वोटबंदी के ख़िलाफ़ लामबंदी: ‘ये बिहार है’ इस एक वाक्य में छिपी चेतावनी को पहचानिए

“ये बिहार है”, संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जब अपने संबोधन में उक्त बातें कहीं तो वहाँ उपस्थित युवाओं की भारी संख्या ने झंडे लहाराकर एकस्वर से अपने उत्साह का ज़ोरदार प्रदर्शन किया।
मौक़ा था जब देश के चुनाव आयोग द्वारा “एसआईआर” के नाम पर थोपी गयी “वोटबंदी” के ख़िलाफ़ वोट डालने के संविधानिक अधिकार की गारंटी के लिए “राज्यव्यापी चक्काजाम’ में हजारों लोग सड़कों पर उतरे थे।
9 जुलाई’25 को ट्रेड यूनियंस और इंडिया गठबंधन के आह्वान पर पूरे प्रदेश में आम हड़ताल, धरना-प्रदर्शन और ‘चक्काजाम’ कर व्यापक विरोध प्रदर्शन किया गया।
बिहार में अनेक स्थान पर वाम दलों समेत सभी घटक दलों के एक्टिविस्ट ने “वोट बचाओ-सरकार बचाओ, वोटबंदी की सरकार-नहीं सहेगा बिहार, मताधिकार पर हमला नहीं सहेगा बिहार, नीयत गन्दी-वोटबंदी” जैसे नारों के साथ आक्रोश प्रदर्शित किया।
ज़मीन पर जो दिखाई दिया उसके अनुसार ‘चक्काजाम’ असरदार रहा। जो साबित करता है कि इसे राज्य की बहुसंख्यक जनता का भी खुला समर्थन मिला।
ताज़ा अपडेट में चुनाव आयोग द्वारा 60 % पुनरीक्षण फार्म भरवाने के दावों से परे अभी भी ज़मीनी हकीक़त यही है कि पूरे प्रदेश के लाखों-लाख मतदाताओं में भारी संशय व्याप्त है। घर-घर जाकर सरकारी कर्मचारी लोगों से जैसे-तैसे करके फार्म भरवाने की रस्म पूरी कर रहे हैं। जिसकी पावती-रसीद भी नहीं नहीं दे रहे हैं। वहीं, चुनाव आयोग हर दिन के मीडिया अपडेट में दी गई 11 शर्तों को ही अंतिम पुनरीक्षण का आधार बता रहा है।
सत्ता-निर्देशित मीडिया, तमाम अगर-मगर के बावजूद ‘चक्काजाम” को मिले जनसमर्थन की ख़बरों को दरकिनार नहीं कर पायी। ‘राज्यव्यापी चक्काजाम’ को मिले जनसमर्थन से कई स्थानों पर अघोषित रूप से “बन्द” का नज़ारा रहा। कुछेक जगहों पर पुलिस–प्रशासन ने “गिरफ़्तारी और लाठी-चार्ज” की हेकड़ी दिखानी भी चाही मगर आन्दोलनकारियों ने उसे बेअसर कर दिया। कई स्थानों पर ‘रेल-रोको’ आन्दोलन भी किया गया।
राजधानी पटना में ज़बरदस्त विरोध-प्रदर्शन का नज़ारा रह। हज़ारों की तादाद में इंडिया गठबंधन के सभी घटक दलों के कार्यकर्त्ता, सुबह से ही इनकम टैक्स गोलम्बर जामकर चुनाव आयोग के फरमान के साथ-साथ केंद्र-प्रदेश की भाजपा-जदयू सरकार विरोधी नारों से विरोध प्रदर्शित करते रहे।
बाद में इंडिया गठबंधन के केन्द्रीय नेताओं के नेतृत्व में चुनाव-आयोग मुख्यालय के समक्ष ‘विरोध-मार्च’ में चल दिए। जहाँ भारी पुलिस बल तैनात कर बैरिकेटिंग कर दी गयी थी। प्रदर्शकारी मांग करते रहे कि उन्हें चुनाव आयोग से सवाल पूछने के लिए जाने दिया जाय, जिसकी अनुमति नहीं मिलने के विरोध में “पुलिस बैरिकेटिंग स्थल पर ही ‘विरोध-सभा’ की गयी।
‘विरोध-सभा’ को इंडिया गठबंधन के सभी घटक दलों के शीर्ष नेताओं ने संबोधित करते हुए स्पष्ट ऐलान किया कि- ‘बाबा साहब ने संविधान से दिलवाया वोट का अधिकार, छीन रही केंद्र की भाजपा सरकार, नहीं सहेगा बिहार’!
संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संविधान की प्रति हाथ में लहराते हुए आरोप लगाया कि- देश का चुनाव आयोग बीजेपी-आरएसएस जैसी बातें कर रहा है। वो भूल गए हैं कि वे किसी राजनीतिक पार्टी के नहीं हैं। उनका काम संविधान की रक्षा करने का है। मैं राज्य की जनता की ओर से क्लियर मैसेज देना चाहता हूँ कि आपको जो करना है करिए, मगर बाद में कानून आप पर भी लागू होगा। भूलिए मत आप जितने भी बड़े हों कानून आपको नहीं छोड़ेगा। आपका काम बीजेपी के लिए काम करने का नहीं है, आपका काम बिहार की जनता का जो वोट है, बिहार की जनता के दिल के अन्दर जो है उसको पूरा करने का है और आप वह काम नहीं कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के विधान सभा चुनाव में की गयी सत्ता नियोजित धांधली को रेखांकित करते हुए राहुल ने कहा कि- जैसे महाराष्ट्र में चुनाव-चोरी हुआ, वैसे ही अब बिहार में भी चुनाव-चोरी करने की कोशिश हो रही है और यह सिर्फ “वोट-चोरी” नहीं है बल्कि बिहार के युवाओं की भविष्य-चोरी है। इसलिए आज पूरा इंडिया गठबंधन सड़कों पर उतर कर खड़ा है कि हम ये चोरी नहीं होने देंगे।
उन्होंने आगाह करते हुए यह भी कहा कि इनलोगों को मालूम नहीं है कि ‘ये बिहार है’ और बिहार की जनता अपने मताधिकार की चोरी कभी नहीं होने देगी।
विरोध सभा का संचालन करते हुए बिहार इंडिया गठबंधन के नेता तेजस्वी यादव ने जोशीले अंदाज़ में कहा कि- चुनाव आयोग अब चुनाव आयोग नहीं “गोदी-आयोग” हो गया है। बिहार की भाजपा-जदयू और NDA गठबंधन सरकार को ये डर सता रहा है कि वे हार रहे हैं तो चुनाव आयोग को आगे करके उसका इस्तेमाल किया जा रहा है। मोदी-शाह और नीतीश कुमार के इशारे पर बिहार के गरीबों वोटर-लिस्ट से ही काटने की साजिश चल रही है। जो गरीब यहाँ से रोजी-रोज़गार करने बाहर गए हैं, उन लाखों प्रवासी गरीबों का नाम वोटर लिस्ट से काटने की तैयारी हो रही है। तो हम इंडिया गठबंधन के लोग ये बता देना चाहते हैं कि “गोदी-आयोग” की दादागिरी नहीं चलेगी और लोकतंत्र की जननी बिहार की धरती से जो लोग लोकतंत्र को ख़त्म करना चाहते हैं, ये बिहार के लोग हरगिज़ नहीं होने देंगे।
भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि- आज बिहार के करोड़ों लोग मताधिकार से वंचित होने कगार पर खड़े हैं। आज हम सब चुनाव योग मुख्यालय के समक्ष आये हैं “वोटबंदी” के खिलाफ। हम आये हैं यह संकल्प लेने के लिए कि हर क़ीमत पर अपने वोट की रक्षा करेंगे। हर क़ीमत पर बाबा साहब के संविधान की रक्षा करेंगे। आज के अभियान से पूरा बिहार यही संकल्प ले रहा है। चुनाव आयोग जनता की आवाज़ को अनसुनी नहीं करे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से भी अपील है को वो बिहार की जनता की आकांक्षा को संज्ञान में ले। क्योंकि बिहार की जनता ने मन बना लिया है यह बिहार में बदलाव का चुनाव है तो बदलने का वोट डालने से पहले ही जनता को इधर-उधर बिखेरने के लिए चुनाव आयोग की आड़ में ये लोकतंत्रविरोधी फरमान दिया गया है। चुनाव आयोग का काम है मतदाताओं के मताधिकार की गारंटी करना लेकिन अब वह मतदाताओं को ही चुनने का अवैध कृत्य कर रहा है।
अंत में कहा कि- अभी तो ये अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है। सबको ये जान लेना चाहिए कि ‘बिहार जब बोलता है’ तो उसकी आवाज़ पुरे हिन्दुस्तान में सुनाई देती है।
सीपीआई के महासचिव डी राजा ने कहा- हमें हर हाल में संविधान के मूल्य को बचना है। NDA सरकार पूंजीपतियों के इशारे से देश चलाकर जनता और गरीबों से उसके सारे अधिकार छीन रही है।
सीपीएम महासचिव एमए बेबी ने कहा- यह संघर्ष का समय है। NDA शासन निरंकुश बर्ताव कर रह है। इनकी मंशा पूरी नहीं होने देना है।
कार्यक्रम को बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम और वीआईपी नेता मुकेश साहनी ने भी संबोधित करते हुए बिहार की जनता से इंडिया गठबंधन के नेतृत्व में अपने मताधिकार के लिए अडिग रहने का आह्वान किया।
गौर तलब है कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बिहार में चुनाव आयोग की हड़बड़ी पर सवाल उठाया जाना काफी महत्वपूर्ण है। साथ ही मतदाता-पहचान के लिए “आधार कार्ड” इत्यादि को मान्य बनाने का सुझाव भी असंख्य गरीब मतदाताओं के हक़ में है। देखना है कोर्ट की अगली सुनवाई से पहले चुनाव आयोग कहाँ तक बिहार के मतदाताओं को “वोटबंदी” की आशंकाओं का निराकरण कर पाता है!
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार, संस्कृतिकर्मी और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)
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