उत्तर प्रदेश: अयोध्या में फिर गरमाई मंदिर की राजनीति

लोकसभा चुनाव खत्म होने और केंद्र में बीजेपी की दोबारा सरकार बनने के बाद मंदिर की राजनीति एक बार फिर से गरमाने लगी है। विश्व हिंदू परिषद और शिवसेना की धमकियों के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को अयोध्या पहुंच रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद यह उनका पहला अयोध्या दौरा है।
महंत नृत्य गोपाल दास के 81वें जन्मदिवस समारोह का उद्घाटन करने के बाद सीएम कर्नाटक से लाई गई कोदंब राम की प्रतिमा का अनावरण भी करेंगे। 7 फीट की इस प्रतिमा को राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। इसे अयोध्या शोध संस्थान के शिल्प संग्रहालय में स्थापित किया जाएगा।
महंत के प्रतिनिधि महंत कमल नयन दास के मुताबिक जन्मोत्सव 7 जून से 15 जून तक चलेगा, जिसका उद्घाटन सीएम योगी आदित्यनाथ 7 जून को करेंगे। गौरतलब है कि नृत्य गोपाल दास राम मंदिर न्यास के अध्यक्ष भी हैं। ऐसे में उनके जन्मदिवस समारोह में राम मंदिर का मुद्दा उठने की संभावना है।
बीते दिनों जन्मदिवस समारोह के लिए आयोजित बैठक के बाद संतों ने संकेत दिया था कि इस दौरान राम मंदिर मुद्दे के शीघ्र समाधान के लिए पीएम मोदी से अपील करते हुए एक प्रस्ताव पारित भी हो सकता है।
सांसदों के साथ अयोध्या आएंगें उद्धव
राम मंदिर मुद्दे को लेकर पिछले नवंबर माह में मोदी सरकार को अयोध्या से घेरने के बाद एक बार फिर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने नवनिर्वाचित 18 सांसदों के साथ अयोध्या में रामलला का दर्शन करेंगे। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक उनका दौरा जल्द ही हो सकता है।
वहीं, दूसरी ओर शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने साफ कहा कि इस बार राम मंदिर निर्माण जरूर होगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस बार ऐसा नहीं हुआ तो देश के लोग हम पर विश्वास करना छोड़ देंगे।
उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि इस बार राम मंदिर निर्माण कार्य जरूर शुरू होगा। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो फिर देश की जनता हम पर विश्वास करना छोड़ देगी।' इस दौरान राउत ने संख्याबल गिनाते हुए कहा, अब बीजेपी के पास अकेले 303 सीटें हैं। वहीं शिवसेना के पास 18 और कुल एनडीए की बात करें तो हमारे पास 350 का संख्याबल है। राम मंदिर निर्माण के लिए इससे अधिक और क्या जरूरत है?
माना जा रहा है कि उद्धव के अयोध्या पहुंचने पर मंदिर निर्माण को लेकर कोई बड़ा फैसला हो सकता है। आपको यह भी बता दें कि महाराष्ट्र में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए दोनों सहयोगी पार्टियां शिवसेना और भाजपा खुद को रामभक्त साबित करने में लगी हुई हैं।
विहिप का दावा, 18 महीने में शुरू होगा निर्माण
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अभियान में सबसे आगे रहे विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए इस महीने के आखिर में अपने शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाई है। विहिप का दावा है कि इस परियोजना पर डेढ़ साल में काम शुरू हो जाएगा।
विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने स्पष्ट किया कि उनका संगठन राम मंदिर निर्माण पर 'अनिश्चितकाल तक' इंतजार नहीं करेगा और संगठन ने राजग सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले महीने के भीतर ही नरेंद्र मोदी सरकार को उनके वादे के बारे में 'याद दिलाने' का फैसला किया है।
उन्होंने बताया, 'एक बात स्पष्ट है, विहिप दो मुद्दों पर समझौता नहीं करेगी - पहला, भगवान राम के जन्मस्थान पर सिर्फ मंदिर बनेगा और दूसरा,अयोध्या की सांस्कृतिक सीमाओं के भीतर कोई मस्जिद नहीं हो सकती।'
कुमार ने कहा कि विहिप की 'मार्गदर्शक समिति' इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए 19-20 जून को हरिद्वार में बैठक करेगी और एक प्रस्ताव पारित करेगी जो प्रधानमंत्री मोदी को सौंपा जाएगा।
विहिप नेता ने कहा, 'हम एक प्रस्ताव पारित करेंगे और इसे प्रधानमंत्री को देंगे। हम उन्हें याद दिलाएंगे कि आपके घोषणा पत्र में राम मंदिर निर्माण का वादा किया गया है।'
अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर का निर्माण भाजपा के एजेंडे में शीर्ष मुद्दों में से एक रहा है और लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के सभी घोषणापत्रों में इसका उल्लेख किया गया है।
प्रधानमंत्री ने साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि सरकार न्यायिक प्रक्रिया के परिणाम का इंतजार करेगी।
यह मामला वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के विचाराधीन है जिसने हाल ही में सभी हितधारकों से बात करने और 15 अगस्त को एक रिपोर्ट देने के लिए वातार्कारों की तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की है।
(समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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