पत्रकार अजीत अंजुम पर FIR सच जानने के अधिकार पर हमला: DIGIPUB

डिजिटल मीडिया संगठनों और स्वतंत्र पत्रकारों की संस्था डिजिपब न्यूज़ इंडिया फाउंडेशन ने पत्रकार अजीत अंजुम के ख़िलाफ़ दर्ज की गई एफआईआर की कड़ी निंदा की है और इसे “स्वतंत्र पत्रकारिता पर सीधा हमला” बताया है।
अपने बयान में DIGIPUB News India Foundation ने कहा–
“डिजिपब न्यूज़ इंडिया फाउंडेशन बिहार के बेगूसराय में स्वतंत्र वरिष्ठ पत्रकार और यूट्यूबर अजीत अंजुम के ख़िलाफ़ दर्ज की गई एफआईआर की कड़ी निंदा करता है और मांग करता है कि यह एफआईआर तत्काल वापस ली जाए।
यह एफआईआर सिर्फ़ एक पत्रकार पर हमला नहीं है, बल्कि स्वतंत्र पत्रकारिता और जनता के सच जानने के अधिकार पर सीधा हमला है।
बेगूसराय में चल रही SIR (मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरक्षण) प्रक्रिया की ज़मीनी रिपोर्टिंग के दौरान, अजीत अंजुम ने वही बातें उजागर कीं जो लोगों ने उनसे साझा की थीं। उनके अनुसार, वह एसआईआर से जुड़ी सच्चाई सामने लाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन ऐसा लगता है कि उनकी यह ईमानदार कोशिश सरकार और प्रशासन को नागवार गुज़री।”
DIGIPUB News India Foundation strongly condemns the FIR filed against independent senior journalist and YouTuber Ajit Anjum. pic.twitter.com/wXWmDgdsWJ
— DIGIPUB News India Foundation (@DigipubIndia) July 14, 2025
बयान में कहा गया है कि “बेगूसराय ज़िला प्रशासन ने एफआईआर से पहले एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अंजुम की रिपोर्टिंग को भ्रामक बताया था। इन अस्पष्ट आरोपों में न तो कोई विश्वसनीयता है, न ही एफआईआर दर्ज करने का कोई ठोस आधार। प्रशासन को चाहिए कि पत्रकारों को सह और सटीक जानकारी दे या या फिर जब पत्रकार ख़ुद मेहनत से तथ्य निकालें तो उन्हें डराने की बजाय उनकी बातों को गंभीरता से सुना जाए”
बयान में यह भी कहा गया कि “अजीत अंजुम ने बिहार में चुनाव आयोग की गाइड-लाइंस के उल्लंघन को भी उजागर करने की कोशिश की—जो कि एक पत्रकार की ज़िम्मेदारी है, कोई अपराध नहीं। लेकिन चुनाव आयोग ने इन सवालों का जवाब देने की बजाय, सच और ग्राउंड रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार पर एफआईआर दर्ज कर दी। इसके माध्यम से
अन्य स्वतंत्र पत्रकारों को भी डराने-धमकारने का प्रयास किया जा रहा है।
यह पूरी प्रक्रिया एक सुनियोजित रणनीति प्रतीत होती है, जिसका उद्देश्य सच को दबाना और संवेदनशील मुद्दों को छुपाना है।
डिजीपब स्पष्ट रूप से कहना चाहता है कि स्वतंत्र पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर इस प्रकार किए गए हमले
लोकतांत्रिक मूल्यों के ख़िलाफ़ हैं। यह मुकदमा दरअसल संस्थागत विफलताओं को छुपाने की साज़िश है, जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। हम इस प्रयास का विरोध करते हैं और अजीत अंजुम के साथ साथ हर उस पत्रकार के साथ खड़े हैं, जो सच बोलने का साहस रखता है।”
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