SIR– काग़ज़ संभाल भइया, काग़ज़ संभाल बहना...
SIR– काग़ज़ संभाल
काग़ज़ संभाल भइया काग़ज़ संभाल
काग़ज़ संभाल बहना काग़ज़ संभाल
फिर से शिकारी ने फेंका है जाल
काग़ज़ संभाल भइया काग़ज़ संभाल
काग़ज़ संभाल बहना काग़ज़ संभाल
वोटवा पुराना– चलेगा ना भाई
राशन का कारड– चलेगा ना माई
आधार– निराधार, उल्टी है चाल
काग़ज़ संभाल भइया काग़ज़ संभाल
काग़ज़ संभाल बहना काग़ज़ संभाल
तू पैदा हुआ है– सबूत दे भाई
बाबा कहां के, कहां की है माई
काग़ज़ की माया है, काग़ज़ का जाल
काग़ज़ संभाल भइया काग़ज़ संभाल
काग़ज़ संभाल बहना काग़ज़ संभाल
बाढ़ आए, आग लगे, जान जाए चाही
काग़ज़ बनाई बाबू, काग़ज़ बचाई
घर में ना पैसा, ना रोटी, ना दाल
काग़ज़ संभाल भइया काग़ज़ संभाल
काग़ज़ संभाल बहना काग़ज़ संभाल
नोटबंदी की तरह वोटबंदी आई
बी.एल.ओ के आगे लाइन लगाई
ज़िंदा हो तुम इसकी दो तुम मिसाल
काग़ज़ संभाल भइया काग़ज़ संभाल
काग़ज़ संभाल बहना काग़ज़ संभाल
नाम एस.आई.आर, पर है ये शिकायत
जैसे एन.आर.सी की हो ये कवायद
सच है क्या, सच है ये सत्ता की चाल
काग़ज़ संभाल भइया काग़ज़ संभाल
काग़ज़ संभाल बहना काग़ज़ संभाल
वोटर चुने था सरकार पहले अपनी
सरकार करती अब वोटर की छंटनी
देशद्रोही है वो जो पूछे सवाल
काग़ज़ संभाल भइया काग़ज़ संभाल
काग़ज़ संभाल बहना काग़ज़ संभाल
अब तो जाग…जाग ज़रा, जाग मेरे भाई
जाग मेरी बहना और जाग मेरी माई
उठ जा और काट दे सत्ता का जाल
भारत संभाल भइया भारत संभाल
भारत संभाल बहना भारत संभाल
भारत संभाल बाबू भारत संभाल
भारत संभाल साथी भारत संभाल
* मुकुल सरल
(कवि–पत्रकार)
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