झारखंड में ‘ऑपरेशन कमल’ के ख़िलाफ़ उठी आवाज़ें

“कोरोना आपदा को अवसर में बदलने का राजनितिक काम एकमात्र भाजपा ने किया है। पिछले साल के महामारी काल में जब लोग संक्रमण से जूझ रहे थे तो उस समय मोदी सरकार व्यस्त थी मध्य प्रदेश की गैर भाजपा सरकार को पलटने में। उसी समय से झारखंड में हम लोग भी आशंकित होने लगे कि यहाँ की सरकार को कब तक टिकने दिया जाएगा। देखिये उसकी प्रैक्टिस शुरू हो गयी”।
जंगल बचाओ अभियान से जुड़े युवा आदिवासी एक्टिविस्ट जेवियर कुजूर ने झारखंड प्रदेश में हेमंत सोरेन सरकार के विधायकों की खरीद फरोख्त प्रकरण से उठे सियासी बवंडर पर प्रतिक्रिया देते हुए यह बातें कहीं।
सनद हो कि मानसूनकाल में भी झारखंड प्रदेश का सियासी पारा इन दिनों किस क़दर गर्म हो चला है, सत्ता और विपक्ष के नेताओं के तीखे आरोप प्रत्यारोपों के बयानों में यह देखा जा सकता है। हेमंत सोरेन सरकार ने भाजपा पर सीधा आरोप लगाया है कि वह मध्य प्रदेश की तर्ज़ पर ‘ ऑपरेशन कमल’ चलाकर झारखंड की गैर भाजपा सरकार को विधायकों की खरीद फरोख्त का कुचक्र कर अपदस्त करने की साजिश कर रही है।
प्रदेश भाजपा ने भी पूरे मामले की एसआईटी जाँच की मांग कर आरोप को सिरे से खारिज किया है। साथ ही राज्य सरकार पर ही आरोप लागाया है कि वह विकास के मोर्चे पर अपनी नाकामी छुपाने के लिए यह सब नाटक कर रही है।
वैसे अब तक का पूरा घटनाक्रम किसी सिनेमाई अंदाज़ से कम नहीं प्रतीत होता है। 24 जुलाई को मीडिया की खबर से प्रदेश के लोगों को ये ज्ञात होता है कि राजधानी रांची के एक रसूखदार होटल में पुलिस ने छापा मारकर हवाला कारोबार से जुड़े कुछ लोगों को भारी रक़म के साथ गिरफ्तार किया है। पुलिस पूछताछ के दौरान जब बात और अधिक खुलती है तो वह एक सियासी बवंडर का ही रूप ले लेती है। क्योंकि पुलिस को दिए बयान में वे बताते हैं कि महाराष्ट्र के एक भाजपा विधायक द्वारा भेजे गए चार लोगों के साथ वे यहाँ होटल में ठहरे हुए थे और बरामद हुई रकम हेमंत सोरेन सरकार से जुड़े विधायकों को भाजपा के पाले में मैनेज करने के लिए लाई गई थे।
वे यह भी बताते हैं कि झारखंड सरकार के तीन विधायकों (दो कांग्रेसी व एक निर्दलीय) को दिल्ली में भाजपा के बड़े नेताओं से मिलवाया भी जा चुका है। डील के तहत ही बाकी विधायकों को मैनेज करने के लिए वे यहाँ ठहरे हुए थे। पुलिस ने उन सभी लोगों को प्रदेश की सरकार गिराने का षडयंत्र रचने के आरोप में जेल भेज दिया है।
मामले का अनुसंधान कर रही पुलिस ने यह भी कहा है कि गिरफ्तार संदिग्ध लोगों के साथ वहाँ ठहरे हुए महाराष्ट्र भाजपा विधायक के चारों लोग छापेमारी के दौरान ही पुलिस को चकमा देकर अपना सारा सामान होटल में ही छोड़ फरार हो गए।
पुलिस ने अपने बयान में दावा किया है कि गिरफ्तार लोगों ने खुद यह स्वीकारा है कि वे महाराष्ट्र भाजपा के विधायक और उनके साथी हवाला कारोबारी के कहने पर ही यहाँ आकर ठहरे हुए थे। दिल्ली में बनी योजना के तहत कांग्रेस के दो विधायकों व एक निर्दलीय की मदद से अन्य 8 विधायकों को मैनेज कर सरकार गिराने की डील होनी थी। इस प्रकरण में एक मीडिया घराने व दो पत्रकारों के भी शामिल होने की बात कही जा रही है।
हैरान करने वाला पहलू यह है कि राज्य की मीडिया ने पूरे प्रकरण को पारदर्शी ढंग से प्रस्तुत करने की बजाय आनन फानन रिपोर्ट छापकर यह दावा कर दिया कि सभी गिरफ्तार सामान्य लोग हैं, उन्हें नाहक फंसाया गया है। सुर्ख़ियों के साथ उनकी तस्वीरें छाप कर साबित किया गया कि किस तरह से वे एक सामान्य फल विक्रेता और दिहाड़ी मजदूर हैं। जिस पर यह भी प्रतिक्रिया आ रही है कि जब वे इतने गरीब और सामान्य लोग हैं तो इतने रसूखदार और महंगे होटल में वे कैसे ठहरे हुए थे।
