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“अमेरिकी साम्राज्यवाद आज विश्व शांति के लिए खतरा बन चुका है”

'ऐप्सो' की खुसरूपुर इकाई का हुआ गठन। 'विश्व शांति और वैज्ञानिक चेतना' पर हुआ विमर्श।
AIPSO

खुसरूपुर (पटना): अखिल भारतीय शांति व एकजुटता संगठन (ऐप्सो-AIPSO) की खुसरूपुर इकाई की ओर से केदार भवन में 'विश्व शांति व वैज्ञानिक चेतना'  विषय पर विमर्श का आयोजन किया गया। इस मौके पर खुसरूपुर के विभिन्न जनसंगठनों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।

स्वागत वक्तव्य देते हुए ऐप्सो के पटना जिला महासचिव भोला शर्मा ने कहा "  ऐप्सो विश्व शांति परिषद से जुड़ी अंतर्राष्ट्रीय  संस्था है और इसे संयुक्त राष्ट्र में ऑब्ज़र्वर का दर्जा प्राप्त है। आज पूरी दुनिया में शांति के लिए अमेरिकी साम्राज़्यवाद खतरा बन चुका है। इसके खिलाफ लड़ना हम सबका कर्तव्य है। " 

ऐप्सो के राष्ट्रीय परिषद सदस्य जयप्रकाश ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा " दुनिया में विज्ञान के  बिना देश और समाज की प्रगति नहीं हो सकती। आज धर्म की आड़ लेकर अंध विश्वास और पाखंड को बढ़ावा दिया जा रहा है।  धर्म का गलत इस्तेमाल कर लोगों को लड़ाया जाता है।  पहले राजा को ईश्वर का प्रतिनिधि माना जाता था कि उसके राजनीति को ईश्वर की मर्जी  समझा जाए परन्तु इसे आज भी दूसरे ढंग से लागू करने की कोशिश की जा रही है। बिना वैज्ञानिक चेतना के विश्व शांति की कल्पना नहीं की जा सकती है। शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण ने लोगों का जीवन दूभर बना रखा है। हम सबको इसके खिलाफ खड़ा होना होगा।  पहले सरकारी स्कूलों कॉलेजों में कम पैसे में पढ़ाई का खर्चा निकल जाता था पर आज मेडिकल की पढ़ाई में करोड़ों रुपया खर्च हो जाता है।"

ऐप्सो के बिहार राज्य महासचिव अनीश अंकुर ने कहा "विश्व शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा आज अमेरिकी साम्राज़्यवाद बन चुका है। आज दुनिया भर में अमेरिका के नौ सौ सौनिक अड्डे हैं। इन अड्डों पर बहुत से नाभिकीय क्षमता से लैस है। अमेरिका दुनिया भर में पूरे सैन्य खर्च का अकेले 40 प्रतिशत खर्च करता है। दुनिया में युद्ध इस कारण होता है क्योंकि इससे हथियार का कारोबार चल रहा है। यदि युद्ध नहीं होगा तो फिर हथियार कैसे बिकेंगे? अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के चार्टर को नहीं मान कर मनमानी करता है, धमकाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प आज नरेन्द्र मोदी सरकार  को धमकी देता है कि यदि रूस से तेल खरीदा गया तो भारत को ज्यादा टैरिफ़ अदा करना होगा। वर्तमान केंद्र सरकार ने फिलीस्तीन जिसकी आजादी का हमेशा भारत समर्थन करता रहा है उसके मामले में ज़ब संयुक्त राष्ट्र में वोटिंग होती है तो 149 देशों ने विरोध किया लेकिन भारत उसमें शामिल नहीं रहा इससे भारत की साख पूरी दुनिया में गिर गई है।"

बैकठपुर पंचायत के पूर्व सरपंच विनोद कुमार ने हस्तक्षेप करते हुए कहा " आज अपने आसपास शांति कायम कैसे हो इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।  समाज में आशांति है। आज कोशिश की जा रही है कि खुसरूपुर में किसी प्रकार का राजनीनितिक हलचल न हो। जिस देश को नेहरू, गांधी, सरदार पटेल, आम्बेडकर आदि बड़े नेताओं ने बनाया  उसे आज नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। "

कार्यक्रम की अध्यक्षता वासदेव प्रसाद ने की और कहा कि "हम शांति की बात क्यों करते हैं इसलिए कि दुनिया आग के गोले पर बैठी हुई है। परमाणु बम की संख्या इतनी ज्यादा है कि दुनिया नष्ट हो सकती है। जब सोवियत संघ था तो उसने अमेरिका को यह प्रस्ताव दिया था कि परमाणु हथियारों को कम किया जाये। जब तक हम संगठित नहीं होंगे, संघर्ष नहीं करेंगे शांति नहीं होगी और साम्राज़्यवाद का नाश नहीं किया जा सकेगा। पोलियो, चिकन पॉक्स आदि  बीमारियों को दैविक प्रकोप माना जाता था ऐसा अन्धविश्वास फैला था लेकिन अब विज्ञान ने उसका इलाज खोज लिया है।"

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अंचल सचिव भूषण पांडे ने  कहा " शांति अपने आप में एक महान कार्य है। शांति से विकास होता है जबकि अशांति से विनाश होगा। चौदह सालों तक अमेरिका वियतनाम पर बमबारी करता रहा। क्यूबा को परेशान करता रहा। ऐप्सो इसी शांति के लिए प्रयासरत है। एक ओर लोग खाते खाते मर रहा है जबकि दूसरी ओर भूखे मर रहा है। ऐसे में शांति कैसे होगी। अन्न किसान पैदा करता है लेकिन अन्न के बिना मरता है। कपड़ा फैक्ट्री में बनता है लेकिन मज़दूर के तन पर कपड़ा नहीं रहता है। हमें दो करोड़ लोगों को प्रति साल काम करने का वादा किया गया था लेकिन आज तक नहीं मिला। शांति तब होगा जब सबको कपड़ा, मकान, रोटी मिलेगा। पूंजीवाद को समाप्त कर शांति कायम किया जा सकता है। "

सामाजिक कार्यकर्ता दामोदर महतो, बिपिन सिंह, रामबरण यादव, पंकज कुमार, विनोद कुमार, विपिन पासवान, अनूप कुमार, चंद्रबली यादव आदि ने संबोधित किया। इस मौके पर विभिन्न जनसंगठनों  के प्रतिनिधि मौजूद थे।

 

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