जातीय हिंसा के चार महीने बाद मणिपुर को भूल गई केंद्र सरकार : कांग्रेस

नयी दिल्ली: कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि जातीय हिंसा भड़कने के चार महीने बाद केंद्र ने मणिपुर को भुला दिया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पिछले चार महीने में दुनिया ने देखा है कि "प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) ने सबसे खराब संकट का सामना करने वाले मणिपुर को निराश किया है।"
रमेश ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट किया, "मणिपुर में तीन मई को जातीय हिंसा भड़कने के चार महीने बाद जब प्रधानमंत्री और उनकी वाह-वाह करने वाले, जी20 से जुड़े आयोजनों में लीन हैं, तब मोदी सरकार पूर्वोत्तर के इस राज्य को भूल गई है।"
While the Prime Minister and his drum-beaters are obsessed with G20, four months after ethnic violence broke out on May 3rd, Manipur lies forgotten by the Modi government.
The Chief Minister has ensured that the Manipuri society is more divided today than ever before.
The…— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 4, 2023
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने यह सुनिश्चित किया है कि मणिपुरी समाज आज पहले से कहीं अधिक विभाजित है।
रमेश ने कहा, "केंद्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) हिंसा को समाप्त करने और हथियारों और गोला-बारूद की बरामदगी सुनिश्चित करने में नाकाम रहे हैं। इसके बजाय कई और सशस्त्र समूह संघर्ष में शामिल हो गए हैं।"
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा करने, या सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने, या कोई विश्वसनीय शांति प्रक्रिया शुरू करने से "इनकार" किया है।
रमेश ने आरोप लगाया, "मानवीय त्रासदी के बीच, मणिपुर में संवैधानिक मशीनरी और समुदायों के बीच विश्वास पूरी तरह से टूट गया है।"
अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित किए जाने के बाद मई की शुरुआत में मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क गई थी, जिसमें 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों अन्य घायल हुए हैं।
मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत से कुछ अधिक है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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