचे हुए बंगाली महापुरुषों के नाम से डाक टिकट जारी होंगे, सिक्के निकलेंगे, उनके साथ पिछली सरकारों के अन्याय का बदला लिया जाएगा। नेहरू के बंगाल के साथ अन्याय का तो खासतौर पर बदला लिया जाएगा और श्यामाप्रसाद मुखर्जी को महात्मा गांधी से ऊंचा आसन दिया जाएगा। और तो और पीएम का बंगाल से खास कनेक्शन भी निकल आएगा और हो न हो किसी बंगाली महापुरुष जैसे दाढ़ी-बाल भी पीएम धारण कर लेंगे। बस टैगोर नहीं, वह पिछली बार ही फेल हो चुके हैं। इस सबके लिए जितना टैम मिल जाए, उतना ही कम है। सो थैंक  यू मोदी जी, कुछ न कुछ टैम एक्स्ट्रा दिलाने के लिए। 14 तारीख को ही अगले कूच का एलान नहीं करते, तो कुछ न कुछ टैम तो बर्बाद हो ही जाता।

और हां थैंक यू ज्ञानेश कुमार की तरफ से। निशाने की एकदम सटीक जानकारी देने के लिए। कितना सारा काम पड़ा है, वोटर लिस्टों की छंटाई से लेकर, चुनाव मशीनरी की रंगाई तक। और चुनाव कार्यक्रम की फिक्सिंग वगैरह भी।

और बड़ावाला थैंक यू बड़ेवाले सेठ लोगों की तरफ से, बस ऐंवें ही ! 

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोक लहर के संपादक हैं।)

 

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