बनारस में मोदी का दौराः बीएचयू, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वीसी, शिक्षाविदों को नहीं मिली एंट्री, नेताओं को सीट देने का आरोप

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कार्यान्वयन एवं विमर्श कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी को शामिल होना था। उसमें देश के कई कुलपतियों और शिक्षाविदों को जाने से रोक दिया गया। इससे नाराज शिक्षकों ने जमकर नारेबाजी की और जमीन पर बैठकर धरना शुरू कर दिया। आरोप है कि शिक्षाविदों की सीटें सुरक्षा अधिकारियों ने भाजपा नेताओं के हवाले कर दी थी। सुरक्षा अधिकारियों ने जिन लोगों को पीएम मोदी के कार्यक्रम में शामिल होने से रोका उनमें आयोजन मंडल में शामिल बीएचयू के कुलपति सुधीर जैन भी शामिल थे। इनके अलावा लखनऊ विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति भी शामिल थे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कार्यान्वयन और विमर्श के लिए बनारस के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया है। तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी को करना था। नई शिक्षा नीति को लेकर यूजीसी इसी तरह का विमर्श पिछले दो सालों से कर रहा है। अबकी बनारस में यूजीसी और बीएचयू ने संयुक्त रूप से इस भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया है। नई शिक्षा नीति पर विमर्श करने के लिए देश के 350 कुलपतियों, शिक्षण संस्थाओं के निदेशकों के अलावा करीब 1600 प्रोफेसरों को आमंत्रित किया गया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी को अपराह्न दो बजे आना था। अपराह्न 12.30 बजे के आसपास बीएचयू के अलावा काशी विद्यापीठ, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, इलाहाबाद, लनखनऊ के कुलपतियों के अलावा यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रदीप जोशी रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर पर पहुंचे, लेकिन इन्हें अंदर जाने से रोक दिया गया। दरअसल, इसके पीछे कारण जगह का अभाव बताया गया। आमंत्रित शिक्षकों से कहा गया कि अंदर सीट फुल हो गई हैं, जिसके बाद लोगों में काफी नाराजगी देखने को मिली। अतिविशिष्ट अतिथियों ने सुरक्षा अधिकारियों को अपना आमंत्रण कार्य और परिचय-पत्र दिखाया, लेकिन मौके पर मौजूद पुलिस अफसर प्रबल प्रताप सिंह ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इस बात को लेकर शिक्षाविदों और पुलिस अफसरों के बीच कहासुनी हुई।
देशभर से बनारस आए कई विश्वविद्यालयों के कुलपति और शिक्षाविद करीब 50 मिनट तक रुद्राक्ष के गेट पर जद्दोजहद करते रहे। अतिविशिष्ट अतिथियों को अंदर जाने से रोके जाने पर शिक्षक भड़क गए और नारेबाजी शुरू कर दी। इनका कहना था कि जब अंदर प्रवेश ही नहीं दिया जाना था तो निमंत्रण और पास क्यों भेजा गया? बीएचयू के कुलपति सुधीर जैन तो और भी ज्यादा परेशान नजर आए, क्योंकि वही इस कार्यक्रम के आयोजक भी थे। पुलिस अफसरों से प्रो.जैन गुहार लगाते रहे, लेकिन उन्हें भी रुद्राक्ष में घुसने नहीं दिया। कुलपतियों और शिक्षाविदों के अपमान से नाराज शिक्षक चिलचिलाती धूम में सड़क पर ही धरने पर बैठ गए और हर-हर महादेव का नारा लगाने लगे। बवाल बढ़ने पर स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गई। इस बीच सुरक्षा अधिकारियों और शिक्षकों के बीच तीखी तकरार हुई। शिक्षकों का कहना था कि अगर प्रवेश ही नहीं देना था तो न्योता और पास उनके पास क्यों भेजा गया।
