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तिरछी नज़र: यही है 'बांको' की असली लड़ाई!

मतलब वही सबकुछ जो एक हाई-स्कूल के ब्रेकअप के बाद होता है, “तेरी फ़ोटो डिलीट कर दी, नंबर ब्लॉक कर दिया, और तेरे गाने भी अनफॉलो"। "मैंने भी कर दिए"।
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तस्वीर केवल प्रतीकात्मक प्रयोग के लिए। साभार : गूगल

पहलगाम की आतंकवादी घटना को बारह दिन हो गए हैं और सरकार जी ने इस बीच 'एक्शन' बहुत लिए हैं। सबसे पहले बिहार गए। आतंकवादियों की निंदा वहीं की। क्यों, क्योंकि वहीं चुनाव हैं। दरअसल सरकार जी की निंदा चुनावों से जुड़ी होती है, जहाँ चुनाव वहाँ भर्त्सना। और अगर पूरे देश में एक साथ चुनाव हो गए? यानी ‘एक देश, एक चुनाव’? तो आतंकवादियों को भी एक साथ टाइमिंग देख कर हमला करना होगा, ताकि सरकार जी एक ही निंदा में सबका हिसाब बराबर कर सकें।

कल्पना कीजिए, देश में हमला हुआ कश्मीर में और सरकार जी तमिलनाडु में मंच से गर्जना कर रहे हैं, “मैं इस मंच से उस घटना की कड़ी निंदा करता हूँ जो तीन साल पहले कश्मीर में घटित हुई थी"। "सो प्लीज, वोट फॉर मी।”

और फिर आता है ‘पानी बंद’ करने वाला कार्ड। जैसे ही घटना हुई, सरकार ने पाकिस्तान का पानी बंद कर दिया। सुनने में आया है, दस दिन से पाकिस्तान में कोई नहाया तक नहीं है। लोग प्यासे मर रहे हैं, जानवरों ने भी आत्महत्या कर ली है। लेकिन गला फाड़ मीडिया ने एक भी ‘प्यास से मरा पाकिस्तानी’ नहीं दिखाया। भई, जब फेक न्यूज में इतनी महारत है तो दो-चार नकली पाकिस्तानी दिखा कर ही कह देते “ये देखिए, इस आदमी को देखिए, इस पाकिस्तानी आदमी को देखिए, इसने पानी की आखिरी बूँद दो दिन पहले पी थी और अब मर गया है। हम आपको प्यास से मरे इस आदमी की एक्सक्लुसिव तस्वीर दिखा रहे हैं ”। पर नहीं, आजकल मीडिया भी ऐसे ‘फैक्ट्स’ से थक चुका है।

सरकार जी ने और भी कड़े कदम उठाए हैं। पाकिस्तान के कुछ न्यूज चैनल भारत में बैन कर दिए। पाकिस्तान ने बदले में बॉलीवुड के गाने बैन कर दिए। जवाबी वार शानदार था, “तुम हमारे चैनल बंद करो, हम ‘बोले चूड़ियाँ’ बंद करे देंगे।” अब दोनों देश बैठ कर एक-दूसरे के म्यूजिक और मीडिया से लड़ रहे हैं। असली युद्ध यही है।

बाकी रूटीन ड्रामा भी हुआ। दूतावास के लोग निकाले, ट्विटर हैंडल ब्लॉक किए, हवाई यात्राएँ रद्द कीं। मतलब वही सबकुछ जो एक हाई-स्कूल के ब्रेकअप के बाद होता है, “तेरी फोटो डिलीट कर दी, नंबर ब्लॉक कर दिया, और तेरे गाने भी अनफॉलो"। "मैंने भी कर दिए"।

अब आते हैं 'दो बांको' में से एक बांके पर। हमारे 'बांके' सरकार जी पर। पहलगाम कांड के बाद अगले ही दिन सरकार जी पूरे जोश में पटना में नीतीश के साथ ठहाके लगाते दिखे। आंध्र प्रदेश में मस्ती, मुंबई में सेल्फी, केरल में जोक्स। और हाँ, दिल्ली में ‘चिंता व्यक्त’ की गई थी, लेकिन उस चिंता में खूब सारी मीटिंग्स थीं और शायद काजू कतली भी शामिल रही होगी। असल में, 'दो बांकों' की यही है लड़ाई। पहले ललकार, फिर घर आकर रस मलाई!

और शाह जी ने भी बोला है, “आतंकवाद को जड़ से खत्म करेंगे”। पर पता नहीं, वे जड़ कब तक तलाशते रहेंगे। और जब तक जड़ मिल नहीं जाती तब तक हम यूं ही शहीद होते रहेंगे।

तो फिलहाल मामला यही है: पहलगाम को बारह दिन हुए हैं, सरकार जी के कई सारे ठहाके। बस अब अगली घटना की प्रतीक्षा है, ताकि अगली निंदा प्लान की जा सके।

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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