दिल्ली चुनाव और भाजपा : दो घंटे, दो सौ बातें, लेकिन जन मुद्दों पर एक शब्द नहीं!

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार को प्रचार ख़त्म हो गया और अब शनिवार, 8 फरवरी को मतदान होना है। इस दौरान आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा सहित सभी पार्टियों ने कैम्पेन में अपनी पूरी ताकत लगाई है। लेकिन इस बीच जमीनी स्तर पर भाजपा अपने कैम्पेन में दिल्ली के विकास के बजाय सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और दूसरे दलों, खासतौर, से आम आदमी पार्टी के कैम्पेन में हूटिंग पर जोर दिया। अभी अंत तक इसी कोशिश में है। 3 फरवरी को शाम 3 बजे से 5 बजे तक कनॉट प्लेस स्थित पालिका बाजार के गेट नंबर एक के सामने चल रहे राजनीतिक गहमागहमी को देखने पर पता चला कि दिल्ली विधान सभा चुनाव में पिछड़ती भाजपा का पूरा फोकस सांप्रदायिक गोलबंदी पर है। इसके अलावा उसके कार्यकर्ता दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं को धमकाने और हूटिंग पर जोर दे रहे हैं।
पालिका बाजार के गेट नंबर एक के सामने आम आदमी पार्टी के कुछ कार्यकर्ता इकट्ठा हैं और वे लोगों से दिल्ली के विकास पर बात करते हुए आप को वोट देने की अपील कर रहे हैं, तभी भाजपा कार्यकर्ताओं का एक समूह आता है और आप के कार्यकर्ताओं के सामने ‘‘मोदी-मोदी’’ चिल्लाने लगता है। इसके साथ ही वे खुल्लेआम उस नारे को लगा रहे थे, जिसे लेकर भाजपा के केन्द्रीय मंत्री को चुनाव आयोग फटकार लगा चुका है। वे लगातार ‘‘देश के गद्दारों को, .................... को’’ नारा लगा रहे थे। आप कार्यकर्ता उनकी हूटिंग से परेशान थे।
दो वरिष्ठ कार्यकर्ता आपस में चर्चा करने लगे। एक कह रहा था कि यहां से चलते हैं, ये लोग परेशान कर रहे हैं और हमें उकसा रहे हैं। दूसरे कार्यकर्ता ने कहा कि नहीं, यहां हम कैम्पेन करेंगे और देखते हैं कि ये कब तक हूटिंग करते हैं। इस बीच आप की प्रचार गाड़ी वहां से धीमी रफ्तार से जा रही थी। तभी वे भाजपा कार्यकर्ता उसकी ओर दौड़ लगा दिए। वे गाड़ी के आगे जाकर ‘‘मोदी-मोदी’’ करने लगे और गाड़ी पर लगे आप के एक पोस्टर को उखाड़ लिए। आखिरकार गाड़ी वाले को वहां से तेजी से आगे जाना पड़ा। उसके जाते ही आप के पोस्टर को उन्होंने नीचे फेंककर पैरों से कुचल दिया।
वे फिर आप कार्यकर्ताओं के समूह के पास आ गए और आखिरकार आप कार्यकर्ताओं ने अपना समय बर्बाद करने के बजाय वहां से हटना ही मुनासिब समझा। इस बीच आप कार्यकर्ताओं की दूसरी टोली वहां से गुजरती है, जिसमें कई सरदार हैं। वहां पर खड़ी एक महिला ने फोल्ड किया हुआ तख्ती को तेजी से निकाला और आप कार्यकर्ताओं की टोली में साथ-साथ चलने लगी। उस महिला के हाथ में जो तख्ती थी, वह भाजपा के समर्थन में आप सरकार के खिलाफ थी। आप कार्यकर्ताओं ने महिला की उपेक्षा की और वह महिला उनकी रैली में अपना तख्ती दिखाते हुए कुछ दूर तक गई और फिर वापस आकर तख्ती फोल्ड करके गेट नंबर एक के पास खड़ी हो गई।
इस बीच राष्ट्रीय हिन्दू शेर सेना के बैनर तले 20-25 युवाओं का एक समूह आता है। उसमें भाजपा के कार्यकर्ता शामिल थे। वे ‘‘वी सपोर्ट सीएए’’ बैनर लेकर चल रहे थे और भाजपा और मोदी का नारा लगा रहे थे। दूसरे दलों में जाकर हूटिंग करने वाले उसमें शामिल होते हैं और फिर वापस आकर बहुजन द्रविड़ पार्टी के कार्यकर्ताओं को धमकाने लगे।
