गेस्ट टीचर्स ने अब सीधे केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोला, राजनाथ के घर का होगा घेराव

पिछले 16 दिनों से दिल्ली के 22 हज़ार गेस्ट टीचर 60 साल की पॉलिसी की मांग को लेकर लगातर सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं, और पिछले सात दिनों से दिल्ली भाजपा कार्यालय के बाहर अपना विरोध जता रहे हैं। इससे पहले दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर के बाहर, फिर उप राज्यपाल के घर के बाहर धरना-प्रदर्शन किया लेकिन शिक्षकों की समस्या का कोई हल नहीं निकला। इस दौरान आंदोलन के समर्थन में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी आए, उन्होंने आश्वसन दिया कि वो एलजी से बोलकर उनसे स्थायीकरण की पॉलिसी पर साइन करा पास करा देंगे,लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इससे नाराज़ शिक्षकों ने भाजपा कार्यालय घेरने का निर्णय किया और पिछले कई दिनों से वहीं सड़कों पर बैठे हैं।
प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का कहना है कि पहले यह कहा जा था कि दिल्ली सरकार पॉलिसी नहीं बना रही है लेकिन अब यह साफ हो गया है दिल्ली सरकार ने पॉलसी ड्राफ्ट कर एलजी के पास भेज दिया है, लेकिन वो इसे साइन नहीं कर रहे हैं, एलजी केंद्र के प्रतिनिधि हैं और केंद्र में भाजपा की सरकार है और उसके इशारे पर काम कर रहे हैं। इसलिए हम भाजपा के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। स्थिति सुधरने की जगह और खराब हो रही है।
शिक्षकों ने बताया कि जब उन्हें हटाया गया था उससे पहले के महीने यानी उन्हें फरवरी महीने की सैलरी भी नहीं मिली है, ऐसे में कई शिक्षकों के लिए अब अपना घर चलाना भी मुश्किल हो गया है।
ऐसे ही एक शिक्षक हैं राजमणि, जिनकी उम्र तकरीबन 35 वर्ष है, उनका 5 लोगों का परिवार है और वो 2012 से पूर्वी दिल्ली के स्कूल में पढ़ा रहे थे, लेकिन पहला झटका तब लगा जब अचानक उन्हें खबर मिली कि अब उनकी नौकरी चली गई है, लेकिन उन्हें नहीं पता था की इसका प्रभाव अभी से उन्हें देखने को मिलेगा। आज 16 मार्च हो गया लेकिन उन्हें अब तक फरवरी महीने की सैलरी नहीं मिली है। ऐसे में घर चलाना भी मुश्किल हो गया। उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह 10 मार्च को उनके बच्चे का जन्मदिन था और इसके लिए उन्होंने पिछले महीने ही एक गिफ्ट ऑनलाइन बुक किया था लेकिन जब वो घर पर डिलवरी देने आए तो उनके पास पैसा नहीं था कि वो इसकी डिलीवरी ले सके, इसलिए उन्होंने उसे वापस भेज दिया।
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ऐसी ही कई कहानियां और दर्द लिए शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन उनके जज्बे में कोई कमी नहीं आई है। आज भी वही जोश और जज़्बा कायम है जो एक मार्च को था। एक शिक्षक ने कहा की किसी भी अंदोलन में सफलता बिना कुर्बानी के नहीं मिलती। हमने आज़ादी के आंदोलन में भी कुर्बानियां दी तभी हम आज़ाद हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा में जो आज शिक्षकों के लिए 60 साल की पॉलिसी आई उसके लिए भी वहां के शिक्षकों ने एक लंबा संघर्ष किया है तब जाकर आज वहां के शिक्षकों को नौकरी की सुरक्षा मिली है। इसलिए हमें और हमरे साथियो को कई तरह की समस्या है लेकिन हमारे संघर्ष की धार में कोई कमी नहीं आएगी।
प्रदर्षनकारी शिक्षकों का कहना है की आप और भाजपा हमारे साथ खेल रही है ,हमारे समस्या के हल के बजाए एक दूसरे के कोट में पास कर रही है
इससे पहले 11 मार्च को शिक्षकों ने जब भाजपा मुख्यालय जाकर भाजपा नेताओ से मिलने की कोशिश की तो उस दौरान पुलिस ने भी उन्हें खदेड़ने के लिए हल्के बल का प्रयोग किया। इस कारण कुछ शिक्षकों को चोटें भी आईं। सोमवार को प्रदर्शन करने के लिए शिक्षक दिनभर भटकते रहे, इसके बाद देर शाम मनोज तिवारी ने शिक्षकों से आधे घंटे के लिए मुलाकात की। उन्होंने शिक्षकों को बताया कि कैबिनेट नोट पर हस्ताक्षर कर उपराज्यपाल ने आगे सक्षम अधिकारी के पास भेज दिया है। वहीं, 31 अगस्त तक शिक्षकों का अनुबंध बढ़ाने की बात भी कही। लेकिन शिक्षक इससे संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने कहा जबतक उनको स्थायी नहीं किया जाएगा तब तक वो सड़कों पर प्रदर्शन करते रहेंगे। इसके बाद शिक्षकों ने अपना विरोध जताने के लिए 14 मार्च को भाजपा मुख्यालय के समक्ष अर्धनग्न होकर विरोध जताया।
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शिक्षकों ने रविवार, 17 मार्च को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के घर का घेराव करने का निर्णय किया है। शिक्षकों ने कहा कि अगर हमारी समस्या का हल नहीं होता तो वो आने वाले चुनावों में भाजपा और रोजी-रोटी छीनने वाली सरकारों और दलों के खिलाफ प्रचार करेंगे।
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