कटाक्ष: दाता युद्ध दे, युद्ध दे, युद्ध दे तू !

अब और कुछ हो या नहीं हो, कम से कम गोदी मीडिया को गोदी मीडिया बुलाना तो बंद हो ही जाना चाहिए। टेलीविजन वाले गोदी मीडिया को गोदी मीडिया बुलाना तो एकदम ही बंद हो जाना चाहिए। क्या आपको दिखाई नहीं दे रहा है कि बेचारे कब से गोदी से उतरे हुए हैं? और नहीं तो कम से कम बारह-तेरह दिन बल्कि उससे भी ज्यादा हो गए हैं।
पहलगाम के आतंकवादी हमले के बाद जोश में जो गोदी से नीचे कूद पड़े थे, तो उसके बाद से तो बेचारे बराबर गोदी से दूर ही बने हुए हैं। और सिर्फ गोदी से दूर ही नहीं बने हुए हैं, वहीं से कूद-कूद कर युद्ध की डिमांड भी कर रहे हैं। कोई कश्मीर में पहाड़ों जंगलों में कूद रहा है, तो कोई रेगिस्तानी मैदानों में। और कोई समुद्र में ही कूद-कूद कर नौसेना के प्रहार की अटकलें लगा रहा है।
कूद-कूदकर और युद्ध मांग-मांग कर थक रहे हैं। पर हार नहीं रहे हैं बल्कि छोटे-छोटे ब्रेक के बाद, और भी जोश से उछल-कूद कर रहे हैं। जुबान से दुश्मन पर गोले बरसा रहे हैं। जल, थल, वायु, सब से धावे करा रहे हैं। और तो और सिंधु जल प्रहार भी। बस इंतजार कराए जाने पर शिकायत नहीं कर रहे हैं। गोदी से उतर गए तो क्या हुआ, वे इतना तो समझते ही हैं कि इंतजार ही सही, अगर मोदी जी करा रहे हैं तो, कुछ सोचकर ही इंतजार करा रहे होंगे।
फिर भी युद्ध तो चाहिए ही चाहिए। गोदी मीडिया को भी और भगवा जोशीलों को भी। युद्ध से क्या होगा, क्या नहीं होगा, इससे मतलब नहीं है। युद्ध में क्या होगा, इससे भी कोई मतलब नहीं है। युद्ध में कौन मरेगा, युद्ध में किस पर मार पड़ेगी, युद्ध में किस का नुकसान होगा, इसकी उन्हें कोई परवाह नहीं है। पहले जब-जब युद्ध हुआ था, तब-तब क्या हुआ था, इससे उनका कुछ लेना-देना नहीं है। उन्हें तो बस युद्ध चाहिए।
और जब तक बाहर वालों के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं होता है, तब तक टाइम पास के लिए वो घर के अंदर दुश्मन खोज कर, उनसे दो-दो हाथ कर लेंगे। जैसे कश्मीरी छात्र। जैसे कश्मीरी फेरीवाले। जैसे मुसलमान दुकानदार। जैसे अंदर खोजे गए दुश्मनों के खिलाफ युद्ध करने से रोकने-टोकने वाले। जैसे शहीद नौसैनिक नरवाल की विधवा, हिमांशी या आतंकवादी हमले में अपना पिता खोने वाली आरती मेनन, या आतंकियों के हाथों शहीद हुए किसी और का परिवार। बस एक फर्क है। अंदर खोजे गए दुश्मनों से लडऩे से रोकने-टोकने वाले अभी तक सिर्फ गरियाए जा रहे हैं और वह भी सोशल मीडिया पर। लाठी-डंडे अब भी बाकायदा अंदरूनी दुश्मनों के लिए ही सुरक्षित हैं।
और कश्मीर के कश्मीरी। उनके लिए तो स्पेशल ट्रीटमेंट सुरक्षित है यानी वह ट्रीटमेंट जो बाकी देश में भी कहीं नहीं है। मसलन, योगी जी और उनका अनुकरण करने वाले भगवाई सीएम अब तक, जिस पर शक हो उसके घर पर बुलडोजर चलवाने तक ही पहुंचे हैं। पर कश्मीर में, आतंकवादी होने के शक में बंदों के घर बम से उड़ाए जा रहे हैं। युद्ध की टेक्नीक। मणिपुर के सीएम से बम मारने की कला शाह जी ने सीख ली लगती है। अब कश्मीरियों के घर बम लगाकर ढहाए जा रहे हैं। जो सैकड़ों कश्मीरी पकड़े जा रहे हैं, उसका तो खैर कहना ही क्या!
