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"भारत में संगठित किसान आंदोलन के जनक थे स्वामी सहजानंद सरस्वती"

स्वामी सहजानंद की 75वीं पुण्यतिथि के अवसर पर श्री सीताराम आश्रम ट्रस्ट और बिहार राज्य किसान सभा का संयुक्त आयोजन।
death anniversary of swami sahajanand

स्वाधीनता सेनानी और क्रांतिकारी किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की 75वीं पुण्यतिथि के मौके पर  राघवपुर, बिहटा स्थित श्री सीताराम आश्रम में बड़ी जानसभा का आयोजन किया गया।  

श्री सीताराम आश्रम ट्रस्ट और बिहार राज्य किसान सभा द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित जनसभा में विभिन्न राजनीतिक धाराओं के साथ साथ बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। इस मौके पर खास तौर पर अमेरिका से सात विद्वान शामिल होने आये बिहटा पहुंचे।  

जनसभा में बिहटा में बनने वाले अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम स्वामी सहजानंद सरस्वती के नाम पर करने की मांग की गई।  

जनसभा में बड़ी संख्या में भारत के विभिन्न हिस्सों के आलावा बिहार के अलग अलग भागों से किसान शामिल हुए। 

स्वागत वक्तव्य देते हुए श्री सीताराम आश्रम ट्रस्ट  के सचिव डॉ सत्यजीत सिंह ने बताया '' श्री सीताराम आश्रम भारत में संगठित किसान सभा का जनक रहा है। यहीं से 1927 में पटना पश्चिमी किसान सभा की शुरुआत हुई जो जल्द ही प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर तब्दील होती चली गई। स्वामी जी ने संन्यास से लेकर समाजवाद तक की यात्रा  को सम्पन्न किया। दंडी सन्यासी से लेकर किसान सभा की धड़कन तक बने स्वामी सहजानंद सरस्वती।  अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना 1936 में हुई। यह आश्रम 1936 से 1944 तक तक किसान सभा का ऑल इण्डिया दफ्तर रहा था। यहीं पर किसान सभा के इतिहास में निर्णायक मोड़ लाने वाला छठा राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया।"

बिहार सरकार में जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने जन सभा को संबोधित करते हुए कहा "स्वामी सहजानंद सरस्वती के प्रभाव की वजह से ही श्री कृष्ण सिंह ने बिहार में जमींदारी उन्मूलन क़ानून लागू किया। हालांकि दरभंगा के ज़मींदार ने उसे कोर्ट में चुनौती दी। बिहार पहला राज्य था जहां इस तरह का कानून बना था। श्री कृष्ण सिंह स्वामी जी के सहयोगी थे। मैं वाल्टर हाउज़र के प्रयासों की सराहना करता हूं जिन्होंने स्वामी जी पर कई दशकों तक शोध किया।"

बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा "स्वामी सहजानंद सरस्वती एक महान शख्सियत थे। आजीवन किसानों के लिए संघर्ष किया। आज़ादी के आंदोलन में पूरे भारत को इकठ्ठा करने का प्रयास किया। हमारी कोशिश रहेगी कि बिहटा हवाई अड्डे का नाम स्वामी सहजानंद सरस्वती के नाम पर हो। मैं वाल्टर हाउजर के प्रति भी सम्मान व्यक्त करता हूँ। जिन्होंने स्वामीजी के बारे बहुत लिखा। आज वाल्टर हाउजर की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया गया यह बिहार के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।"

अमेरिका के वेस्लेयन विश्विद्यालय में  भारतीय इतिहास के प्रोफ़ेसर  तथा स्वामी जी की आत्मकथा मेरा जीवन को अपने विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में लगवाने वाले प्रसिद्ध लेखक विलियम पिंच ने बताया "  मैं वाल्टर हाउज़र का छात्र रहा हूं। स्वामी सहजानंद सरस्वती आज भी  उतने ही महत्वपूर्ण हैं। स्वामीजी जब घर छोड़ने के बाद ज्ञान के लिए भटक रहे थे तभी उन्होंने महसूस किया कि अपनी मुक्ति से ज़्यादा ज़रूरी है कि समाज की मुक्ति हो। और फिर उन्होंने गरीबो, किसानों, मज़दूरों के लिए लड़ाई शुरू की।"

