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दिल्ली मेयर चुनाव : आप ने फिर शैली ओबेरॉय को मैदान में उतारा, बीजेपी ने अभी नहीं खोले पत्ते

पिछली बार यह चुनाव बेहद संघर्ष और तनावपूर्ण रहा था। इस चुनाव में सुप्रीम कोर्ट तक को दखल देना पड़ा।
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दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए एक बार फिर तैयारी पूरी हो गई है। इसी 26 अप्रैल को एक अहम बैठक होगी। जिसमें उसने मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होने की संभावना है। हालांकि उम्मीद है इस बार का चुनाव शांतिपूर्ण रहेगा क्योंकि पिछले मेयर चुनाव में जिस तरह का तमाशा हुआ था वो लोकतंत्र के लिए चिंताजनक तस्वीर थी। इस बार निगम की सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया है। जबकि बीजेपी ने अभी कोई पत्ता नहीं खोला है वहीं कांग्रेस ने भी अभी कुछ नहीं कहा है। हालांकि पिछले बार कांग्रेस ने खुद को इस चुनावों से अलग ही रखा था।

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस आशय की अधिसूचना बुधवार को जारी की गई।

अधिकारी ने कहा, ‘‘महापौर और उपमहापौर के चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 18 अप्रैल को समाप्त होगी और दिल्ली नगर निगम की आम बैठक 26 अप्रैल को होनी है।’’

मेयर चुनाव के लिए आप की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय और डिप्टी मेयर के उम्मीदवार आले मोहम्मद इकबाल ही है। आप ने अपने पुराने मेयर और डिप्टी मेयर पर ही दांव खेला है। इन्होंने राज्यसभा सांसद संजय सिंह और दिल्ली की शिक्षा मंत्री की मौजूदगी में अपना नामांकन दाखिल कर दिया है।

आप के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने सोमवार सुबह निगम के आगामी मेयर चुनाव को लेकर अपनी पार्टी की उम्मीदवार घोषणा की। मेयर और डिप्टी मेयर उम्मीदवारों के नामों के एलान के बाद दोनों उम्मीदवारों ने पार्टी नेताओं की मौजूदगी में अपना नामांकन दाखिल कर दिया है।

संजय सिंह ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली नगर निगम चुनाव में इस बार भी मेयर पद के लिए डॉ. शैली ओबेरॉय और डिप्टी पद के लिए आले मोहम्मद इकबाल फिर से उम्मीदवार होंगे और आज ही दोनों अपना-अपना नामांकन भी करेंगे। यह फैसला आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता ने सीएम केजरीवाल के काम को देखते हुए एमसीडी में भारी समर्थन के साथ जीताया। बीजेपी प्रयासों में सफल नहीं हो पायी जो करना चाहती थी।

आपको बता दें कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद दिल्ली को नया मेयर का चुनाव होता है । दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 में व्यवस्था है कि दिल्ली में मेयर और डिप्टी मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है। यह वित्त वर्ष के आखिर में यानी कि मार्च में खत्म हो जाता है। इसके साथ ही हर साल अप्रैल महीने में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होता है। पिछली बार अप्रैल 2022 में नगर निगम का चुनाव न होकर दिसंबर में हुआ था। क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों का एकीकरण करने के चलते इस काम में देरी की थी।.यही वजह रही की मेयर शैली ओबराय का कार्यकाल केवल 38 दिन का रहा। फरवरी में डॉ शैली ओबेरॉय मेयर बनी थीं और आले मोहम्मद को डिप्टी मेयर चुने गए थे। अब एक्ट के हिसाब से अप्रैल में चुनाव कराना है।

दिल्ली में मेयर पद के लिए पांच साल के दौरान हर साल के आधार पर चुनाव होता है, जिसमें पहला वर्ष महिलाओं के लिए आरक्षित है, जबकि दूसरा साल मुक्त श्रेणी, तीसरा साल आरक्षित वर्ग के लिए और शेष दो साल फिर से मुक्त श्रेणी के लिए हैं। कल यानी 18 अप्रैल को उम्मीदवारों के नामाकंन का आखिरी दिन है। 26 अप्रैल को चुनाव होना है।

इससे पहले फरवरी में दोनों पदों पर पहली बार चुनाव हुआ था। तब आम आदमी पार्टी की मेयर उम्मीदवार शैली ओबेरॉय ने चुनाव में 150 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी जबकि उनकी विरोधी बीजेपी की रेखा गुप्ता को 116 वोट मिले थे।

इसी तरह डिप्टी मेयर के पद पर भी आप ने जीत हासिल की थी। डिप्टी मेयर के चुनाव में 265 वोट पड़े थे। इसमें 2 वोट अवैध घोषित कर दिए गए थे। आप के आले मोहम्मद इकबाल ने 147 वोट हासिल करके डिप्टी मेयर पद के लिए सीट जीत ली थी। वहीं बीजेपी के उम्मीदवार कमल बागड़ी को 116 वोट मिले थे।

पिछली बार मेयर चुनाव बेहद संघर्ष और तनावपूर्ण रहा था। इस चुनाव में सुप्रीम कोर्ट तक को दखल देना पड़ा था। खासकर बीजेपी और एलजी की भूमिका बेहद जनमत और लोकतंत्र विरोधी दिख रही थी। बीजेपी सदन में संख्या न होने के बाद भी अपना मेयर बनाने की जुगत में लगी थी। सदन के अंदर मारपीट तक हुई जो किसी भी लोकतंत्र के लिए अच्छी तस्वीर नहीं थी। एक मेयर के चुनाव के लिए चार बार सदन बुलाना पड़ा था। इस दौरान भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे। दोनों ही पार्टी एक दूसरे पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगा रही थी। सदन के भीतर काफी नारेबाजी हुई थी। कई बार दोनों पार्टी के पार्षद के बीच हिंसक झड़प भी हुई। आखिर में चौथी बार में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद शांतिपूर्वक वोटिंग हुई थी।

नगर निगम के चुनाव में आप ने 134 वार्ड में जीत के साथ एमसीडी में भाजपा के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया। भाजपा 104 वार्ड जीतकर दूसरे स्थान पर रही, जबकि कांग्रेस ने 250 सदस्यीय सदन में नौ सीट पर जीत हासिल की।

मेयर चुनाव में दिल्ली के कुल 10 मनोनीत सांसदों, 14 मनोनीत विधायकों और 250 में से 241 निर्वाचित पार्षदों ने वोट किया था। जबकि कांग्रेस के 9 निर्वाचित पार्षदों ने मेयर चुनाव का बहिष्कार किया था। इस बार देखना होगा कांग्रेस का रुख क्या रहता है। साथ ही बीजेपी क्या करती है? क्या एकबार फिर वो मेयर पद के लिए दावेदारी करेगी और जो तांडव हमने पिछली बार देखा वैसा ही कुछ होगा या फिर इस बार चुनाव शांतिपूर्ण होगा और समय से दिल्ली को उसका नया मेयर मिलेगा।

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