बहुजन द्रविड़ पार्टी के कार्यकर्ता दक्षिण भारतीय थे और उनक बैनर हिन्दी में था। उनकी तीन साइकिलें थीं। उस पर वे पोस्टर टांगे हुए थे। उनके पास दो दान-पत्र भी था। भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया और हूटिंग करते हुए उन्हें वहां से चले जाने को कहने लगे। जब बहुजन द्रविड़ पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनकी हूटिंग पर प्रतिक्रिया नहीं दी, तो वे धमकाने लगे। यहां तक कि भीड़ को भी यह कहकर उकसाने लगे कि लोग पोस्टर पर लिखे बातों को समझ कर पिटाई करने लगेंगे। उन्हें पीटता देखकर अच्छा नहीं लगेगा, क्योंकि वे दक्षिण भारत से आए हैं और मेहमान हैं। इस पर भी बात नहीं बनी, तो वे वहां इकट्ठा लोगों से कहने लगे कि ये देश को तोड़ रहे हैं, दलितों की सत्ता की बात कर रहे हैं, दलित इस देश का शासक बनना चाहता है।
फिर वे बहुजन द्रविड़ पार्टी के कार्यकर्ताओं को अपमानित करने लगे। एक ने उनका दान-पत्र उठा लिया और उसमें पड़े अस्सी रुपए को दिखाते हुए कहा कि ये लोग अस्सी रुपए से देश को चलाएंगे। एक ने कहा कि वोट के साथ अभी नोट इसलिए मांग रहे हैं कि चुनाव का खर्च निकल जाए। कई तरह से अपमानित करने के बाद भी जब बहुजन द्रविड़ पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उकसावे में आए बिना चुपचाप अपना बैनर लिए खड़े रहे, तो एक भाजपा कार्यकर्ता ने कहा कि इनके दिमाग को बचपन से जातिवादी बना दिया जाता है और यहां से भाजपा वाले कुछ दूर चले गए।
चंद कदम दूर एक व्यक्ति मोदी को हिन्दुओं का मसीहा बताते हुए साम्प्रदायिक गोलबंदी कर रहा था। वह बोल रहा था कि अबतक हिन्दू सो रहे थे, लेकिन अब जागने की जरूरत है। मोदी और शाह के आने के बाद हिन्दुओं को एकजुट होने की जरूरत है। वह बीच-बीच में उन हिन्दुओं को गाली भी दे रहा था, जो मोदी और शाह के खिलाफ हैं। इस बीच अनजान के रूप में उसके दो साथी भी वहां आ जाते हैं और वह उनके साथ धर्म परिवर्तन, कश्मीर, सीएबी पर इस तरह चर्चा करता है, जैसे कि वह आम आदमी के साथ बात कर रहा हो।
उसके साथी, उसकी हां में हां मिलाते हुए धर्म परिवर्तन के उदाहरण दे रहे थे। इस चर्चा से ऐसा माहौल बनाया जा रहा था कि यदि मोदी और शाह के नेतृत्व में दिल्ली में भाजपा की सरकार नहीं बनी, तो हिन्दुओं पर खतरा बढ़ जाएगा। यह शख्स अपने बाप-दादा को गाली देते हुए सभी को अपने बाप-दादा को गाली देने और कसूरवार ठहराने को कह रहा था। वह कह रहा था कि सभी के बाप-दादा ने गलती की, अब युवा हिन्दुओं को मोदी-शाह के साथ आना चाहिए।
इस दो घंटे के अवलोकन में एक बार भी किसी भाजपा कार्यकर्ता या उसकी तरफ से बोलने वालों ने रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और देश की आर्थिक स्थिति पर चर्चा नहीं कीं। एक-दो लोगों ने केन्द्र सरकार की नीतियों की आलोचना की, तो उन लोगों ने उन्हें चुप करा दिया। उनकी इस पॉलिटिक्स में आम आदमी की भागीदारी नहीं दिख रही थी, लेकिन विकास के मुद्दे पर मौन भाजपा इस तरह की पॉलिटिक्स से ही आस लगाए बैठी है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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