फिलिस्तीनियों ने इज़रायल-यूएई समझौते की निंदा करते हुए उसे विश्वासघात बताया

पैलेस्टिनियन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) ने गुरुवार 13 अगस्त को "येरूसेलम, अल-अक्सा मस्जिद और फिलिस्तीनी के साथ विश्वासघात" बताते हुए यूएई-इज़रायल समझौते की निंदा की। इससे पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस समझौते की घोषणा करते हुए कहा था कि ये समझौता यूएई और इज़रायल के बीच संबंधों को पूर्ण रूप से सामान्य बनाएगा। उन्होंने इसे "बहुत बड़ी सफलता" कहा था।
HUGE breakthrough today! Historic Peace Agreement between our two GREAT friends, Israel and the United Arab Emirates!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) August 13, 2020
पीएलओ के इस बयान ने यूएई-इज़रायल समझौते को 2002 में अरब लीग के सभी सदस्यों के बीच सहमति और इसके अलावा 2007 और 2017 के अरब शिखर सम्मेलन में अपनाए गए अरब शांति पहल समझौते का उल्लंघन बताया है। अरब शांति पहल ने इसके हस्ताक्षरकर्ताओं और इज़रायल के बीच संबंधों के किसी भी सामान्य स्थिति के लिए पूर्व शर्त के रूप में इज़रायल-फिलिस्तीनी संघर्ष का एक शांतिपूर्ण समाधान तय करता है।
पीएलओ के इस बयान में यूएई को इस समझौते से तुरंत वापस होने को कहा गया है। पैलेस्टिनियन एग्जक्यूटिव कमेटी के सदस्य हनान अशरवी ने यूएई के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद के ट्वीट का जवाब दिया जिसमें इज़रायल के साथ समझौते की घोषणा की गई है। बयान में इसे "मित्र" से फिलिस्तीनी हितों के बेचने जैसा बताया गया।
पीएलओ के महासचिव साएब एराकत ने बुधवार को एक ट्वीट में यूएई के निष्कासन के लिए लीग के नेताओं को कार्यवाही शुरू करने के लिए कहा।
अमेरिका की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित इस समझौते के तहत इज़रायल ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार और राजनयिक संबंधों के बदले में इस साल मई में घोषित वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों के एनेक्सेशन की घोषणा में देरी करने पर सहमति व्यक्त की है। हालांकि ट्रम्प द्वारा समझौते के दस्तावेज़ जारी करने के कुछ घंटों के बाद बेंजामिन नेतन्याहू ने एक टेलीविजन प्रसारण में कहा कि वेस्ट बैंक क्षेत्रों को एनेक्सेशन की योजना चर्चा का विषय है।
यूएई के विदेश मामलों के विदेश राज्य मंत्री अनवर गर्गाश ने एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान दावा किया कि इज़रायल के साथ समझौता "द्विराष्ट्र समाधान को सुरक्षित करने के लिए एक साहसिक क़दम है जो बातचीत के लिए समय की अनुमति देता है"।
यदि यह समझौता होता है तो यूएई पहला खाड़ी देश और तीसरा अरब देश बन जाएगा जो औपचारिक रूप से इज़रायल को मान्यता देगा और इसके साथ अपने संबंधों को सामान्य करेगा। साल 1979 में कैंप डेविड समझौते के बाद इज़रायल के साथ अपने संबंधों को सामान्य करने वाला मिस्र पहला अरब देश था। जॉर्डन ने 1994 में ऐसा किया था।
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