अखिलेश बनाम योगीः यूपी की चुनावी लड़ाई में अब पूजा-अनुष्ठान, तंत्र-मंत्र और जाप की एंट्री!

राजनीतिबाजों की सियासी लड़ाई अब देवी-देवताओं की दहलीज पर पहुंच गई है। देश भर में छह जनवरी 2022 को यूपी में दो धार्मिक अनुष्ठानों की काफी चर्चा रही। इनमें से एक है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं की ओर से कराया जा रहा महामृत्युंजय मंत्र का जाप। दूसरा समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के अपराजेय यज्ञ का अनुष्ठान। सियासी दलों ने बड़ी चालाकी से जनता के बुनियादी मुद्दों को गायब कर दिया है। महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के मुद्दे को तोपन के लिए धार्मिक पाखंड, अनुष्ठा और तंत्र-मंत्र व टोना-टोटका का आडंबर खड़ा किया जा रहा है। यह सभी चीजें ऐसे समय में की जा रही हैं, जब लोगों को अपने पांच साल के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक भविष्य को तय करने का समय है।
उत्तर प्रदेश में सियासी पारा जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे चुनावी लड़ाई तेज होती जा रही है। सत्तारूढ़ भाजपा अपनी लड़ाई समाजवादी पार्टी से मान रही है। यूपी में सत्ता की चाबी हथियाने के लिए सियासी लड़ाई के तौर-तरीकों में पूजा-पाठ, तंत्र-मंत्र, टोना-टोटका के साथ अब जाप का पाखंड भी शामिल हो गया है। राजनीति के अखाड़े में अपराजेय बने रहने के लिए अखिलेश यादव के समर्थकों ने हरदोई के एक दुर्गा मंदिर में पूजा अनुष्ठान और तंत्र मंत्र का सहारा लेना लेना शुरू किया तो, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फौरन काशी विश्वनाथ व कालभैरव मंदिर पहुंच गए। योगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंबी उम्र के बहाने बनारस के काशी विश्वनाथ और कालभैरव मंदिरों में घंटों पूजा अनुष्ठान कराया। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने बनारस के महामृत्युंजय मंदिर के अलावा देश भर के तमाम मंदिरों महामृत्युंजय मंत्र का जाप शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि सियासी दलों के नेता अपने वजूद को बचान के लिए धार्मिक पाखंड अपनाने से नहीं चूक रहे हैं।
मोदी के लिए महामृत्युंजय जाप
उत्तर प्रदेश में विधानसभा का सियासी शतरंज सज चुका है। इस बार के चुनाव में शास्त्र को शस्त्र के तौर पर इस्तेमाल करने की कवायद तेज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब के दौरे के समय उनकी सुरक्षा व्यवस्था में एक चूक का मसला सामने आया तो बीजेपी ने इसे चुनावी मुद्दा ही बना लिया। अगले दिन छह जनवरी को भाजपा कार्यकर्ताओं ने मोदी की हिफाजत के नाम पर उनकी सुरक्षा के लिए देश भर में महामृत्युंजय मंत्र का जाप शुरू करा दिया।
पूजा अनुष्ठान और जाप के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल के लालीघाट स्थित गुफा मंदिर में पहुंचकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप शुरू कराया तो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ आनन-फानन में सीधे बनारस पहुंच गए। आदित्यनाथ ने काशी विश्वनाथ मंदिर में मोदी के दीर्घायु की कामना करते हुए विशेष अनुष्ठान किया। इससे पहले उन्होंने कालभैरव मंदिर में हाजिरी लगाई और पीएम की प्राण रक्षा के लिए घंटों पूजा अनुष्ठान किया। दूसरी ओर, भाजपा के तमाम कार्यकर्ताओं ने मैदागिन के पास महामृत्युंजय मंदिर पहुंचकर महामृत्युंजय का जाप शुरू कर दिया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी की तैयारी अब देश भर में महामृत्युंजय जाप कराने की है। माना जा रहा है कि पांच राज्यों में चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी की यह नई चुनावी मुहिम है। भाजपा को लगता है कि ऐसा करने से भारत की धर्मभीरू जनता में उसके प्रति सहानुभूति बढ़ेगी। साथ ही कांग्रेस के कथित द्वेष को मुद्दा बनाकर वो आसानी से वोट भी बटोर सकेंगे।
