ग्राउंड रिपोर्ट : मलेरकोटला की अनाज मंडी में गूंजे प्रतिरोध के नारे

मलेरकोटला (पंजाब): रविवार दोपहर को, मलेरकोटला की अनाज मंडी में गतिविधि अपने ज़ोर-शोर पर थी – ट्रैक्टरों पर लदे अनाज के साथ नहीं, बल्कि हज़ारों किसान अपनी यूनियन के साथ झंडे लेकर आ रहे थे। बदलाव के लिए, इस बार फसल की पैदावार की सामान्य बोली-प्रक्रिया को सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रतिरोध के नारों की गूंज में बदल दिया गया था। बिचौलिये, जिन्हें अक्सर फसल की क़ीमतों पर बोली लगाने में व्यस्त देखा जाता था वे किनारे पर खड़े थे।
अवसर था नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) के ख़िलाफ़ एक विशाल रैली का। राज्य भर से आए किसानों, छात्रों और मज़दूरों ने बड़ी तादाद में हिस्सा लिया था।
विरोध स्थल का चुनाव - पंजाब की सबसे बड़ी अनाज मंडी का मैदान था जो अपने आप में महत्वपूर्ण था।
भटिंडा के पूर्व किसान झण्डा सिंह ने कहा, "हम यहां नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लिए गए फ़ैसलों के ख़िलाफ़ अपना विरोध दर्ज कराने आए हैं। पंजाब का किसान सीएए-एनआरसी को स्वीकार नहीं करेगा।"
वामपंथी-झुकाव वाले मज़दूर मोर्चों, किसान यूनियनों और छात्रों की यूनियनों सहित 15 संगठनों ने रैली में भाग लिया, जिसमें लगभग 75,000 प्रदर्शनकारियों की भागीदारी रही। दिल्ली के शाहीन बाग़, जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रतिनिधि भी एकजुटता दिखाने आए थे।
Thousands of farmers have gathered in a peaceful protest at Malerkotla, Punjab, with delegations from across the region including #ShaheenBagh. We stand in solidarity ✊?✊?#IndiaAgainstCAA_NPR_NRC #CAA_NRC_NPR #CAA pic.twitter.com/4McdMk6H3O
— Shaheen Bagh Official (@Shaheenbaghoff1) February 16, 2020
पटियाला में स्थित विश्वविद्यालय के एक छात्र हरजीत ने कहा, ''यह सरकार हर उस व्यक्ति को 'देशद्रोही' करार देती है जो उसकी आलोचना करता है। हम चुप नहीं रहेंगे। सिर्फ मुसलमान ही नहीं, हम भी कानून से सहमत नहीं हैं और इसका विरोध करेंगे।”
पटियाला के एक अन्य छात्र कुलदीप ने कहा, “प्रधानमंत्री कहते हैं कि प्रदर्शनकारियों को उनके कपड़ों से पहचाना जा सकता है। तो पंजाब आओ और देखो कि सिख और मुसलमान किस तरह से कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, और आपके द्वारा लाए गए भेदभावपूर्ण कानून का विरोध कर रहे हैं।”
दिसंबर 2019 में सीएए की घोषणा के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे, मलेरकोटला, पंजाब का एकमात्र मुस्लिम-बहुल शहर है, जो अब भेदभावपूर्ण क़ानून के ख़िलाफ़ प्रतिरोध का केंद्र बन गया है। 7 जनवरी से दिल्ली में चल रहे और खास कर महिलाओं के नेतृत्व में शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन ने इसको प्रेरित किया है। इसने राज्य के अन्य शहरों जैसे लुधियाना, जालंधर और मनसा में 24x7 धरने को प्रेरित किया है।
मलेरकोटला में रहने वाले शिक्षक आरिफ़ इदरीस ने सिखों और मुसलमानों के बीच आपसी भाईचारे की भावना के बारे में बताया कि उनका मानना है कि उसका मज़बूत और प्रतिष्ठित इतिहास है, ख़ासकर मालेरकोटला में।
उन्होंने कहा, "यह भाईचारा उस समय से है, जब मालेरकोटला के नवाब शेर मोहम्मद खान ने सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह के बेटों को ईंट से जिंदा मारने के फैसले का विरोध किया था।" उन्होंने कहा कि सिख समुदाय ने बाद में उनकी याद में एक गुरुद्वारा बनवाया जिसका नाम हा दा नरा साहिब रखा – जोकि रविवार की सीएए-एनआरसी विरोधी विशाल रैली के स्थल से केवल कुछ किलोमीटर की दूरी पर है।
इदरीस ने आगे बताया कि यह इतिहास वह इतिहास है जिसने विभाजन काल के दौरान मलेरकोटला में स्थानीय समुदाय को खून नहीं बहाने दिया गया था, जो उनके अनुसार, यह उन कुछ शहरों में से एक था जहां हिंसा का निशान नहीं था।
इदरीस ने न्यूज़क्लिक को बताया, "इस तरह के इतिहास वाला शहर उस वक़्त शांत नहीं बैठ सकता है, जब ऐसा काला कानून लाया गया हो जो 1947 के आतंक और भाय की याद दिलाता है।"
इसी तरह की भावनाओं को अन्य प्रदर्शनकारियों ने भी साझा किया गया, जो पंजाबी में नारे लगा रहे थे, "भाई-भाई को लड़ने नहीं देंगे, 1947 बनने नहीं देंगे।"
सांप्रदायिक सद्भाव के इस उत्सव के बीच, जो लगातार मंच पर उजागर हो रहा था, बड़ी मजबूती से आर्थिक मुद्दों को भी उठाया गया।
सिमरन, जो दूसरे वर्ष की बी.ए. की छात्रा हैं और लुधियाना से हैं, ने न्यूज़क्लिक को बताया, “हमारे कॉलेज में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं। नौकरियां भी नहीं हैं। हालांकि, सरकार इस तरह के सवालों को कभी भी संबोधित नहीं करती है।" उन्होंने मोदी सरकार पर अपनी ज़िम्मेदारियों से भागने का आरोप भी लगाया।
भारतीय किसान यूनियन (एकता) (उगराहन) के गुरदेव सिंह ने कहा, "किसानों को अभी भी अपनी पैदावार के बदले में पर्याप्त दाम नही मिल रहा है। पिछले वर्षों में भारी कर्ज के कारण मेरे पिंड (गाँव) में कई आत्महत्याएँ हुई हैं। इन समस्याओं को हल करने के बजाय, सरकार ऐसे कानूनों को लाकर हमारी आजीविका के मुद्दों से ध्यान हटा रही है।”
सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया कि सीएए-एनआरसी के साथ इन मुद्दों पर सार्वजनिक सभा और नुक्कड़ नाटक महीने के अंत तक जारी रहेंगे।
उन्होंने कहा, ''हम हर गाँव में जाएंगे और भेदभावपूर्ण सीएए-एनआरसी के बारे में लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाएंगे और साथ ही साथ उनकी आजीविका से जुड़े सवालों पर उनके साथ बात करेंगी। इन ज्वलंत मुद्दों को उठाना और लोगों के अलग-अलग सामाजिक तबके को जोड़ना, समय की ज़रूरत है।
यह याद रखना चाहिए कि पंजाब के किसान नियमित रूप से दिल्ली के शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन में भाग लेते रहे हैं, और अपनी एकजुटता व्यक्त करते रहे हैं ताकि धर्म के आधार पर नागरिकता देने का विरोध खासकर सीएए के ख़िलाफ़ विरोध मज़बूत हो सके।
अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
Ground Report: When Malerkotla’s Anaj Mandi Resounded with Slogans of Resistance
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