Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

सर्वे: बिहार में 71.55% दलितों को नई मतदाता सूची में नाम हटने का डर

NACDAOR-TCM ने बिहार में दलित समुदाय के बीच एक व्यापक सर्वे किया है जिसके अनुसार दलितों में महागठबंधन को बढ़त मिल रही है, लेकिन उन्हें चुनाव आयोग पर बहुत कम भरोसा रह गया है। साथ ही SIR को लेकर बहुत डर है।
NACDAOR-TCM

नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स (NACDAOR) और द कन्वर्जेंट मीडिया (TCM) ने बिहार के दलित समुदाय के बीच अब तक का सबसे व्यापक सर्वेक्षण किया है। 18,581 सैंपल साइज के साथ यह सर्वे बिहार को छह क्षेत्रों में बांटकर किया गया – कोसी, मिथिलांचल, सीमांचल, भोजपुर, चंपारण, और मगध-पाटलिपुत्र। सर्वे प्रदेश की 49 विधानसभा सीटों पर किया गया, जिनमें 11 अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित सीटें शामिल हैं। 

नैकडोर के चेयरमेन अशोक भारती और टीसीएम के डायरेक्टर प्रेम कुमार एवं रंजन कुमार ने 18 जुलाई को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स करके इस सर्वे के परिणाम जारी किए और दावा किया कि यह पहल दलित कार्यकर्ताओं द्वारा दलित समुदाय की राय को सामने लाने की अनूठी कोशिश है। इसके लिए 98 कार्यकर्ताओं को पटना, बेगूसराय और दरभंगा में चार प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण और सर्वेक्षण का काम 10 जून से 4 जुलाई तक 25 दिन चला।

प्रमुख निष्कर्ष:

  • महागठबंधन को बढ़त: दलित समुदाय में महागठबंधन को 46.13% समर्थन मिला, जबकि एनडीए को 31.93%.  कोसी (72.33%) और भोजपुर (53.75%) में महागठबंधन की मजबूत स्थिति है, जबकि सीमांचल में एनडीए (42.57%) को बढ़त है। 2020 के विधानसभा चुनाव की तुलना में महागठबंधन का वोट शेयर 0.19% बढ़ा, जबकि एनडीए का 4.6% घटा।
  • महादलितों में नीतीश की पकड़ कमज़ोर : दलितों में नीतीश कुमार के लिए समर्थन घटा है खासतौर से महादलितों के बीच पकड़ कमजोर हुई है। यह इसलिए उल्लेखनीय है क्योंकि बिहार में महादलित की सोच नीतीश कुमार ने ही स्थापित की थी। दुसाध (18.79%) में सबसे कम और बाकी दलित जातियों (महादलित) में नीतीश को समर्थन 20 से 33 प्रतिशत के बीच है।  
  • तेजस्वी यादव की लोकप्रियता: तेजस्वी यादव (28.83%) बिहार में दलितों के सबसे पसंदीदा नेता हैं। दूसरे नंबर पर चिराग पासवान (25.88%) हैं और दलितों में नीतीश कुमार (22.80%) पिछड़कर तीसरे नंबर पर जा पहुंचे हैं। 

  • बेरोज़गारी सबसे बड़ा मुद्दा: सर्वे में 58.85% दलित मतदाताओं ने बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा बताया, विशेष रूप से कोसी (80.51%) और भोजपुर (61.42%) में। शिक्षा-स्वास्थ्य (14.67%) और भ्रष्टाचार (11.21%) भी महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। तेजस्वी यादव द्वारा बेरोजगारी पर लगातार उठाए गए सवालों का प्रभाव दलित समुदाय में स्पष्ट दिखता है।
  • लोकप्रियता में नरेंद्र मोदी को टक्कर दे रहे हैं राहुल गांधी : दलित मतदाताओं में नरेंद्र मोदी (47.51%) और राहुल गांधी (40.30%) की लोकप्रियता स्पर्धी है जिसमें मोदी आगे हैं। मगर, बिहार में कांग्रेस के सीमित प्रभाव को देखते हुए राहुल गांधी को मिल रहा समर्थन बड़ा लगता है। राहुल गांधी आंकड़ों में नरेंद्र मोदी को टक्कर देते दिख रहे हैं।
  • राम विलास पासवान सर्वाधिक पसंदीदा दलित नेता : दिवंगत राम विलास पासवान को 52.35% दलितों ने सबसे बड़ा दलित नेता माना, विशेष रूप से दुसाध (65.37%) और अन्य छोटी जातियों (68.36) में। रविदास/चमार में बाबू जगजीवन राम (47.87%) को प्राथमिकता मिली।
  • जातिगत जनगणना का श्रेय : राहुल गांधी (30.81%) और तेजस्वी यादव (27.57%) को मिलाकर महागठबंधन को 58.38% लोग जातिगत जनगणना का श्रेय देते हैं, जबकि नरेंद्र मोदी को 33.15%। 
  • नीतीश सरकार से असंतोष: नीतीश सरकार के कामकाज को 48.43% दलितों ने खराब बताया, विशेष रूप से भोजपुर (71.10%) और कोसी (68.75%) में। मेहतर/हाडी/वाल्मीकि (54.30%) और पासी (53.03%) में सकारात्मक राय अधिक है।

  • चुनाव आयोग पर भरोसा घटा : केवल 51.22% लोग चुनाव आयोग पर भरोसा करते हैं, जबकि 27.40% इसे निष्पक्ष नहीं मानते। 
  • वोटर लिस्ट को लेकर डर : 71.55% दलितों को नई मतदाता सूची में नाम हटने का डर है, विशेष रूप से रविदास/चमार (83.05%) और पासी (78.84%) में। सीमांचल (78.08%) और कोसी (77.19%) में यह चिंता सबसे अधिक है।
  • आरक्षण की मांग : 82.89% दलित आरक्षण का दायरा बढ़ाने के पक्ष में हैं। आरक्षण की सीमा तोड़ने की राजनीतिक मुहिम का ये असर हो सकता है। 
  • जातिगत रुझान : रविदास/चमार (52.31%) और अन्य छोटी जातियां (57.76%) महागठबंधन का मजबूत आधार हैं। दुसाध (37.34%) और मेहतर/हाडी/वाल्मीकि (35.73%) में एनडीए को समर्थन है।

सर्वे की विशिष्टता: यह सर्वे दलित कार्यकर्ताओं द्वारा दलित समुदाय के बीच किया गया। विश्वसनीयता और प्रामाणिकता की कसौटी पर सटीक इस सर्वे में बिहार की सभी 23 दलित जातियां शामिल हुईं। इनमें 9 प्रमुख जातियां (97.8% आबादी) शामिल हैं जिनमें दुसाध (31%), रविदास (30.72%), और मुसहर (17.08%) प्रमुख हैं। 

सर्वे में उम्मीदवार (44.66%) और पार्टी (32.51%) को मतदान का आधार बताया गया, जबकि जाति (10.09%) का प्रभाव सीमित है। हालांकि पसंद की उम्मीदवार का आधार जातिगत हो सकता है।  

राजनीतिक निहितार्थ : यह सर्वे बिहार की राजनीति में दलित समुदाय की निर्णायक भूमिका को रेखांकित करता है। महागठबंधन की बढ़ती लोकप्रियता, तेजस्वी यादव और राहुल गांधी का प्रभाव, और बेरोजगारी जैसे मुद्दों का उभरना नीति निर्माताओं और राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण संदेश है। 

 

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest