बिहार में कोविड मानदंडों का पालन करा पाने में विफल साबित हो रहा है चुनाव आयोग!

बिहार विधानसभा चुनाव में पहले दौर के बाद अब दूसरे दौर के प्रचार के लिए सरगर्मी तेज़ हो रही है। वर्चुअल रैलियों से शुरू हुआ चुनावी प्रचार एक्चुअल रैलियों में बदला लेकिन इन रैलियों में कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार सुरक्षा के तमाम उपायों की जानलेवा अनदेखी की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील और केंद्र सरकार के वैज्ञानिकों की नेशनल सुपरमॉडल समिति की चेतावनी का भी असर यहां पर नहीं हो रहा है।
ऐसे में बड़ी बड़ी चुनावी रैलियों और जनसभाओं के बीच में चुनाव आयोग असहाय नजर आ रहा है। वह सिर्फ चेतावनी जारी कर रहा है जिसका किसी भी दल या राजनेता पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। आपको बता दें कि गत बुधवार को चुनाव आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए सभी राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी दी है कि जनसभाओं और रैलियों के दौरान तय संख्या में भीड़ जुटाने और कोरोना संबंधी गाइडलाइन का पालन किया जाए। लेकिन इसके बाद भी हकीकत यही है कि राजनीतिक पार्टियां जनसभाओं और रैलियों के दौरान कोविड-19 से जुड़े निर्देशों का पालन नहीं कर रहीं है। यहां तक कि इन पार्टियों के ज़्यादातर शीर्ष नेता भी चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री की रैली में इस सबका पूरी तरह पालन होता नज़र नहीं आया।
इसी तरह चुनाव आयोग ने बिहार के जिला निर्वाचन अधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों की जिम्मेदारी तय करते हुए कहा है कि वे अपने जिले में रैलियों के लिए ऐसा मैदान चुनेंगे, जहां एंट्री और एग्जिट की उचित सुविधा हो। लेकिन ध्यान रखा जाए कि मैदान में उतने ही लोग उपस्थित रहें, जितना कि स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी अनुमति दे। डोर टू डोर कैंपेनिंग के लिए उम्मीदवार और सुरक्षाकर्मी सहित सिर्फ पांच लोगों को अनुमति दी जाएगी।
लेकिन हर दिन बिहार से सैकड़ों की संख्या में वीडियो राजनीतिक दलों के नेताओं और समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर अपलोड किए जा रहे हैं जिसमें इसकी धज्जियां उड़ती नजर आ रही है। अगर हम चुनाव आयोग द्वारा इस पर रोक लगाने के लिए की गई कार्रवाई पर नजर डाले तो यह बहुत ही मामूली दिखाई पड़ रही है।
दैनिक जागरण की एक खबर के मुताबिक विधानसभा चुनाव में प्रचार-प्रसार और सभाओं में कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं करने पर अब तक मात्र 25 एफआइआर दर्ज की गई है, जबकि जांच अधिकारी ने 15 और प्राथमिकी की अनुशंसा की है। आपको बता दें कि अब तक चार सौ से अधिक जनसभाओं की अनुमति चुनाव आयोग द्वारा दी जा चुकी है। इनमें आधी से ज्यादा सभाएं हो चुकी हैं। गौरतलब है कि आयोग ने पार्टियों को जनसभाओं के लिए सशर्त अनुमति दी थी जिसके अनुसार छह फीट की दूरी तथा मास्क व सैनिटाइजर की उपलब्धता जरूरी थी।
खबर के मुताबिक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एचएन श्रीनिवास ने बताया कि प्रचार-प्रसार और सभा में कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं करने पर प्राथमिकी की गई है। जिन्होंने सभा की अनुमति ली है, उन्हें नामजद किया जा रहा है।
दूसरी तरफ इस जानलेवा लापरवाही का परिणाम भी अब दिखने लगा है। लगातार चुनाव प्रचार कर रहे कई नेता भी तेजी से कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। भाजपा के स्टार प्रचारक राजीव प्रताप रूडी और शाहनवाज हुसैन व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय कोरोना संक्रमित हो गए हैं। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी कोरोना संक्रमित होकर पहले से ही पटना एम्स अस्पताल में भर्ती हैं। इसके अलावा कई जगहों के प्रत्याशी भी कोविड की चपेट में आ गए हैं।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की वैज्ञानिकों की नेशनल सुपर मॉडल कमेटी ने भी चेतावनी दी है कि बिहार में चुनाव के कारण असामान्य रूप से कोरोना के मामलों में वृद्धि हो सकती है। और संक्रमण अगर बढ़ेगा तो फरवरी तक कोरोना की दूसरी लहर का सामना करना पड़ सकता है। यहां आपको यह भी याद दिला दें कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पहले ही लचर हालत में है और यहां डॉक्टरों, प्रशिक्षित पैरामेडिक्स और नर्सों की भारी कमी है।
यह सही है कि अपने देश में पिछले कुछ समय से कोरोना के नए मामलों में कमी दिख रही है। बावजूद इसके, यह नहीं माना जा सकता कि इसका खतरा कम हो गया है। दुनिया के अन्य हिस्सों की तरफ नजर दौड़ाई जाए तो अमेरिका, रूस, स्पेन, ईरान आदि अनेक देशों में कोरोना का ग्राफ लहर की शक्ल में नजर आता है। यानी एक बार नीचे जाने के बाद दोबारा ऊपर आने वाला। ऐसे में लहर जैसा यह ग्राफ बताता है कि वायरस का एक बार काबू में आ जाना काफी नहीं है। यह दोबारा बेकाबू होकर पहले से भी बड़ी चुनौती खड़ी कर सकता है।
ऐसे में कोरोना से लड़ने का मास्क, फिजिकल डिस्टेंशिंग व सर्तकता के अलावा और कोई कारगर हथियार अभी लंबे समय तक हमारे पास नहीं है। बिहार चुनाव के दौरान चुनाव आयोग को सख्ती से कोरोना प्रोटोकाल का पालन नेताओं और राजनीतिक दलों को कराना चाहिए। आगामी कुछ महीनों में अगर बिहार में कोरोना संक्रमण के मामले अगर बढ़ते हैं तो निसंदेह इसकी जिम्मेदारी चुनाव आयोग और बिहार प्रशासन की होगी।
गौरतलब है कि बिहार में कुल तीन चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं। पहले चरण की 71 सीटों के लिए 28 अक्टूबर को मतदान होगा, वहीं दूसरे चरण की 94 सीटों के लिए तीन नवंबर और तीसरे चरण की 78 सीटों के लिए सात नवंबर को मतदान होंगा। सभी 243 सीटों के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे।
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