बेल्जियम में सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ लोग सड़कों पर उतरे

बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में ट्रेड यूनियनों के नेतृत्व में गुरुवार, 13 फरवरी को क़रीब एक लाख लोग सड़कों पर उतरे। वे नई एरिज़ोना गठबंधन सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।
प्रदर्शनकारियों ने मज़दूरों के अधिकारों की रक्षा की माँग की, जिसमें सम्मानजनक जीवन के लिए उचित पेंशन नीति और विरोध करने के अधिकार की सुरक्षा शामिल थी। उन्होंने एक ऐसे समाज की मांग की जो एकजुटता, शांति और सामाजिक प्रगति पर आधारित हो। प्रदर्शनकारियों ने सरकार की "हर कोई खुद के लिए" (every-man-for-himself ) वाली सोच को खारिज कर दिया।
प्रदर्शन में शामिल मज़दूरों ने अपनी रोज़ी-रोटी छिन जाने का डर जताया, लेकिन साथ ही एकजुट होकर खड़े होने की प्रेरणा भी महसूस की। एक इंडस्टील कर्मचारी ने बेल्जियम की वर्कर्स पार्टी (PTB-PVDA) को बताया, "यह देखकर बहुत अच्छा लग रहा है कि इतने सारे लोग—दमकलकर्मी, सैनिक, बाल देखभाल कर्मचारी, गोदाम श्रमिक—साथ आए हैं। यहाँ तक कि मैं अपने पुराने शिक्षक से भी मिला, जो अब रिटायर हो चुके हैं। उन्हें मैंने सालों से नहीं देखा था।"
अगर सरकार की ये नीतियाँ लागू होती हैं, तो मज़दूर वर्ग को बड़ा नुकसान होगा। पेंशन प्रणाली में बदलाव का मतलब होगा कि लोगों को ज़्यादा समय तक काम करना पड़ेगा, खासकर निर्माण और स्वास्थ्य जैसे मेहनत वाले क्षेत्रों में, जहाँ पहले ही काम का भारी दबाव होता है। साथ ही, कार्यस्थल की सुरक्षा कम की जाएगी, ओवरटाइम और रात की शिफ्ट को बढ़ावा मिलेगा, और मज़दूरों के लिए ज़रूरी सामाजिक सेवाओं में कटौती होगी।
"मेडिक्स फॉर द पीपल" (MPLP-GVHV) की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य सेवाओं को लगभग 50 करोड़ यूरो का नुकसान होगा, और वास्तविक ज़रूरत से 1.5 अरब यूरो कम मिलेगा। यह तब हो रहा है जब सरकार दावा कर रही है कि स्वास्थ्य सेवाओं का बजट स्थिर रहेगा या बढ़ेगा। इस कटौती का सीधा असर मज़दूरों और मरीज़ों पर पड़ेगा। पहले से ही भारी दबाव झेल रहे स्वास्थ्य कर्मचारी और ज़्यादा तनाव में आएँगे, जबकि मरीज़ों को खराब और महंगी सेवाओं का सामना करना पड़ेगा। यही हालात अन्य क्षेत्रों में भी देखने को मिलेंगे, जबकि अमीरों पर इसका कोई असर नहीं होगा।
एरिज़ोना सरकार ट्रेड यूनियनों को कमजोर करने की भी योजना बना रही है। सरकार "आर्थिक क्षति को रोकने" की बात कह रही है, लेकिन असल मकसद यूनियनों को कानूनी झंझटों में फँसाकर उनकी ताकत कमज़ोर करना है। PTB-PVDA के अनुसार, "यूनियनों को उनके प्रदर्शनों के आर्थिक प्रभाव के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा, जिससे वे महंगे और समय लेने वाले कानूनी मामलों में उलझ जाएँगी। इससे उनके पास मज़दूरों के लिए लड़ने का कम समय और संसाधन बचेंगे।"
मज़दूरों के अधिकारों पर ये हमले चौंकाने वाले नहीं हैं, क्योंकि बेल्जियम के मज़दूर पहले ही बार्ट डी वीवर की सरकार के खिलाफ नाराज़गी जता चुके हैं। इन विरोध प्रदर्शनों को स्वास्थ्य और शिक्षा कर्मचारियों, अंतरराष्ट्रीय एकजुटता संगठनों, नागरिक समाज संगठनों और युवाओं का समर्थन मिला है। सरकार सार्वजनिक विरोध को भी सीमित करने की योजना बना रही है। PTB-PVDA ने चेतावनी दी, "सामाजिक नीतियों को नष्ट करने की अपनी योजना को लागू करने के लिए, एरिज़ोना सरकार बेल्जियम में लोकतांत्रिक अधिकारों पर अभूतपूर्व हमला कर रही है। इसका मकसद साफ है—विरोध को कमज़ोर करना और उसे चुप कराना।"
लेकिन सामाजिक संगठन लड़ाई के लिए तैयार हैं। इस हफ्ते के विरोध प्रदर्शन के बाद, वे पहले ही 8 मार्च (अंतरराष्ट्रीय महिला श्रमिक दिवस) और 31 मार्च को आम हड़ताल जैसी नई कार्रवाइयों की घोषणा कर चुके हैं।
साभार: Peoples Dispatch
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Brussels: 100,000 Protest Against Arizona Coalition’s Austerity
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