प्रदेश भाजपा के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने प्रेसवार्ता कर हेमंत सोरेन सरकार गिराने की साजिश से सीधे इनकार करते हुए मामले की एसआईटी जांच की मांग की है। पुलिस को झामुमो का राजनितिक टूल नहीं बनाने की चेतावनी देते हुए कहा है कि यह सरकार तो हमेशा नहीं रहने वाली है। अपना अनुसंधान बंद करे नहीं तो रिटायरमेंट के बाद भी उनपर कार्रवाई हो सकती है। सरकार गिरफ्तार तीनों लोगों को बिना शर्त रिहा करे।
जवाब में झामुमो प्रवक्ता ने भी कहा है कि भाजपा नेता द्वारा पुलिस को धमकाया जाना आपत्तिजनक है। खुद एसआईटी जांच की मांग भी कर रहें हैं और दूसरी ओर, बिना किसी जांच के ही गिरफ्तार लोगों को बेकसूर घोषित कर रिहाई की मांग करना साफ़ दर्शाता है कि मामला गड़बड़ है। प्रवक्ता ने यह भी कहा है कि भाजपा झारखंड को मध्यप्रदेश या कर्नाटक नहीं समझे, यहाँ की जनता काफी जागरूक है और सरकार गिराने की किसी भी साजिश का ज़ोरदार प्रतिकार होगा।
उधर झारखंड कांग्रेस के कोलेबिरा विधायक ने भी मीडिया का माध्यम से कहा है कि उन्हें भी सरकार गिराने के लिए बड़ा ऑफर दिया गया है। इस प्रकरण के बाद से कांग्रेस पार्टी में भी अंदरूनी सरगर्मी तेज़ हो गयी है। प्रदेश पार्टी प्रवक्ता ने अपने विधायकों का बचाव करते हुए सफाई दी है कि उनके विधायकों को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। हमारे सारे विधायक महागठबंधन के साथ पूरी तरह से एकजुट हैं। दिल्ली जाने का मामला महज एक संयोग जैसा ही था और उसका सरकार गिराने के भाजपा प्लाट से कोई लेना देना नहीं है। कांग्रेस के ही एक विधायक ने सरकार गिराने की साजिश किये जाने के खिलाफ राज्य में ‘ हार्स ट्रेडिंग’ को लेकर एफआईआर दर्ज कराई है।
ये सही है कि पूरे प्रकरण में सरकार गिराने की साज़िश किये जाने सम्बन्धी सारी जानकारियाँ पुलिस द्वारा जारी बयानों से ही आ रहीं हैं। झारखंड सरकार ने पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है। लेकिन व्यापक चर्चाओं में यही कहा जा रहा है कि पिछले विधानसभा चुनाव की पराजय को भाजपा बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। राज्य की जनता के जनादेश की भी उसे कत्तई परवाह नहीं है। इसीलिए हर छोटे मुद्दे पर उसके नेता हेमंत सोरेन सरकार को उखाड़ फेंकने का ही आह्वान करते हैं।
राज्य के वरिष्ठ अर्थशास्त्री और विनोवा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रमेश शरण ने वर्तमान प्रकरण पर अपनी टिप्पणी में कहा है कि ये इस प्रदेश का दुर्भाग्य ही है कि राज्य गठन के बाद से यहाँ सरकार बनाने और बिगाड़ने के जितने भी खेल हुए हैं सबके केंद्र में भाजपा ही रही है। राज्य बनने के दो साल के अन्दर ही जब इनके वर्तमान विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी तत्कालीन मुख्यमंत्री हुआ करते थे और ‘ डोमिसाइल विवाद‘ के कारण जब उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था तो नयी सरकार गठन की स्थिति बनी थी। उस समय भी भाजपा ने चार निर्दलीय विधायकों को एक निजी कंपनी के विमान से जयपुर ले जाकर रखा था उन्हें वहीं मैनेज कर दोबारा सरकार बनायी।
29 जुलाई को रांची में प्रेस वार्ता के माध्यम से भाकपा माले ने हेमंत सोरेन सरकार को अस्थिर करने की कुचेष्टाओं का कड़ा विरोध करते हुए मोदी सरकार पर गैर भाजपा सरकारों को गिराने और जनादेश से विश्वासघात करने का आरोप लगाया है।
राज्य सीपीएम ने भी कहा है कि हेमंत सोरेन सरकार को गिराने का जनता कड़ा विरोध करेगी।
फिलहाल झारखंड सरकार द्वारा गठित एसआईटी जांच से कुछ असली सच सामने आने का सभी को इंतज़ार है।
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