धार्मिक नगरी बनारस के मंदिरों में पूजा अनुष्ठान और महामृत्युंजय जाप की शुरुआत इसलिए की गई, क्योंकि हाल के दिनों में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ब्राह्मण समाज के लोगों को खुश करने के लिए परशुराम का विशाल मंदिर और उनका प्रतीक फावड़े को ध्वजा की तरह फहरा दिया था। राजनीतिक पंडितों के मुताबिक, भाजपा को लगता है कि अखिलेश का यह दांव ब्राह्मणों और भूमिहारों में तेजी से असर दिखा रहा है। इसकी काट करने के लिए भाजपा ने जाप का सहारा लिया है। विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय देश के ख्यातिलब्ध ज्योतिषाचार्य हैं। भाजपा के लोगों को यकीन है कि इनकी सलाह पर पार्टी के कई नेताओं ने मुख्यमंत्री तक की कुर्सी हासिल की है। बताया जा रहा है कि प्रो. नागेंद्र की सलाह पर ही सीएम योगी बनारस पहुंचे और कालभैरव व काशी विश्वनाथ मंदिरों में पूजा अनुष्ठान कराया। पीएम नरेंद्र मोदी जब 13 दिसंबर 2021 को बनारस में काशी विश्वनाथ कारिडोर का कालोकार्पण करने आए थे, तब प्रो. नागेंद्र पांडेय की मौजूदगी में ही काल भैरव और विश्वनाथ मंदिरों में पूजा अनुष्ठान कराया गया था।
काशी विश्वनाथ मंदिर में नियमित पूजा-अर्चना करने वाले वैभव कुमार त्रिपाठी कहते हैं, "अपनी सीमाओं को बढ़ाने के लिए पहले राजाओं की ओर से अश्वमेध और राजसूर्य जैसे यज्ञ कराए जाते थे। अब उत्तर प्रदेश के सियासी रणक्षेत्र में भी चुनाव में जीत के लिए यज्ञों और जाप अनुष्ठानों का सहारा लिया जाने लगा है। अगर महामृत्युंजय मंत्रों के जाप की बात कहें तो इसमें महादेव की स्तुति है। शिवपुराण में बताया गया है कि जो व्यक्ति महामृत्युंजय मंत्र का जाप निरंतर करता है, उसके प्राण हरने से पहले यमराज को भी एक बार सोचना पड़ता है। शास्त्रों में कहा गया है कि महादेव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और इसके सामने यमराज को भी हार माननी पड़ती है। लेकिन जब कोई जाप और अनुष्ठान स्वार्थ के लिए किया जाता है तो वह कारगर नहीं होता है। भाजपाई नेता भले ही पीएम मोदी की जिंदगी की हिफाजत को हथियार बनाकर नया चुनावी दांव आजमा रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई लाभ मिलने वाला नहीं है।"
अखिलेश के लिए अपराजेय यज्ञ
बीजेपी के महामृत्युंजय जाप अभियान का जवाब देने में समाजवादी पार्टी के नेता भी पीछे नहीं हैं। अपने नेता अखिलेश यादव की जीत के लिए समाजवादी कुनबा भी अब यज्ञ-अनुष्ठान, तंत्र-मंत्र आदि का सहारा लेने लगा है। ब्राह्मण समुदाय के वोटरों को साधने में जुटे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हरदोई में उसी दिन अपराजेय यज्ञ कराया, जब भाजपा वाले महामृत्युंजय का जाप कराने में जुटे थे। अपराजेय का अर्थ होता है कि जो हार न सके। हरदोई के पौराणिक काली माता मंदिर में अपराजेय यज्ञ को लेकर तरह-तरह की चर्चा है।