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव राजन क्षीरसागर ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा "पूरे देश में आज़ादी के लिए और किसानों की मुक्ति की आवाज़ गूंजी तो उसके प्रेरणास्रोत स्वामी सहजानंद सरस्वती। मैं 1942 के आंदोलन के दौरान जब महाराष्ट्र के नाना पाटिल के नेतृत्व में  संघर्षो को देखता हूं तो उनके और  स्वामी जी के किसान सभा की वेशभूषा को समान पाता हूं। स्वामी जी के विचार से ही हम साम्राज्यवाद से लड़ सकते हैं। हर साल एक लाख से अधिक किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों को फसल का उचित दाम नहीं मिलता है। आज पूरे देश के संसाधन को विदेशियों के हाथों बेचा जा रहा है। किसान सभा इसके ख़िलाफ़ संघर्षरत है। इस वर्ष अप्रैल में  तामिलनाडु के नागापट्टनम में सम्पन्न हुए किसान सभा के राष्ट्रीय सम्मेलन में बिहटा हवाई अड्डा का नाम स्वामी जी के नाम पर रखने की मांग की थी।"

अमेरिका के केन्यन कॉलेज में इतिहास की प्रोफ़ेसर तथा वाल्टर हाउज़र  छात्र तथा बिहार पर कई महत्वपूर्ण शोध करनेवाली वेंडी सिंगर ने कहा " मैंने बड़हिया टाल के भूमि संघर्ष पर काफ़ी लिखा है। बड़हिया  टाल पर ही मेरा पीएचडी है। मैनें नज़दीक से देखा है किसानों का संघर्ष। किसान के लिए जमीन बहुत ज़रूरी है। यह आज़ादी है। यह जीवन है। पूरी दुनिया के किसान स्वामी सहजानंद सरस्वती से प्रेरणा ग्रहण कर सकते हैं।"

वाल्टर हाउजर की बेटी शीला हाउजर ने अपने संस्मरण  साझा  करते हुए कहा " मेरा जन्म भारत में हुआ। मेरे माता-पिता स्वामी सहजानंद सरस्वती से बहुत प्रभावित थे। हमने अपने माता-पिता की अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया है, यह उनकी अंतिम इच्छा थी। उनकी इच्छा थी कि स्वामी जी के विचार गंगा की तरह प्रवाहित होता रहे।" 

बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव रामचंद्र महतो  के अनुसार " देश आज़ाद तो हो गया लेकिन स्वामी सहजानंद सरस्वती के किसान आज भी गुलाम हैं। स्वामीजी कहते थे जो 'अन्न-वस्त्र उपजायेगा वही क़ानून बनाएगा, भारत वस्त्र उसी का है, वही राजनीति चलायेगा'। लेकिन आज चारों तरफ लूट का राज जारी है। किसानों की ज़मीन छीनी जा रही है। किसान बेहाल है। हमारी सरकार किसानों की दुश्मन है।"

बिहार राज्य किसान सभा के अध्यक्ष सीताराम शर्मा ने कहा कि "भगत सिंह और स्वामी सहजानंद सरस्वती का सपना अभी अधूरा है। हम सबों को मिलकर उनके अधूरे कामों को पूरा करना है। "

वाल्टर हाउजर के बेटे तथा अमेरिका में माइक्रो बायलॉजी के प्रोफ़ेसर तथा इंस्टीट्यूट ऑफ मौलेक्यूलर फिजियोलॉजी के सदस्य प्रो. माइकल हाउजर ने बताया कि "मेरे पिता स्वामी सहजानंद सरस्वती से इसलिए प्रभावित थे कि हमारा पूरा परिवार खेती किसानी करता था। किसानों का जीवन बहुत मुश्किल भरा होता है। यहाँ आकर मैं बहुत भावुक हूँ।''

कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने उपस्थित जनसमूह में कहा "बिना समाज परिवर्तन के किसी भी बदलाव का कोई महत्व नहीं है यही स्वामीजी को याद करने के मायने हैं।  पूंजीवादी व्यवस्था में शोषण जारी है। आज़ादी का आंदोलन सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ नहीं बल्कि व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई थी। स्वामी जी ने देश के लिए सर्वस्व त्याग किया। आज का संघर्ष साम्प्रदायिकता के ख़िलाफ़ है। असमानता के ख़िलाफ़ है, सामाजिक न्याय का संघर्ष है और ये सब हमें स्वामी जी जोड़ता है। आज नए तरीक़े से धन का संचस्य हो रहा है। हमें इसके विरुद्ध मिलकर खड़े होने की ज़रूरत है। यही स्वामीजी को श्रद्धांजलि होगी।"

राजीव गांधी फॉउंडेशन के निदेशक विजय महाजन ने बताया "पहले मैं स्वामी सहजानंद को ठीक से नहीं जानता  था पर धीरे-धीरे जाना। स्वामी जी हमसब के लिए प्रेरणास्रोत हैं। मैं वाल्टर हाउज़र के योगदान को रेखांकित करना चाहता हूं। आज भारत और अमेरिका के बीच  ट्रेड और आपसी आदान प्रदान करने की जरूरत है। हमलोग अपने फाउंडेशन से भी कुछ और करने का प्रयास करेंगे। मैं भी अमेरिका में रहा हूं। अमेरिका और भारत के मध्य आम जनों के बीच संवाद बढ़ना चाहिए।"

वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दूबे ने स्वामी जी के जीवन को समझने के लिए हिंदी के विद्वान हजारी प्रसाद द्विवेदी के उपन्यासों का जिक्र करते हुए कहा "सन्यासी वह नहीं है जो सिर्फ अपनी मुक्ति चाहता हो, पहाड़ों और कांदराओं में जाकर की अपनी मुक्ति की बातें सोचता है बल्कि वह है जो आम लोगों, ख़ासकर किसानों, मज़दूरों के दुख दर्द जो दूर करने का प्रयास करता है। स्वामी जी ऐसे ही एक शख्स थे।"

केरल से आये ऑल इण्डिया फॉरवर्ड ब्लाक के राष्ट्रीय महासचिव जी देवराजन ने बताया फारवर्ड ब्लाक कांग्रेस के प्रगतिशील लोगों को लेकर आगे बढ़ा लेकिन उसे सबसे ज्यादा समर्थन बिहार में मिला, इसकी वजह थे स्वामी सहजानंद सरस्वती। 1949 में रामगढ में सुभाष चंद्र बोस और स्वामी सहजानंद द्वारा समझौता विरोधी सम्मेलन में उसी स्थान पर आयोजित कांग्रेस के सम्मेलन से चार गुणा अधिक लोग थे। इस कारण हमलोगों के लिए स्वामी सहजानंद का स्थान बहुत ऊंचा है। यह धरती हमारे लिए पावन धरती है। ब्रिटिश इंटेलीजेन्स की रिपोर्ट के आधार पर हमने किताब तैयार की है। उसमें पाया कि सबसे ज्यादा मीटिंग बिहार में स्वामी सहजानंद सरस्वती की मदद से ही सम्भव हो सकी थीं।"

जनसभा को संबोधित करने वालों में अन्य प्रमुख लोगों में थे। पटना कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो एनके चौधरी,  माकपा नेता सर्वोदय शर्मा और बिहार राज्य किसान सभा के रवीन्द्र नाथ राय तथा अमेरिका के मौलेक्युलर इंस्टीट्यूट में बायोस्टैटिक्स और बायो इनफ़ौरमेटिक्स की प्रोफ़ेसर एलिजाबेथ हाउज़र। पांच अमेरिकियों में से दो ने अपना वक्तव्य हिंदी में दिया। तीन  सदस्यों के अंग्रेजी भाषण का हिंदी अनुवाद सीताराम ट्रस्ट के सदस्य अभिषेक ने किया। 

अध्यक्षीय वक्तव्य सीताराम आश्रम ट्रस्ट के अध्यक्ष कैलाश चंद्र झा ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन पटना जिला किसान सभा के गोपाल शर्मा ने किया जबकि पूरे कार्यक्रम का संचालन ट्रस्ट के सदस्य अनीश अंकुर ने किया। 

दोपहर में जनसभा के पहले सुबह में पटना में गंगा नदी के किनारे दीघा के जनार्दन घाट पर वाल्टर हाउज़र और रोज मेरी हाउज़र की अस्थियों का विसर्जन किया गया। इन अस्थियों को उनकी उनके परिवार और शिष्य अमेरिका से लेकर आये थे। विसर्जन के पर्यटन विभाग के स्टीमर पर अस्थियों को रखा गया था। बीच गंगा में जाकर अस्थियों को प्रभावित किया गया था। अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पटना के बुद्धिजीवी, साहित्यकार, विश्वविद्यालयों के प्रोफ़ेसर आदि मौजूद थे। 

सभा में नवादा, अरवल, आरा, सासाराम, समस्तीपुर, सहित नौबतपुर, बिक्रम, पाली, मनेर,  दानापुर आदि से बड़ी संख्या में किसानों इकट्ठा थे।

प्रमुख लोगों में थे पूर्व सांसद रामेश्वर सिंह, संतोष सिँह, अरुण सिंह, जयप्रकाश, रमेश सिंह, आभा झा, ऋचा झा, अर्चिता झा, अमेरिका महतो, अनिल शर्मा, अशोक समदर्शो,  महेश प्रसाद, अरुण कुमार राय, प्रणव, डॉ विभा सिंह, डॉ रोहित, सुधांशु कुमार, जीटेंद्र कुमार, विष्णु नारायण,  जी एन शर्मा, पवन शर्मा, त्रिपुरारी, कविता, श्वेतलाना, अवि आदि।

 

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