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डेली राउंड अप: वाम दलों ने एलआईसी के आईपीओ को बताया ‘घोटाला’, बीएचयू में इफ़्तार को लेकर हंगामा और अन्य खबरें

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने एलआईसी के आईपीओ को ‘घोटाला’ करार दिया और आरोप लगाया कि यह लोगों के संसाधनों की लूट है।

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वाम दलों ने एलआईसी के आईपीओ को ‘घोटाला’ करार दिया

नयी दिल्ली:  वाम दलों ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा आईपीओ लाए जाने को लेकर बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह ‘घोटाला’ और ‘बिक्री’ है।

एलआईसी के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के तहत एंकर निवेशक दो मई को बोली लगाएंगे। निर्गम चार मई को संस्थागत और खुदरा खरीदारों के लिए खुलेगा और नौ मई को बंद होगा।

शेयर आईपीओ बंद होने के एक सप्ताह बाद 17 मई को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हो सकता है।
 
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने एक बयान में कहा कि एलआईसी का आईपीओ लाया जाना निजीकरण का एक हिस्सा है।
 
भाकपा महासचिव डी राजा ने कहा, ‘‘यह अफसोस का विषय है कि भाजपा सरकार राष्ट्रीय संपत्तियों को बेच रही है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने एलआईसी के आईपीओ को ‘घोटाला’ करार दिया और आरोप लगाया कि यह लोगों के संसाधनों की लूट है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘एलआईसी भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में सबसे बड़ा योगदान देने वाली कंपनी रही है। 1956 में अस्तित्व में आने के बाद से इसने 35 लाख करोड़ रुपये का योगदान दिया है। अब इसे उन विदेशी धन प्रबंधकों के हवाले कर दिया जाएगा जो शेयर बाजार से अधिक से अधिक निजी लाभ कमाने की कोशिश में रहते हैं।’’

बीएचयू परिसर में इफ्तार को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन, प्रशासन ने हंगामे को निदंनीय बताया

वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के महिला महाविद्यालय परिसर में बुधवार शाम इफ्तार के आयोजन को लेकर छात्रों ने हंगामा किया और नयी परम्परा शुरू करने को लेकर सवाल उठाए। वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से स्पष्टीकरण दिया गया है कि इफ्तार का आयोजन कई वर्षों से हो रहा है।

छात्रों ने कुलपति आवास पहुंच कर नारेबाजी की और कुलपति का पुतला भी फूंका।

वहीं बृहस्पतिवार देर शाम इस संबंध में जारी आधिकारिक बयान में विश्वविद्यालय प्रशासन ने हंगामे को निंदनीय बताया और कहा, ‘‘पंडित मदन मोहन मालवीय के मूल्यों व आदर्शों के अनुरूप स्थापित इस विश्वविद्यालय में किसी भी आधार पर, किसी के साथ भी भेदभाव का कोई स्थान नहीं है।’’

विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बयान में कहा है कि परिसर में रोजा-इफ्तार का आयोजन कई वर्षों से हो रहा है और उपलब्ध होने पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति हमेशा उसमें भाग लेते हैं।

उसमें कहा गया है, ‘‘महिला महाविद्यालय में रोज़ा इफ्तार का आयोजन किया गया, जिसमें कुलपति को आमंत्रित किया गया था। पिछले दो वर्षों से कोरोना महामारी की वजह से इसका आयोजन नहीं हो सका था। इस साल आयोजन में कुलपति समेत विभिन्न लोगों ने हिस्सा लिया।’’

महिला महाविद्यालय में बुधवार शाम आयोजित इफ्तार में कुलपति सुधीर जैन के साथ प्रोफेसर वी. के. शुक्ला, डॉ अफजल हुसैन, प्रोफेसर नीलम अत्रि, कार्यवाहक प्रधानाचार्य प्रोफेसर रीता सिंह, छात्र अधिष्ठाता प्रोफेसर के. के. सिंह, चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर बी. सी. कापड़ी, डॉ. दिव्या कुशवाहा सहित महाविद्यालय की छात्राओं ने भाग लिया था।

हालांकि, इफ्तार के आयोजन की जानकारी मिलने पर बुधवार रात ही छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। एक छात्र ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर में ऐसे आयोजन की कोई परंपरा नहीं रही है और कुलपति ऐसा करके नयी परंपरा को जन्म दे रहे हैं।

विरोध प्रदर्शन पर विश्वविद्यानय प्रशासन का कहना है, ‘‘इसे लेकर विश्वविद्यालय का शैक्षणिक व सद्भावपूर्ण वातावरण बिगाड़ने की कोशिश निंदनीय है।’’