हरदोई में समाजवादी पार्टी के नेता आदर्श दीपक मिश्रा की अगुवाई में अखिलेश यादव के लिए अपराजेय यज्ञ का आयोजन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता दुर्गा मंदिर में मौजूद थे। सपा नेता दीपक दावा करते हैं, " हरदोई के पौराणिक काली माता मंदिर में अपराजेय यज्ञ हर हाल में फलीभूत होगा, क्योंकि पूजा-अनुष्ठान का अलग ही महत्व है। यहां की काली माता अपने हर भक्त की गुहार जरूर सुनती हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जीत के लिए इस यज्ञ का आयोजन हर हाल में फलीभूत होगा और वह दोबारा यूपी के सीएम बनेंगे।"
एमपी में भी तेज हुआ पाखंड
मध्य प्रदेश में तंत्र-मत्र और पूजा अनुष्ठान के लिए तमाम मंदिर चर्चा में रहते हैं। यह राज्य उत्तर प्रदेश से सटा है और इस राज्य की सियासत को काफी हद तक प्रभावित भी करता है। भाजपा ने अब जाप और पाखंड को अपनी चुनावी मुहिम का बड़ा हिस्सा बना लिया है। यूपी की सियासत में सेंध लगाने के लिए मध्यप्रदेश के तमाम मंदिरों में पीएम की दीर्घायु के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जा रहा है। आगर मालवा के मां बगलामुखी मंदिर में छह जनवरी 2022 को हवन अनुष्ठान का आयोजन किया गया तो नलखेड़ा स्थित तांत्रिक सिद्धपीठ के रूप में प्रसिद्ध माता के मंदिर में हवन अनुष्ठान हुआ। मान्यता है कि पांडवों ने इस स्थान पर जीत के लिए हवन किया था।
भोपाल के लालघाटी स्थित गुफा मंदिर में पूजा और मंत्र का जाप करने पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज ने मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया, "पंजाब सरकार ने संघीय ढांचे को तार-तार कर दिया। राजनीतिक मतभेद ऐसा नहीं होना चाहिए कि प्रधानमंत्री के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाए। हम यह भी प्रार्थना भी कर रहे हैं कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ईश्वर को सद्बुद्धि दें कि वो देश को संकट में डालने की कोशिश न करें।"
दूसरी ओर, मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीडी शर्मा ने उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में जाप शुरू कर दिया है। महाकाल मंदिर में शर्मा ने करीब आधे घंटे तक महामृत्युंजय का जाप किया। इस दौरान उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया सहित कार्यकर्ता मौजूद थे। घंटों चली पूजा-अर्चना में पीएम मोदी के दीर्घायु और यशस्वी जीवन की कामना की गई। बाद में वीडी शर्मा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, "सोनिया और राहुल के इशारे पर प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा के साथ षड्यंत्र रचा गया। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। चन्नी को नैतिक आधार पर तुरंत पद से इस्तीफा देना चाहिए।
वैसे उत्तर प्रदेश की राजनीति में चुनाव से पहले तंत्र-मंत्र और पूजा-अनुष्ठान की रवायत दशकों से चली आ रही है।
हर नेता शक्ति-भक्ति में लीन
