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अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को छोड़ा नहीं है: भारतीय राजदूत

एअर इंडिया काबुल तक अपनी वाणिज्यिक सेवा जारी रखेगी, जब तक वहां हवाईअड्डा कार्यात्मक है। विदेश मंत्रालय ने वहां एक हेल्प डेस्क खोला है ताकि कोई भी जो वहां फंसा है, उसे किसी तरह यहां लाया जाए।
अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को छोड़ा नहीं है: भारतीय राजदूत

जामनगर: अफ़ग़ानिस्तान में भारत के राजदूत रुद्रेंद्र टंडन ने मंगलवार को कहा कि भारत ने युद्धग्रस्त देश के लोगों को छोड़ा नहीं है, जिनके साथ नयी दिल्ली ने दीर्घकालिक संबंध बनाए हैं और जो अब तालिबान के नियंत्रण में है।

टंडन ने कहा कि अफ़ग़ान लोगों का कल्याण और ‘‘उनके साथ हमारे संबंध हमारे दिमाग में है।’’ उन्होंने तालिबान के कब्जे के बाद अफ़ग़ानिस्तान से भारतीयों की सुरक्षित वापसी पर खुशी व्यक्त की, जहां के नागरिक अब अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने जामनगर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें खुशी है कि हम बिना किसी अप्रिय घटना के सुरक्षित तरीके से वापस आ गए। हमारा 192 कर्मियों का एक बहुत बड़ा मिशन था, जिन्हें दो चरणों में बहुत ही व्यवस्थित तरीके से तीन दिनों की अवधि के भीतर अफ़ग़ानिस्तान से निकाला गया।’’

टंडन सहित 120 लोगों के साथ भारतीय वायुसेना का एक विमान मंगलवार को अफ़ग़ानिस्तान के काबुल से गुजरात के जामनगर एयरबेस पर उतरा।

अफ़ग़ानिस्तान में तेजी से बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के बीच एक आपातकालीन निकासी के तहत विमान ने भारतीय कर्मियों को लेकर काबुल से उड़ान भरी थी। इसके बाद विमान ईंधन भरने के बाद जामनगर से नयी दिल्ली के लिए रवाना हुआ।

टंडन ने कहा कि मिशन के कर्मियों के अलावा जिन लोगों को अफ़ग़ानिस्तान से निकाला गया उनमें एअर इंडिया जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में काम करने वाले लोग और अन्य भारतीय नागरिक शामिल हैं, जिन्होंने वहां ‘‘तेजी से बदलती स्थिति के कारण खुद को संकट में’’ पाया।

राजदूत ने अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के हिंसा के जरिये कब्जे के बाद वहां की स्थिति पर कहा कि युद्धग्रस्त देश के लोगों का कल्याण अभी भी भारत के दिमाग में है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि हमने अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को छोड़ दिया है। उनका कल्याण और उनके साथ हमारे संबंध हमारे दिमाग में है। हम आगे कोशिश करेंगे और उनके साथ संवाद जारी रखेंगे, निश्चित रूप से मैं वास्तव में यह नहीं कह सकता कि यह किस तरह से होगा क्योंकि स्थिति काफी बदल रही है।’’

टंडन ने कहा कि भारतीयों की सुरक्षित वापसी पर भारतीय दूतावास ने एक नीति अपनायी थी, जिसके तहत ‘‘जो कोई भी दूतावास में पहुंचता था, उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और बाहर निकलने का रास्ता सुनिश्चित करने के लिए उसे परिसर के अंदर ले लिया जाता था। हम अभी भी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं क्योंकि वहां कुछ भारतीय हैं, यही कारण है कि एअर इंडिया काबुल तक अपनी वाणिज्यिक सेवा जारी रखेगी, जब तक वहां हवाईअड्डा कार्यात्मक है।’’

उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय ने वहां एक हेल्प डेस्क खोला है ताकि कोई भी जो वहां फंसा है, उसे किसी तरह यहां लाया जाए।’’

टंडन के अनुसार, हालांकि कुछ भारतीयों ने वहां से निकलने के लिए दूतावास से संपर्क किया, फिर भी उन्हें अभी वापस नहीं लाया जा सका क्योंकि वे ‘‘बहुत दूर थे और उन क्षेत्रों में थे, जहां अब पहुंचना संभव नहीं था।’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा, कई अन्य लोग भी हैं, जिन्होंने पहले काबुल में रहने का विकल्प चुना था, लेकिन बाद में ‘‘अपना मन बदल लिया, ऐसे लोगों को भी वाणिज्यिक सेवा शुरू होने के बाद वापस लाया जाएगा।’’

अफ़ग़ानिस्तान में अभी भी फंसे भारतीयों की सही संख्या के बारे में पूछे जाने पर, टंडन ने कहा कि यह आंकड़ा 40 से 50 हो सकता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि कई भारतीयों ने दूतावास में अपना पंजीकरण नहीं कराया है, जिससे मिशन अधिकारियों के लिए संपर्क करना मुश्किल हो गया है।

अफ़ग़ानिस्तान के घटनाक्रम के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने की सीसीएस की बैठक

नयी दिल्ली: अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के नियंत्रण के मद्देनजर पैदा हुई परिस्थितियों की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक की।

आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। हालांकि, बैठक में क्या चर्चा हुई इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं बताया।

उनके मुताबिक बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला , अफ़ग़ानिस्तान में भारत के राजदूत आर टंडन सहित कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया। इसके बाद से वहां अफरा-तफरी का माहौल है।

केरल सरकार ने काबुल में फंसे 41 केरलवासियों की सुरक्षित वापसी के लिए केंद्र के हस्तक्षेप की मांग की

तिरुवनंतपुरम: केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता पर तालिबान के कब्जा जमाने के मद्देनजर मंगलवार को केंद्र से काबुल में फंसे 41 मलयाली लोगों को स्वदेश लाने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया। इन लोगों में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।

सरकारी सूत्रों ने यहां बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर केरल के गैर निवासियों के लिए काम करने वाली सरकारी एजेंसी ‘एनओआरकेए’ ने इस संबंध में विदेश मंत्रालय को एक पत्र सौंपा। मुख्यमंत्री विजयन के निर्देशानुसार राज्य सरकार के प्रधान सचिव के एलंगोवन और एनओआरकेए के सीईओ हरिकृष्णन नम्बूदिरी के. ने मंत्रालय को अलग-अलग पत्र भेजे, जिसमें वहां फंसे केरलवासियों की दुर्दशा के बारे में बताया गया है।

पत्र में एलंगोवन ने कहा, ‘‘विभिन्न कंपनियों में काम करने वाले 41 मलयाली लोगों ने सरकार से अनुरोध किया है कि वे भारत में उनकी सुरक्षित वापसी की तत्काल व्यवस्था करें। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।’’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को प्राप्त कुछ संदेशों में यहां तक कहा गया है कि तालिबान में फंसे हुए भारतीयों की पहचान की पुष्टि कर रहे हैं और उनके पासपोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज ले जा रहे हैं।

पत्र में यह भी कहा गया है कि ‘‘मलयाली लोगों के जीवन पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है।’’ इससे पहले, नम्बूदिरी ने काबुल में फंसे कुछ मलयाली लोगों से संपर्क किया और कहा कि यह पता लगाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं कि क्या अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी में और केरलवासी फंसे हुए हैं।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि एनओआरकेए ने प्राप्त जानकारी को विदेश मंत्रालय को पहले ही भेज दिया है।

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