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महाराष्ट्र में अचानक भड़की सांप्रदायिक हिंसा चुनावी साज़िश है या ठाकरे सरकार की नाकामी

त्रिपुरा में पिछले महीने हुई हिंसा के विरोध में महाराष्ट्र के अमरावती, नांदेड़ और मालेगाँव में सांप्रदायिक तनाव फैलने की ख़बर है। राज्य की महाविकास अघाड़ी गठबंधन सरकार इस तनाव को उत्तर प्रदेश चुनाव से जोड़ते हुए बीजेपी की साज़िश बता रही है तो वहीं, बीजेपी इसे ठाकरे सरकार की नाकामी बता रही है।
violence in Amravati
image credit- Hindustan Times

महाराष्ट्र में बीते कुछ दिनों से सांप्रदायिक तनाव फैलने की ख़बरें लगातार सुर्खियों में हैं। रविवार, 14 नवंबर से अमरावती, मालेगाँव, नागपुर और पुणे में क़र्फ्यू लागू कर दिया गया। पुलिस ने एहतियात के तौर पर संवेदनशील इलाक़ों में गश्त बढ़ा दी है और बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए हैं। एक ओर राज्य की महाविकास अघाड़ी गठबंधन सरकार इस तनाव को उत्तर प्रदेश चुनाव से जोड़ते हुए बीजेपी की साज़िश बता रही है तो वहीं, बीजेपी इसे ठाकरे सरकार की नाकामी बता रही है।

बता दें कि त्रिपुरा में पिछले महीने हुई हिंसा के विरोध में शुक्रवार 12 नवंबर को महाराष्ट्र के कई शहरों में रैलियां निकाली गईं, विरोध प्रदर्शन हुए और बंद का आह्वान किया गया। जिसमें हज़ारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने हिस्सा लिया था। कुछ जगहों पर शांतिपूर्ण तरीके से सब हुआ, पर मालेगांव, नांदेड़ और अमरावती में हिंसा, तोड़फोड़ और पत्थरबाज़ी की घटनाएं बढ़ गईं। जैसे ही विरोध हिंसक हुआ, इन शहरों में तनाव बढ़ गया। कई संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लगा दी गई और अफवाह को रोकने के लिए इंटरनेट सेवा को भी बंद कर दिया गया।

क्या है पूरा मामला?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुक्रवार की घटना के विरोध में शनिवार, 13 नवंबर को बीजेपी और हिंदू संगठनों ने बंद का आह्वान किया था। लेकिन भीड़ ने बंद के दौरान भी कई स्थानों पर पथराव किया और दुकानों में तोड़-फोड़ की। पुलिस को लाठी चार्ज करनी पड़ी, जिसके बाद प्रशासन ने अगले आदेश तक अमरावती में कर्फ्यू लगा दिया।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार सुबह बीजेपी कार्यकर्ता शहर के राजकमल चौक पर इकट्ठा हुए और उन्होंने मार्च किया। बंद को देखते हुए अमरावती शहर में भारी पुलिस बल तैनात है। एक अधिकारी के मुताबिक, अमरावती के राजकमल चौक पर सैकड़ों लोग हाथ में भगवा झंडे पकड़े हुए नारे लगाते नज़र आए। इनमें से कुछ लोगों ने दुकानों पर पथराव किया। उन्हें नुकसान पहुंचाया जिसकी वजह से पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। वहीं, शुक्रवार को हुई हिंसा के मामले में 20 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है।

अमरावती डीसीपी विक्रम सली का कहना है कि पांच शिकायतों के आधार पर केस दर्ज किया जा चुका है। फिलहाल माहौल शांतिपूर्ण है। इस मार्च के लिए पुलिस से कोई अनुमति नहीं ली गई थी। शिकायत के आधार पर इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अमरावती की पुलिस आयुक्त आरती सिंह ने कहा, "संवेदनशील इलाक़ों में पुलिस बल तैनात है। साथ ही पुलिस द्वारा रूट मार्च निकाला जा रहा है। हम सामाजिक उपद्रव करने वालों को नहीं छोड़ेंगे।"

amravati

मालूम हो कि त्रिपुरा में पिछले कुछ दिनों के दौरान सांप्रदायिक तनाव की स्थिति देखने को मिली थी। इसे बांग्लादेश में हुई हिंसा की प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है। बांग्लादेश में हुई इस घटना के बाद विश्व हिंदू परिषद और जमात-ए-उलेमा (हिंद) जैसे धार्मिक संगठन आमने-सामने आ गए।

अमरावती हिंसा के मामले में शहर कोतवाली पुलिस ने सोमवार को बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री अनिल बोंडे को गिरफ़्तार कर लिया। रविवार को पुलिस ने उन्हें 12 घंटे तक हिरासत में रखा। पुलिस ने बीजेपी नेता तुषार भारतीय और मेयर चेतन गावंडे को भी गिरफ़्तार किया है। पुलिस ने कहा कि वह विधायक प्रवीण पोटे की भी तलाश कर रही है। पता चला है कि क़र्फ्यू के दौरान हमले के सिलसिले में बीजेपी नेताओं को गिरफ़्तार किया गया है।

पक्ष-विपक्ष का क्या कहना है?