धार्मिक आयोजनों को सरकारी बनाने के लिए सत्तारूढ़ दलों के नेता बड़ी खूबसूरती से अपने दौरे को विकास योजनाओं से जोड़कर सरकारी विमानों और हेलिकाप्टरों का इस्तेमाल करते रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार विनय मौर्य कहते हैं, "मोहब्बत और जंग में सब जायज है। तंत्र-मंत्र, पूजा-जाप से लेकर टोने-टोटका तक। शक्ति से लेकर भक्ति तक। चुनावी जंग में विरोधियों को चित करने की जुगत में जो चल जाए उसे चलाया जा रहा है। साम-दाम और दंड-भेद भी। नेताओं को लगता है कि चुनाव में पैसा बोलता है तो कुंडली भी बोलती है। तीर भी चलता है तो तुक्का भी चलता है। चुनाव आता है तो बनारस के मंदिरों को गोंठन का दौर तेज हो जाता है। यहां चुनाव के समय ज्योतिषियों की चांदी हो जाया करती है, क्योंकि इनके पास नुस्खे हैं, युक्ति हैं, ताबीज और गंडे हैं। सफलता की गारंटी के फंडे हैं। बाबाओं के दरबार में नेताओं के बटुए खुल रहे हैं। किसी को राहू का खौफ सता रहा है तो किसी को केतु का। इन्हें लगता है कि कुंडली पर एक बार सही ग्रह बैठ जाए तो वोटरों को अपनी चाल चलवा देंगे।"
पत्रकार विनय यह भी बताते हैं, "इन दिनों बनारस में ज्योतिषियों की दुकानें सजने लगी हैं। कर्म-कुकर्म पर परदा डालने का ठेका लिया जाने लगा है। भक्ति को गाढ़ा करने के लिए हर नेता शक्ति की शरण में है। राजनीति में कामयाबी के लिए तांत्रियों-ज्योतिषियों की देहरी और मंदिरों को गोंठने की परंपरा इंदिरा गांधी ने शुरू की थी। लालू यादव से लगायत ज्योतिरादित्य सिंधिया तक के अपने ज्योतिषी और तांत्रिक हैं। लोहिया और जयप्रकाश कर्मकांडों को आडंबर मानते थे, लेकिन उनके समाजवादी अनुयायी मंदिर ही नहीं बनवा रहे, बल्कि मजार का कोई कोना नापने में पीछे नहीं हैं। समाजवादी कुनबे में भी ज्योतिष प्रेम बढ़ गया है, इसलिए बंगाली टाइप तांत्रिकों और शुद्धक में भी पूजा-पाठ कराने का माद्दा रखने वाले वाले पंडे-पुजारियों की पूछ बढ़ गई है। उत्तर प्रदेश इलेक्शन मोड में है, इसलिए नेताओं को नाले की वो तमाम ईंटें भी सिद्ध लग रही हैं, जिन्हें सिंदूर पोतकर गली-चौराहों के नुक्कड़ों पर रख दिया गया है।"
वरिष्ठ पत्रकार दयानंद कहते हैं, "पूजा-पाठ से अगर देश में कानून व्यवस्था सुधरने लगे तो पुलिस और सुरक्षा में लगी खुफिया एजेंसियों की कोई जरूरत ही नहीं पड़ेगी। पूजा-पाठ आस्था का विषय है। उसे कानून से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। वैष्णव देवी में जो दुर्घटना हुई, वहां तो सभी पूजा-पाठ करने गए थे, लेकिन उसमें तमाम लोगों की मौत हो गई। धर्म और राजनीति को अलग-अलग रखने की जरूरत है। नंगा सच है कि यह सारा खेल सियासी मुफाने के लिए किया जा रहा है।"
यूपी के सियासत की नब्ज गहराई से टटोलने वाले प्रदीप कुमार कहते हैं, "भारतीय समाज का दुर्भाग्य है कि हम ऐसे रहनुमाओं के सहारे हैं जो लोगों के वैज्ञानिक नजरिये को ही कुंद करने पर उतारू हैं। हाल के तीन दशकों में देश का जो सबसे बड़ा नुकसान हुआ है वह यह कि आजादी के बाद हम क्रमशः जिस वैज्ञानिक और तकनीकी सोच के सहारे विकास के रास्ते पर बढ़ने की कोशिश कर रहे थे, उसे ही ध्वस्त करने की कोशिश की जा रही है। लोकतंत्र की जो बुनियाद सभ्य और आधुनिक सोच पर टिकी होती है, उसकी जड़ों में धर्म और पाखंड का मट्ठा डालना सबसे खतरनाक और चिंताजनक बात है। मिसाल के तौर पर अगर प्रधानमंत्री की कथित सुरक्षा की चूक की घटना को देखा जाए तो पड़ताल और जांच का विषय यह होना चाहिए कि क्या वास्तव में चूक हुई। अगर हुई तो किस स्तर पर हुई और इसका जिम्मेदार कौन है? लेकिन इन मुद्दों को दरकिनार करके मंदिरों में घंटा-घड़ियाल बजाना, यज्ञ करना यह बताता है कि मौजूदा राजनेताओं ने भारतीय समाज को किस अंधेरी सुरंग में लाकर खड़ा कर दिया है।"
(विजय विनीत बनारस स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)
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