इस घटना के बाद बृहस्पतिवार को विश्वविद्यालय परिसर की दीवारों पर ब्राह्मण जाति और कश्मीर को लेकर विवादित नारे लिखे जाने पर छात्रों ने जमकर हंगामा किया।

यह नारे ‘भगत सिंह छात्र मोर्चा’ के नाम से लिखे गए थे। छात्रों के आक्रोश को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने विवादित नारों को मिटवा दिया।

मौके पर पहुंचे चीफ प्रॉक्टर कापड़ी ने कहा, ‘‘यह विश्वविद्यालय का माहौल खराब करने के लिए लिखा गया है लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे।’’

नारों के नीचे लिखे गए संगठन के बारे में कापड़ी ने कहा, ‘‘नारों के नीचे जिस भगत सिंह छात्र संगठन का नाम लिखा गया है, उसके लोगों को विश्वविद्यालय प्रशासन ने चिन्हित कर लिया है। जल्द से जल्द जांच कर कार्रवाई की जाएगी।’’

श्रीलंका के सत्तारूढ़ पार्टी के असंतुष्टों ने भारतीय उच्चायुक्त से की मुलाकात

कोलंबो: श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के नेतृत्व वाली ‘श्रीलंका फ्रीडम पीपुल्स पार्टी’ (एसएलएफपी) के सदस्यों ने भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले से मुलाकात की और उन्हें देश में मौजूदा राजनीतिक गतिरोध तथा सबसे खराब आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए अपनी एक अंतरिम सरकारी व्यवस्था की योजना के बारे में जानकारी दी।

एसएलएफपी के ये सदस्य श्रीलंका में सत्तारूढ़ ‘श्रीलंका पीपुल्स पार्टी’ (एसएलपीपी) में शामिल हैं, लेकिन इन्होंने अभी बगावती रुख इख्तियार कर रखा है।

श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी हो गई है, जिससे वह खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है।

कनाडा में समलैंगिक पुरुषों के रक्तदान करने पर से हटा प्रतिबंध

ओटावा: ‘हेल्थ कनाडा’ ने समलैंगिक पुरुषों के रक्तदान करने पर से प्रतिबंध हटा दिया है।

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस कदम को ‘‘सभी कनाडाई लोगों के लिए अच्छी खबर’’ बताते हुए कहा कि इसमें हालांकि काफी समय लग गया।

ट्रूडो ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रतिबंध 10-15 वर्ष पहले हटा दिया जाना चाहिए था। शोध में यह बात सामने आई थी कि इससे रक्त आपूर्ति की सुरक्षा पर कोई असर नहीं पड़ेगा, तब भी पिछली सरकारों ने यह कदम नहीं उठाया।

ट्रूडो ने कहा कि रक्त दान संबंधी नियम बदलने के सुरक्षा पहलुओं पर शोध करने के लिए उनकी सरकार ने 39 लाख डॉलर खर्च किए हैं और कई वैज्ञानिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि ‘‘ हमारी रक्त आपूर्ति सुरक्षित बनी रहेगी।’’

‘कनैडियन ब्लड सर्विसेज’ ने ‘हेल्थ कनाडा’ से उस नीति को खत्म करने का अनुरोध किया था, जिसके तहत समलैंगिक यौन संबंध बनाने के तीन महीने तक समलैंगिकों के रक्त दान करने पर प्रतिबंध था। ‘हेल्थ कनाडा’ ने उसके अनुरोध पर गौर करते हुए अब यह प्रतिबंध हटा दिया है।

सरकार से देशद्रोह और आतंकवाद रोधी कानून, जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर चर्चा की : ईयू प्रतिनिधि

भाषा/नयी दिल्ली: यूरोपीय संघ के मानवाधिकार पर विशेष प्रतिनिधि इमोन गिल्मोर ने शुक्रवार को कहा कि भारत सरकार से उनकी हुई मुलाकात के दौरान देशद्रोह और आतंकवाद रोधी कानूनों के इस्तेमाल, अल्पसंख्यकों की स्थिति, सांप्रदायिक हिंसा और जम्मू-कश्मीर की हालात जैसे मुद्दों पर चर्चा की। 
     
गिल्मोर ने यह भी कहा कि भारत यात्रा के दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्यों के साथ हुई उनकी मुलाकात के दौरान विदेशी चंदा (नियमन) अधिनियम (एफसीआरए), हिरासत, जमानत, देशद्रोह और आतंकवाद रोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम (यूएपीए), अल्पसंख्यकों और व्यक्तियों के मामलों में आयोग की भूमिका पर भी चर्चा हुई। 
     