पुलिस अफसरों के मुताबिक रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 1200 लोगों के बैठने का इंतजाम किया गया था। इसी आधार पर शिक्षाविदों को न्योता भेजा गया था। सुरक्षा वजहों से रात में आगे की दो सीटें हटा दी गईं। ये सीटें वीवीआईपी के लिए आरक्षित थी। इसके चलते करीब दो सौ अतिथियों को अंदर जाने से रोक दिया गया। स्थिति यह रही कि यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रदीप कुमार जोशी को सुरक्षाकर्मियों ने धक्के देकर सड़क के दूसरी तरफ कर दिया। साथ ही इलाहाबाद की कुलपति प्रो.शीला श्रीवास्तव अपमान का घूंट पीकर प्रयागराज लौट गईं। सुरक्षाकर्मियों द्वारा कुलपतियों और प्रोफेसरों को अपमानित किए जाने से काफी क्षुब्ध नजर आए। कई महिला प्रोफेसर तो सुरक्षाकर्मियों द्वारा अपमानित किए जाने से रोते हुए लौटीं। करीब दो बजे से शुरू होने वाले इस कार्यक्रम में शिक्षाविदों की कुर्सियां दोपहर 12 बजे ही फुल हो गई थीं।
शिक्षाविदों का कहना था कि जिनके पास सीट नंबर वाला पास था, उन्हें भी एंट्री नहीं दी गई और वहां पर बीजेपी नेताओं को बैठा दिया गया। अव्यवस्थाओं के इस आलम से शिक्षाविदों में काफी नाराजगी दिखाई दी। भीषण गर्मी की तपिश में लगभग पौने घंटे कई यूनिवर्सिटी के कुलपति को भी भीतर प्रवेश करने के लिए काफी जद्दोजहद करना पड़ी। हालांकि, कई सारे प्रोफेसर आदि कार्यक्रम में शिरकत न कर पाने के कारण निराश होकर लौट गए। अव्यवस्थाओं के आलम से कुछ शिक्षकों ने वहीं रुद्राक्ष के बाहर धरना देना शुरू कर दिया और बदइंतजामी का प्रशासन पर आरोप भी लगाया, जिसके बाद प्रशासन ने रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर के सामने से सभी को हटा दिया।
सपा ने साधा निशाना
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कार्यान्वयन एवं विमर्श कार्यक्रम में शामिल होने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी बनारस के एलटी कॉलेज पहुंचे और यहां अक्षय पात्र मेगा किचन का शुभारंभ किया। इस किचन में प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मिड-डे मील तैयार किया जाएगा। इस मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन भी मौजूद रहे। अक्षय पात्र मेगा किचन के उद्घाटन से पहले ही समाजवादी पार्टी ने मोदी-योगी पर निशाना साधना शुरू कर दिया था। सपा प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने पीएम व अखिलेश को ट्वीट करते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री रहते हुए अखिलेश यादव ने 16 दिसंबर 2016 को अक्षय पात्र किचन योजना का शिलान्यास किया था। वाराणसी में पीएम मोदी जी इसका उद्घाटन कीजिएगा तो अखिलेश जी का धन्यवाद जरूर कहिएगा। स्कूली बच्चों को दोपहरिया भोजन देने वाली यह योजना बनारस के अलावा गाजियाबाद, आगरा, इलाहाबाद, कानपुर, इटावा, कन्नौज, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, रामपुर और बलिया में शुरू की जाएगी।
"अक्षय पात्र" किचन योजना
मुख्यमंत्री रहते हुए माननीय
श्री अखिलेश यादव जी की छात्रों को पौष्टिक व गर्म आहार हेतु
26 दिसंबर 2016 में शिलान्यास कर शुरू की गई योजना है,
आज जब वाराणसी में @narendramodi जी इसका उद्घाटन करिएगा तो
आदरणीय @yadavakhilesh जी को
धन्यवाद जरूर कहिएगा। pic.twitter.com/wZWjJpMcLW— Manoj Rai Dhoopchandi (@manojdhopchandi) July 7, 2022
नज़रबंद किए गए कई नेता
पीएम के बनारस दौरे के चलते जिले के कई राजनीतिक दलों नेताओं और छात्रों को पुलिस ने सुबह ही नजरबंद कर दिया था। आम आदमी पार्टी के नेता मनीष गुप्ता, महिला नेत्री पल्लवी वर्मा, छात्र नेता अर्पित गिरि, रघुकुल यथार्थ समेत कई नेता नजरबंद कर दिए गए थे। आप जिलाध्यक्ष मुकेश सिंह ने पुलिसिया दमन की घोर निंदा की है।
महिला नेत्री
पीएम के कार्यक्रम के चलते महात्मा काशी विद्यापीठ की 7 जुलाई को होने वाली परीक्षाएं स्थगित कर दी गई थी, जिसके चलते छात्रों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। प्रशासन ने शहर के सभी शिक्षण संस्थाओं को सुबह 11 बजे के बाद खोलने पर पाबंदी लगा दी थी, जिसके चलते सभी स्कूल-कालेज बंद रहे। हर बार की तरह इस बार भी तंबू-कनात से झुग्गी झोपड़ियों को ढक दिया गया था। वरुणा नदी की गंदगी पीएम को न दिखे, इसलिए वहां बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स रख दी गई थीं।
वरुणा नदी की गंदगी ढंकने की कोशिश
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