हम, हमारा देश, हमारी सरकार, हमारे शासक, सब के सब बहुलतावादी हैं। सो वक्त कटी के लिए जो अंदरूनी युद्ध हो रहा है, वह भी एक वचन में नहीं बहुवचन में है। एक ही युद्ध में कई-कई युद्ध हैं। मसलन जो जयश्रीराम वाली भीड़ों के डंडे खा रहे हैं या जिनके दिल-दिमाग सनातनी वीरों की जुबान के चाबुकों से लहूलुहान किए जा रहे हैं, दुश्मन उनके सिवा और भी निकल आए हैं। सही पकड़े, यूट्यूब पर मोदी जी के मन की बात को छोडक़र, अपने मन की बात सुनाने वाले! तभी तो 4 पीएम नाम का तो चैनल ही बंद करा दिया गया। और गायिका नेहा सिंह राठौर से लेकर व्यंग्यकार डा. मेडुसा तक पर एफआईआर हो गयीं। इस तरह मुनादी कर दी गयी, जो कोई मोदी जी, शाह जी, डोभाल जी आदि, आदि से सवाल पूछता पाया जाएगा, सीधा जेल जाएगा। ऐसी कितनी एफआईआर हुई हैं, जाहिर है कि इसका सरकार के पास कोई डेटा नहीं है।
खैर! मोदी जी भी युद्ध की मांग करने वालों को निराश बिल्कुल नहीं कर रहे हैं। सीमा पर न सही, सीमा के आस-पास सही, हमले पर हमले जारी रखे हुए हैं। आखिर, आतंकवादियों के हमले को भले नहीं रोक पाए हों, पर इसका एलान करने में मोदी जी ने कोई कोताही नहीं की कि आतंकवादियों को मिट्टी में मिला देंगे! बिहार की धरती से मोदी जी ने अंगरेजी में आतंकवादियों पर चेतावनी प्रहार किया! गोदी से नीचे उतरे हुए गोदी मीडिया को इसमें आतंकवादियों को उनकी ही भाषा में दिया गया जवाब भी दिखाई दे गया। लोग टेढ़े-मेढ़े सवाल पूछने लगे कि क्या आतंकवादी, किसी अंगरेजी बोलने वाले मुल्क से आए थे? सारे आतंकवादियों का संबंध आखिर में इंग्लैंड-अमेरिका से ही क्यों जुड़ जाता है? रही बात अंगरेजी की चेतावनी की तो, मोदी जी की अंगरेजी अमेरिका वालों ने कितनी समझी यह तो पता नहीं, पर जो उनका रिएक्शन आया, वह मोदी जी की अंगरेजी न समझ पाने जैसा था। कहते हैं कि भारत भी ठीक है, पाकिस्तान भी ठीक है, बस झगड़ा ज्यादा न बढ़ाएं।
बिहार की धरती से चेतावनी देने के बाद, मोदी जी ने पाकिस्तान के पानी पर हमला कर दिया। कारोबार पर हमला। आवाजाही पर हमला। दूतावास के कर्मचारियों की कुल संख्या पर हमला। और भारत में आए हुए पाकिस्तानी नागरिकों पर रातों-रात वापस धकेले जाने का हमला। वैध दस्तावेजों से, वैध तरीके से, सीमा के उस पार से इस पार आए लोगों पर हमला। कम से कम दुनिया को लगना तो चाहिए कि इस इलाके में युद्ध चल रहा है। एक युद्ध का सवाल है बाबा! जो दे, जैसे दे, उसका भला।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोकलहर के संपादक हैं)
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