इस मामले में प्रदेश के गृहमंत्री ने सभी से शांति की अपील की है। गृहमंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने अमरावती, नांदेड़ और मालेगांव में हुई हिंसा की निंदा करते हुए कहा, "हम किसी भी तरह की हिंसा की निंदा करते हैं। मैंने देवेंद्र फड़णवीस और अमरावती की सांसद से बात कर शांति और सामाजिक सौहार्द्र स्थापित करने में मदद की अपील की थी। हम स्थिति को नियंत्रण में बनाए रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।"

वहीं अमरावती से सांसद नवनीत राणा ने वीडियो के जरिए लोगों से कहा, “अमरावती में जो कुछ हुआ, उसकी निंदा करते हैं। मैं नागरिकों और नेताओं से अपील करती हूं कि शांति और सौहार्द्र बनाए रखें। इसके साथ ही मैं विपक्षी पार्टी के मंत्री से इसे राजनीतिक रंग नहीं देने की अपील करती हूं।"

विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्य सरकार से कानून व्यवस्था बनाए रखने का आग्रह करते हुए तीन शहरों में शुक्रवार को हुई हिंसा की निंदा की।

उन्होंने कहा, "त्रिपुरा में जो घटना घटी ही नहीं, उसके ऊपर जिस प्रकार से दंगे महाराष्ट्र में हो रहे हैं, ये बिल्कुल गलत है। त्रिपुरा के मस्जिद को जलाने की जो अफवाह फैलाई गई, उस मस्जिद की फोटो भी पुलिस ने जारी की है और सोशल मीडिया के जाली फोटो का पर्दाफाश किया गया है। लेकिन बावजूद इसके मोर्चे निकाले गए। इसमें हिन्दू दुकानों को जलाने का प्रयास किया गया, हम इसकी निंदा करते हैं। साथ ही अमरावती में जो घटना हुई वो अस्वस्थ करने वाला माहौल है। मैं अमरावती के लोगों से निवेदन करता हूं कि हिंसा न करें। झूठी चीजों पर भड़कना और भड़काना ये भी गलत होगा। सरकार की पार्टी के लोग स्टेज पर जाकर जिस प्रकार से भड़काने वाला भाषण देते हैं उसके बाद मोर्चे निकलते हैं, उन पर भी कार्रवाई लेनी चाहिए।"

वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि राज्य सरकार मजबूत स्थिति में है और इस हिंसा के लिए ज़िम्मेदार चेहरों को जल्द सामने लाया जाएगा। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र में जो हिंसा हो रही है उसका उद्देश्य महाविकास अगाड़ी सरकार को अस्थिर करना है। हिंसक घटनाओं की बात करते हुए वे (विपक्ष) राज्यपाल से मिलेंगे और केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर दावा करेंगे कि महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था बिगड़ रही है। भविष्य में ये सब भी होगा. लेकिन राज्य सरकार बिल्कुल स्थिर है।"

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और यूपी चुनाव

इस मामले में कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधा है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने आरोप लगाया कि बीजेपी दंगा भड़काकर चुनावी फ़ायदा उठाने की योजना बना रही है।

पटोले ने कहा, ''उत्तर प्रदेश समेत पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। त्रिपुरा की घटना के तहत बीजेपी महाराष्ट्र में दंगे भड़काने और उत्तर प्रदेश में राजनीतिक उथल-पुथल पैदा करने की साजिश कर रही है।''

उन्होंने आरोप लगाया, "बीजेपी पिछले दो वर्षों में महाराष्ट्र में स्थिर सरकार को अस्थिर करने में सफल नहीं हुई है। महाराष्ट्र में अशांति फैलाने के लिए सारी ताक़त लगा ली गई है। बीजेपी देश के मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाने की साज़िश कर रही है।"

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इन चुनावों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का इस्तेमाल होते देखा जा सकता है। चुनाव के दौरान ऐसी कोशिशें कोई असामान्य बात नहीं हैं। उत्तर प्रदेश आबादी के नज़रिए से देश का सबसे बड़ा राज्य है ही, इसके अलावा इस राज्य को राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद अहम माना जाता है। ऐसे में कुछ चुनावी जानकारों का मानना है कि महाराष्ट्र के जरिए यूपी के जनता को बीजेपी एक संदेश देने की कोशिश कर रही है, इसके साथ ही पार्टी अपने हिंदुत्व की राजनीति के एजेंडे को भी बढ़ावा देती नज़र आती है।

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