सत्ता-कारपोरेट जुगलबंदी के खिलाफ़ किसानों का ऐलान
केंद्र सरकार और आंदोलनकारी किसान नेताओं के बीच शनिवार को हुई वार्ता भी बेनतीजा खत्म हो गयी. सरकार चाहती है कि किसान नेता फिर 9 दिसम्बर को वार्ता के लिए आयें. सवाल उठता है, सरकार 8 दिसम्बर को आयोजित किसानों के 'भारत बंद' को टालने की भी कोई पहल क्यों नहीं करती? वह 'वार्ता' के नाम पर इतना वक्त क्यों ले रही है? तीन क़ानूनों पर किसान अपना मत पहले ही बता चुके हैं फिर इन बेनतीजा पांच चक्र की वार्ताओं का क्या मतलब है? इन सर्द रातों और कोरोना के खतरनाक दौर में सरकार देश के अन्नदाता के साथ ऐसा बर्ताव क्यों कर रही है? वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का विश्लेषण:
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