योग दिवस पर एक सवाल: जब चारों तरफ़ आग लगी हो तो क्या आप ध्यान लगा सकते हैं!
लाशें सड़ रहीं हों
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो?”

व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई ने कहा था कि जब धर्म के साथ धंधा जुड़ जाता है तो उसे 'योग' कहते हैं।
कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने पूछा था कि--
यदि तुम्हारे घर के
एक कमरे में आग लगी हो
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में सो सकते हो?
यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में
लाशें सड़ रहीं हों
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो?
यदि हां
तो मुझे तुम से
कुछ नहीं कहना है।
…
ऐसे ही कुछ सवाल आज योग दिवस के दिन हर संवेदनशील नागरिक के मन में उठ रहे हैं। मणिपुर लगातार जल रहा है लेकिन प्रधानमंत्री चुप हैं। उत्तरकाशी के बहाने उत्तराखंड को सुलगाया जा रहा है लेकिन प्रधानमंत्री चुप हैं। देश में सांप्रदायिकता के साथ महंगाई, बेरोज़गारी की आग लगी है, लेकिन प्रधानमंत्री चुप हैं। सत्तारूढ़ दल के सांसद और यौन उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ आंदोलन करते-करते पहलवान थक गए लेकिन प्रधानमंत्री ने एक शब्द न बोला। मगर योग दिवस पर देश से लेकर दुनिया तक योग का गुणगान किया जा रहा है। ध्यान-अध्यात्म की महिमा बताई जा रही है। योग को जोड़ने वाला बताया जा रहा है लेकिन तोड़ने वाली कार्रवाई के ख़िलाफ़ एक शब्द नहीं बोला जा रहा। बल्कि इसमें सत्ता खुद पूरी तरह शामिल है। कहने वाले इसे ही हिप्पोक्रेसी यानी पाखंड कहते हैं।
सवाल सर्वेश्वर दयाल के अंदाज़ में वही है कि- आपके घर के एक कमरे में आग लगी हो तो क्या आप दूसरे कमरे में ध्यान लगा सकते हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिन के अमेरिका के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने न्यूयॉर्क से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर वीडियो संदेश जारी कर देश को संबोधित किया। मोदी ने कहा कि योग एक विचार था, जिसे आज दुनियाभर ने अपनाया है। आज योग ग्लोबल स्पिरट बन गया है। योग ने हमेशा से जोड़ने का काम किया है। पीएम संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में होने वाले योग दिवस के विशेष कार्यक्रम की अगुवाई भी करेंगे।
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