तिरछी नज़र: सरकार जी, जल्दी एक डॉलर 100 रुपये का करिए
गुप्ता जी बाजार में मिल गए। अजी साहब, वही गुप्ता जी जो हमारी सोसाइटी में रहते हैं। हाँ वही, जिनका बेटा अमरीका में है। बड़े ख़ुश लग रहे थे। उनके दोनों हाथ सामान से लदे थे। लगता था जैसे बहुत सारी खरीददारी की हो। मैंने ख़ुशी का राज जानना चाहा, "क्या बात है गुप्ता, बड़े ख़ुश लग रहे हो। बेटा आ रहा है क्या"?
"नहीं, बेटा तो वहीं है। हमने एक दो बार मिलने आने के लिए कहा भी तो कहता है, डैड, अब आना मुश्किल है। इस ट्रंप ने नियम ही कुछ ऐसे बना दिये हैं कि एक बार आ जाओ तो लौटना असंभव सा है। तो बेटे को डर है, एक बार आ गया तो वापस अमरीका नहीं लौट पायेगा"।
"तो फिर इतना ख़ुश क्यों हो। क्या कोई लाटरी लग गई है"।
"यही समझो डॉक्टर। अब अमरीका से ज्यादा रूपये आने लगे हैं"। गुप्ता जी ने फरमाया। "बेटे को बार बार कहते थे, अब महंगाई ज्यादा बढ़ गई है, इतने पैसे में गुजारा नहीं होता, कुछ एक्स्ट्रा भेज दिया करे। पर बेटा तो उतना ही भेजता है जितना पहले भेजता था। एक हज़ार डॉलर हर महीने। पर ये जो सरकार जी हैं ना, हमारे सरकार जी, ईश्वर भला करे इनका, इन्होंने रूपये की कीमत बढ़ा दी। उस एक हजार डॉलर के हमें अब यहाँ नब्बे हजार रुपये मिल जाते हैं। हम तो चाहते हैं, सरकार जी जल्दी जल्दी तरक्की करें। जल्दी ही डॉलर सौ रुपये के बराबर कर दें। सरकार जी हैं तो मुमकिन है"।
मैंने कहा, "सरकार जी की परफॉरमेंस पर भरोसा रखो। सरकार जी परफॉर्म करने वाले हैं न कि ड्रामा करने वाले। जल्दी ही तुम्हें एक डॉलर के सौ रूपये मिलने लगेंगे। देख लेना, यह सरकार जी के इसी कार्यकाल में हो जायेगा। यह मेरी भविष्यवाणी है"।
हमारा देश है ना, इसमें भविष्यवाणी करने वालों की बहुत ही इज़्ज़त है। कोई हाथ की लकीर देख कर आपका भविष्य बताता है तो कोई जन्म पत्री देख कर। कोई माथे की लकीर पढ़ कर भविष्यवाणी करता है और कोई ताश के पत्ते फेंट कर। नंबरों की गणना कर भविष्य बताने वाले भी बहुत हैं तो कुछ भविष्यवक्ता सड़क किनारे पिंजरे में एक तोता और कुछ कार्ड लेकर बैठ जाते हैं और तोता पिंजरे से निकल आपका भविष्य बताता है। और तो और, रेलवे स्टेशन पर लगी वजन तोलने की मशीन से निकलने वाले कार्ड पर भी आपका भविष्य लिखा होता है।
हमारे सरकार जी, जी हाँ आज के सरकार जी खुद बताते हैं कि जब वे सरकार जी नहीं थे, युवा थे, तब वे भीख मांग कर गुजारा करते थे। जी हाँ, सरकार जी ने तीस पैंतीस साल भीख मांगी थी। तब वे ट्रेन में सीट प्राप्त करने के लिए लोगों का हाथ देखने का ड्रामा करने लगते थे। लोगों को बेवकूफ बनाने लगते थे। हाथ वाथ देखना कुछ आता नहीं था पर उनका हाथ देख कर उनका भविष्य बताने लगते थे। लोग उन्हें सीट दे देते थे। उन्हें इस तरह से उनको सीट मिल जाती थी।
सीट हमेशा से ही उन्हें इसी तरह से मिलती है, ड्रामा कर के। लोगों को बेवकूफ बना कर। चुनावी सभा में जाते हैं, ड्रामा करते हैं और सीट पा जाते हैं। 2012-13 में सरकार जी ड्रामा करते थे, पेट्रोल इतना महंगा है, महंगाई कितनी ज्यादा है, जब रुपये की कीमत गिरती है तो सरकार की इज्जत गिरती है, देश की इज्जत गिरती है। मैं आऊंगा तो पेट्रोल सस्ता हो जायेगा, महंगाई कम हो जाएगी, पंद्रह पंद्रह लाख लोगों के अकाउंट में आएंगे, डॉलर सस्ता हो जायेगा और रुपया महंगा। लोग बेवकूफ बनते थे और सरकार जी सीट पाते थे।
आज जब पेट्रोल सौ से अधिक है, बेरोजगारी और महंगाई आसमान छू रही है, रुपया डेढ़ गुणा गिर चुका है, तब सरकार जी आज की नहीं, 2025 की नहीं, 2047 की बात करते हैं। पता नहीं तब पेट्रोल की कीमत कितनी होगी, महंगाई कौन से आसमान पर होगी और रुपया कौन से पाताल में। पर हमें 2047 के विकसित भारत का भविष्य दिखाया जा रहा है। और हम बेवकूफ बन सीट दिये जा रहे हैं।
(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)
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