उल्लेखनीय है कि यूरोपीय संघ प्रतिनिधिमंडल जिसमें गिल्मोर और ईयू के भारत में राजदूत उगो एस्टुटो शामिल हैं ने बृहस्पतिवार को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से दिल्ली में मुलाकात की। इससे एक दिन पहले प्रतिनिधिमंडल ने एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) अरुण कुमार मिश्रा और आयोग के अन्य सदस्यों से मुलाकात की थी।     

पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट मामले में जिग्नेश मेवानी को ज़मानत मिली

बारपेटा/भाषा: गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी को असम के बारपेटा जिले की एक अदालत ने एक महिला पुलिस अधिकारी के साथ कथित मारपीट के मामले में शुक्रवार को जमानत दे दी।

बारपेटा जिला एवं सत्र न्यायाधीश परेश चक्रवर्ती ने बारपेटा रोड थाने में दर्ज मामले में मेवानी को एक हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी।

अदालत ने बृहस्पतिवार को जमानत अर्जी पर मेवानी के वकील और लोक अभियोजक की दलीलें सुनी थीं और शुक्रवार के लिए आदेश सुरक्षित रखा था।

कोकराझार जिले में एक अन्य मामले में जमानत पर रिहा होने के तुरंत बाद दलित नेता को इस मामले में सोमवार को गिरफ्तार कर लिया गया था।

कांग्रेस द्वारा समर्थित एक निर्दलीय विधायक मेवानी को पहली बार 19 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ट्वीट करने के लिए गुजरात के पालनपुर शहर से गिरफ्तार किया गया था और कोकराझार लाया गया था।

आरोप है कि मेवानी ने महिला अधिकारी के साथ तब मारपीट की जब वह अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ मेवानी को लेकर गुवाहाटी हवाई अड्डे से कोकराझार जा रही थी।

इस मामले में, मेवानी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 294, 323, 353 और 354 के तहत मामला दर्ज किया गया था। अदालत ने मंगलवार को मेवानी पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था।

श्रीलंका के राष्ट्रपति अपने भाई को प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए राज़ी : सांसद

कोलंबो/एपी: श्रीलंका के राष्ट्रपति देश में दशकों के सबसे बड़े आर्थिक संकट के चलते पैदा हुए राजनीतिक गतिरोध का हल निकालने के लिए प्रस्तावित अंतरिम सरकार में प्रधानमंत्री के तौर पर अपने भाई की जगह किसी अन्य नेता को नियुक्त करने को राजी हो गये हैं। एक प्रमुख सांसद ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। 

सांसद मैत्रीपाला सिरीसेना ने राष्ट्रपति के साथ बैठक के बाद कहा कि गोटबाया राजपक्षे इस बात से सहमत हुए हैं कि एक नये प्रधानमंत्री को नामित करने और संसद में सभी दलों के प्रतिनिधित्व वाले मंत्रिमंडल का गठन करने के लिये राष्ट्रीय परिषद की नियुक्ति की जाएगी। 

इस बीच, गोटबाया ने राजनीतिक दलों से अंतरिम सरकार के लिए बहुमत का आंकड़ा प्रस्तुत करने को कहा। सिरीसेना, राजपक्षे से पहले राष्ट्रपति थे। वह इस महीने की शुरूआत में करीब 40 अन्य सांसदों के साथ

दलबदल करने से पहले सत्तारूढ़ दल के सांसद थे। 

हालांकि, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के प्रवक्ता रोहन वेलीविता ने कहा कि राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को हटाने के किसी इरादे से अवगत नहीं कराया है और यदि ऐसा कदम उठाया जाता है उस बारे में फैसले की घोषणा की जाएगी। 

इससे पहले, महिंदा राजपक्षे ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया था और प्रदर्शन को खत्म करने की कोशिश के तहत एक मिलीजुली सरकार गठित करने का प्रस्ताव दिया था। 

दोनों राजपक्षे बंधु, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पर अपने-अपने पदों पर काबिज हैं जबकि उनके परिवार के तीन अन्य सदस्यों ने अप्रैल की शुरूआत में मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था, जो गुस्साये प्रदर्शनकारियों को शांत करने की एक कोशिश प्रतीत होती है। 

इस बीच, राष्ट्रपति ने (अपने) सत्तारूढ़ एसएलपीपी गठबंधन के असंतुष्ट सांसदों के समूह को अभूतपूर्व आर्थिक संकट से निपटने के लिए एक अंतरिम सरकार के गठन के वास्ते उनके प्रस्ताव पर विपक्षी दलों से वार्ता शुरू करने को कहा। 

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