अफ्रीकी नागरिकों को नरभक्षी मानना क्या नस्लवाद नहीं है?

दिल्ली के द्वारका में अफ्रीकी नागरिकों पर हमले का प्रयास हुआ, जिसमें वह बाल बाल बचे। गुरुवार रात को यह प्रयास तब हुआ जब इस इलाके में यह अफवाह फैली कि इन अफ्रीकी नागरिकों ने बच्चा चोरी किया है और वह नरभक्षी हैं। पुलिस का कहना है कि यह खबर बिलकुल झूठी थी।
यह उत्तरी द्वारका के हरी विहार, काकरोला में शाम की घटना है। बताया जा रहा है कि इन लोगों में 4तंज़ानिया की महिलाएं हैं और 2 नायजीरियन पुरुष हैं और यह लोग पिछले 10 महीने से इस इलाके में रह रहे थे।
हुआ यह है कि इलाके में यह खबर फैली की इन अफ्रीकी लोगों ने बच्चा चोरी किया है और यह नरभक्षी हैं। इसके बाद इन लोगों के घर के सामने 200 से 250 लोगों की भीड़ इकठ्ठा हो गई। अफ्रीकी नागरिकों का कहना है कि यह लोग दरवाज़ा पीटने लगे और कहने लगे कि जो बच्चा चोरी किया है उसे वापस दो।
पुलिस के मुताबिक उन्हें शाम 6.30 बजे इसकी सूचना मिली और वह जल्द ही वहाँ पहुँचे। पुलिस ने लोगों को वहाँ से हटाया और अफ्रीकी लोगों को बचाने में कामयाब हुए। इसके बाद वह सभी 6 अफ़्रीकियों को अपने साथ पुलिस स्टेशन ले गए। इस मामले में फिलहाल जांच जारी है। लेकिन पुलिस ने मामले के नस्लवादी होने से इंकार किया है।
इसके उलट सामाजिक कार्यकर्ता और भाकपा माले की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा “दिल्ली पुलिस कह रही है कि ये नस्लवादी हमला नहीं था - पर अफ्रीकी लोगों को नरभक्षी मानना, साफ नस्लवाद है, और कुछ नहीं। और बच्चा चोरी के अफवाह के चलते हमारे देश में बार बार ऐसे लोगों की भीड़-हत्याएं हो रही हैं, जो 'बाहरी' माने जाते हैं, चाहे वे अल्पसंख्यक हों, प्रवासी हों,मानसिक रूप से विकलांग हों, टूरिस्ट हों, चाहे विदेशी हों। अफ्रीकी लोगों पर नस्लवादी हमले दिल्ली,बेंगलुरु, पंजाब, गोवा और अन्य जगह बार बार हुए हैं। पर तब भी केंद्र और राज्य सरकारें ऐसे पूर्वाग्रहों और हिंसा के खिलाफ क्यों नहीं प्रचार चलाती, उनकी चुप्पी शर्मनाक है, चाहे वह भाजपा की सरकार हो चाहे आम आदमी पार्टी की।’’
दिल्ली में अफ्रीकी नागरिकों पर इस तरह के हमले लगातार होते रहे हैं। अक्टूबर 2017 में एक वीडियो सामने आया था जिसमें देखा जा सकता है कि एक अफ्रीकी नागरिक को पोल से बाँधकर लोग बुरी तरह पीट रहे हैं। यह वीडियो दिल्ली के सावित्री नगर का है और इस व्यक्ति पर चोरी का आरोप था। पुलिस ने बाद में वहाँ के नागरिकों की जांच भी शुरू की थी।
पिछले साल मार्च में ग्रेटर नोएडा में 9 अफ्रीकी नागरिकों पर हमला हुआ। आरोप था कि वहाँ पर रहने वाले12वीं कक्षा के एक छात्र को उन्होंने नशीले पदार्थ दिये थे जबकि जांच में ऐसा कुछ भी साबित नहीं हो पाया था।
मई 2016 में भी इसी तरह 6 अफ्रीकियों पर दिल्ली के छतरपुर में हमला हुआ था। मई 2016 में ही एक बहस के बाद 3 लोगों ने एक अफ्रीकी नागरिक को दिल्ली के वसंत कुंज में इतनी बुरी तरह पीटा , कि उसकी मौत हो गयी।
अक्टूबर 2014 में एक अफ्रीकी व्यक्ति को इसी तरह राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर तीन लोगों द्वारा पीटा गया। मेट्रो स्टेशन के कैमरे में कैद इस घटना में देखा गया कि कोई भी इन्हे बचाने नहीं आया।
इसी तरह जनवरी 2014 में आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री सोमनाथ भारती पर यह आरोप लगा कि उन्होंने दिल्ली के मालवीय नगर में खिड़की गाँव में एक रेड के दौरान अफ्रीकी महिलाओं के साथ बदसलूकी की।
घटनाओं की यह सूची दिखती है कि अफ्रीकियों के खिलाफ नस्लवादी घटनाएँ दिल्ली में लगातार हो रही हैं। जानकार इसकी वजह आम लोगों में और राजनीतिक पार्टियों दोनों में अफ्रीकी लोगों के खिलाफ नस्लवादी पूर्वाग्रहों को बताते हैं। साथ ही सरकारों का इन घटनाओं पर उदासीन रवैया इस समस्या को और भी गंभीर बना रहा है।
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