वामपंथ के सामने चुनौतियां हैं, लेकिन रास्ता भी स्पष्ट है: एमए बेबी

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीआईएम के नवनिर्वाचित महासचिव एम. ए. बेबी ने कहा है कि "कुछ लोग कहते हैं कि कम्युनिस्टों के लिए अब ज़्यादा संभावनाएं नहीं बची हैं। पूरी दुनिया में दक्षिणपंथी ताक़तें मजबूत हो रही हैं। भारत में हमारे सामने मोदी हैं, जिन्हें ट्रंप का भतीजा कहा जा सकता है। लेकिन तस्वीर का यह केवल एक पहलू है। दूसरा पहलू यह है कि पूरे लैटिन अमेरिका में वामपंथी और प्रगतिशील ताक़तें तेज़ी से उभर रही हैं। केरल में एलडीएफ़ ने लगातार शासन कर इतिहास रच दिया है।"
हालांकि उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर वामपंथ के सामने मौजूद चुनौतियों को स्वीकार किया, लेकिन साथ ही यह भी साफ़ किया कि सीपीआईएम की 24वीं पार्टी कांग्रेस ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक स्पष्ट रास्ता तय किया है—जनता से सीखने और उन्हें शिक्षित करने के माध्यम से।
2 से 6 अप्रैल, 2025 तक तमिलनाडु के मदुरै में हुई 24वीं पार्टी कांग्रेस में केरल के नेता एम.ए. बेबी को पार्टी का नया महासचिव चुना गया। पिछले साल सीताराम येचुरी के निधन के बाद पार्टी में महासचिव का पद खाली हो गया था।
इस सम्मेलन में 84 सदस्यीय केंद्रीय समिति का चुनाव किया गया। 85 सदस्यीय केंद्रीय समिति में एक स्थान खाली है।
पार्टी ने बताया कि केंद्रीय समिति की 20 फ़ीसदी सदस्य महिलाएं हैं।
केंद्रीय समिति ने महासचिव के चुनाव के अलावा 18 सदस्यों के पोलित ब्यूरो का चुनाव किया।
पोलित ब्यूरो के सदस्य इस प्रकार हैं–
1. पिनाराई विजयन, 2. बी वी राघवुलु, 3. एम ए बेबी, 4. तपन सेन, 5. नीलोत्पल बसु, 6. मोहम्मद सलीम, 7. ए विजयराघवन, 8. अशोक धावले, 9. रामचंद्र डोम, 10. एम वी गोविंदन, 11. अमरा राम, 12. विजू कृष्णन, 13. मरियम धावले, 14. यू. वासुकी, 15. के. बालाकृष्णन, 16. जीतेंद्र चौधरी, 17. श्रीदीप भट्टाचार्य, 18. अरुण कुमार
पोलित ब्यूरो के सदस्यों में प्रकाश करात, वृंदा करात और माणिक सरकार को विशेष आमंत्रित सदस्यों में शामिल किया गया है।
नए महासचिव ने पार्टी कांग्रेस में अपने भाषण में सभी लोगों से 20 मई को श्रम संहिताओं के ख़िलाफ़ मज़दूरों द्वारा बुलाए गए राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बनाने की अपील की।
पार्टी कांग्रेस में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि "यह पार्टी कांग्रेस सांप्रदायिक ताक़तों के ख़िलाफ़ धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताक़तों के लिए एक बड़ी प्रेरणा का स्रोत बनेगी। यह पार्टी कांग्रेस इतिहास के पन्नों में दर्ज होगी।"
उन्होंने कहा, "देश की सत्ता पर काबिज़ लोग सांप्रदायिक ज़हर घोल रहे हैं। वक़्फ़ से जुड़ा मुद्दा कोई अलग-थलग घटना नहीं है, बल्कि एक सोची-समझी साज़िश का हिस्सा है।"
पार्टी कांग्रेस में वक़्फ़ से लेकर ग़ज़ा तक के संदर्भ में कई प्रस्ताव भी पारित किए गए। इनमें महत्वपूर्ण प्रस्ताव इस प्रकार हैं–
- विभाजनकारी और अन्यायपूर्ण 'वक़्फ़ संशोधन अधिनियम' को अविलंब वापस लिया जाए।
- इज़राइल द्वारा ग़ज़ा पर किए जा रहे जनसंहारात्मक हमलों की कड़ी निंदा
- मोदी सरकार की ‘एक देश, एक चुनाव’ मुहिम का विरोध
- आम जनगणना सहित जाति आधारित जनगणना अविलंब कराने की मांग।
- चुनाव आयोग की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए आवाज़ बुलंद की जाए तथा चुनावों में समान अवसर सुनिश्चित किए जाएं।
- परिसीमन की प्रक्रिया न्यायसंगत और समान रूप से लागू की जाए।
- "जम्मू-कश्मीर में पूर्ण राज्य का दर्जा और लोकतंत्र बहाल किया जाए।"
- "दिव्यांगजनों को सम्मान और न्याय सुनिश्चित किया जाए।"
- "एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय के लोगों के लिए समान अधिकार और सम्मान सुनिश्चित किए जाएं।"
- महिलाओं और बच्चों पर बढ़ती हिंसा के ख़िलाफ़ सख़्त विरोध और प्रभावी कार्रवाई की जाए।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मसौदा विनियमों (Draft Regulations) का विरोध किया जाए।
- सार्वजनिक विद्युत क्षेत्र पर हो रहे निजीकरण के हमलों का विरोध किया जाए।
- अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों को निजी क्षेत्र में भी आरक्षण दिया जाए।
- बुनियादी आवश्यकताओं को मौलिक अधिकारों के रूप में मान्यता दी जाए।
- कृषि मार्केटिंग पर केंद्र सरकार की राष्ट्रीय नीतिगत रूपरेखा वापस ली जाए।
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