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नौकरियों के विनियमन की माँग पर आँगनवाड़ी कर्मियों के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मामला दर्ज

राज्य भर में आँगनवाड़ी कर्मचारी बेहतर वेतन और नियमित कर्मी के रूप में मान्यता देने की माँग को लेकर लड़ाई लड़ रही हैं।

Anganwadi Workers

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा आँगनवाड़ी कार्मचारियों के ख़िलाफ़ लगाए गए देशद्रोह के मुकदमे से पूरा देश सदमे में है। ये कर्मचारी सरकार से बेहतर वेतन समेत अन्य सुविधा की माँग शांतिपूर्ण तरीक़े से कर रही थीं। सरकार को इन कर्मचारियों का असंतोष उचित नहीं लगा और पुलिस ने इनके ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से क़रीब 90 किलोमीटर दूर सीतापुर ज़िले में चार आँगनवाड़ी कार्यकर्ता मानदेय में वृद्धि तथा नौकरी के नियमन सहित अपनी अन्य माँगों को लेकर विरोध प्रदर्शनों के आयोजन में सक्रिय रहीं।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने नीतू सिंह, सरिता वर्मा, मंजू वंश्वर और संतोष कुमारी के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के ख़िलाफ़ पारिश्रमिक को लेकर उकसाने, या पारिश्रमिक के लिए षड्यंत्र, या पारिश्रमिक के लिए टकराव की कोशिश) के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

नीतू सिंह राज्यव्यापी आँंगनवाड़ी कार्यकर्ता संगठन महिला आँगनवाड़ी कर्मचारी संघ की ज़िला अध्यक्षा हैं। प्रदेश के सीएम योगी आदित्यानाथ के सीतापुर दौरे के दौरान नीतू सिंह ने 8 दिसंबर को अपने साथी कार्यकर्ताओं के साथ सीतापुर-लखनऊ हाई-वे पर विरोध प्रदर्शन किया था। सीतापुर पुलिस ने सिंह तथा उनके अन्य 29 सहयोगी कर्मचारियों सहित 17 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ दंगा करने तथा आपराधिक मामले के तहत मुकदमा दर्ज किया।

शुरूआत में, नीतू सिंह और उनके साथियों को उसी दिन गिरफ्तार किया गया और उन पर धारा 147, 332, 353 और 506 लगा दिया गया। इसके बाद शनिवार को उन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

इसके बाद स्थिति और खराब हो गई। जब पुलिस को पता चला कि 4 दिसंबर को योगी के दौरे से पहले नीतू सिंह और उनके साथी आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया था, तो पुलिस ने इन कर्मचारियों के ख़िलाफ़ देशद्रोह का आरोप लगाकर आईपीसी की धारा 121 के तहत मुकदमा दर्ज किया।

मामले के जाँच कर रहे अधिकारी सब-इंस्पेक्टर राज बहादुर ने न्यूज़़क्लिक को बताया कि पुलिस शिकायत के आधार पर नीतू और उनके साथियों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 121 ए लगाई गई। बहादुर ने न्यूजक्लिक को बताया कि "आईपीसी की धारा 121 ए शनिवार को प्राथमिकी में जोड़ी गई। प्रदर्शनकारियों को दोनों एफआईआर के आधार पर गिरफ्तार किया गया था।"

वास्तव में 4 दिसंबर को नीतू सिंह के विरोध ने अपनी रचनात्मकता की वजह से राष्ट्रीय सुर्खि़याँ बटोरी। इस दौरान नीतू सिंह ने योगी आदित्यनाथ से सांकेतिक रूप से विवाह किया। बगल में योगी आदित्यनाथ की तस्वीर लगाकर उन्होंने अपने साथी कार्यकर्ताओं के साथ विवाह रचाई। इस तरह का तरीक़ा उन्होंने आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ अनुचित व्यवहार तथा देश को अपनी दुर्दशा से अवगत कराने के लिए अपनाया। .

इस विचित्र आयोजन ने मीडिया को अपनी तरफ़ आकर्षित किया। नीतू सिंह ने गाने बाजे के साथ योगी आदित्यनाथ की तस्वीर को माला पहनाया। सीतापुर में बड़ी संख्या में आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में इस सांकेतिक शादी का आयोजन किया गया। ख़ास बात यह कि 4 दिसंबर को उनके विरोध को लेकर धारा 147 के तहत यानी दंगों से संबंधित आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया।

यहाँ उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि नीतू और उनके सहयोगी कार्यकर्ताओं का विरोध आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा राज्य के व्यापक आंदोलन का हिस्सा है जो राज्य सरकार से बेहतर मानदेय और कामकाजी हालत की मांग कर रहे हैं। अक्टूबर में हजारों आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में धरना दिया और मुख्यमंत्री आवास पर योगी आदित्यनाथ से मिलने की कोशिश की। लेकिन उन पर बर्बरता से लाठियां बरसाई गईं जिससे कई कर्मचारी घायल हो गईं।

इन आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने राज्य की नई भारतीय जनता पार्टी सरकार को अपनी समस्याओं का समाधान करने के लिए चार महीने का अल्टीमेटम दिया था लेकिन आठ महीने गुज़र जाने के बाद भी राज्य सरकार ने उनके लिए कुछ नहीं किया है।

सोमवार को मीडिया से बात करते हुए सीतापुर के एसपी सुरेशराव ए कुलकर्णी ने कहा कि "मैंने पूरे मामले की जाँच का आदेश दिया है। सीतापुर शहर पुलिस स्टेशन के सर्किल ऑफिसर को आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के खिलाफ धारा 121 ए लागू करने की जाँच करने का कार्य सौंपा गया है। जाँच रिपोर्ट के आधार पर उन पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी जिन्होंने उनके ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुकदमा लगाया।

कुलकर्णी ने कहा कि आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ "ग़लती" से देशद्रोह का आरोप लगाया गया है और पुलिस इस आरोप को वापस लेने के लिए अदालत जाएगी। हालांकि, जल्दबाजी में देशद्रोह जैसे बेहद ही गंभीर और सख़्त कानून का इस्तेमाल किया गया वह यूपी में नागरिक स्वतंत्रता की स्थिति को स्पष्ट दर्शाता है।

असंतोष का अपराधीकरण और शांतिपूर्ण विरोध की तरह इसकी सरल अभिव्यक्ति आदित्यनाथ सरकार की एक परिभाषित विशेषता बन गई है। जब से इस सरकार का गठन हुआ है तब से राज्य में लगभग दो दर्जन लोगों को असंतोष व्यक्त करने के चलते गिरफ्तार किया गया है। ये स्पष्ट रूप से अब नागरिक स्वतंत्रताओं पर हमले जैसा दिखाई दे रहा है। सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर राज्य के साधारण निवासियों को गिरफ्तार किया गया और जेल भेजा गया है, जो कि अपमानकारी, आलोचनात्मक, या कुछ मामलों में नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ जैसे लोगों के लिए आक्रामक दिखता है

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