CAA विरोध : दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के बावजूद हज़ारों नागरिकों ने किया प्रदर्शन

19 दिसंबर 1927 को, राम प्रसाद बिस्मिल, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय लोगों को उत्तेजित करने वाले देशभक्तिपूर्ण आह्वान का प्रतिपादन किया, उन्हें गोरखपुर जेल में फांसी दे दी गई थी।
सह-अभियुक्त अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान को फ़ैज़ाबाद जेल में और दूसरे सह-अभियुक्त रोशन सिंह को नैनी जेल में फांसी दी गई थी। धार्मिक एकता को पछाड़ते हुए इस एकता ने भारत को अंग्रेज़ों से आज़ादी दिलाई थी।
आज उनकी फांसी के 92 साल बाद 19 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए, इसी कड़ी में देश की राजधानी दिल्ली में भी ज़ोरदार प्रदर्शन हुआ। दिल्ली में यह प्रदर्शन मुख्यत: दो स्थानों पर हुआ। एक प्रदर्शन दिल्ली के लाल क़िला और दूसरा जंतर मंतर पर। इस मार्च में शामिल होने के लिए राजधानी के अलग-अलग हिस्सों से सभी छात्र, युवा और महिलाएं पहुँचे।
दिल्ली में लाल क़िला क्षेत्र के आसपास लागू निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए बृहस्पतिवार को हज़ारों लोगों ने नागरिकता संशोधित क़ानून (सीएए) के विरोध में मार्च निकालने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।
स्वराज अभियान के प्रमुख योगेंद्र यादव, पूर्व जेएनयू छात्र नेता उमर ख़ालिद और जेएनयूएसयू पूर्व अध्यक्ष एन साई बालाजी को भी हिरासत में लिया गया है।
मार्च निकालने की कोशिश कर रहे छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को बसों में भरकर ले जाया गया। हाथों में तख्तियाँ लिए हुए और नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने बसों में ले जाने का ज्यादा विरोध नहीं किया।
इसी तरह से जो मार्च वामपंथी दलों द्वारा मंडी हाउस से शहीदी पार्क की तरफ़ जाना था वहां भी पुलिस ने उसे रोका। सैंकड़ों की संख्या में लोगों को हिरासत में लिया गया। इसमें सीताराम येचुरी, डी राजा, नीलोत्पल बसु, ब्रिन्दा करात समेत कांग्रेस के अजय माकन और संदीप दीक्षित भी शामिल थे। हालांकि बाद में इन लोगो को रिहा कर दिया गया।
पुलिस की इन सभी कार्रवाई के बाद भी हज़ारों की संख्या में लोगों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया।
यादव ने ट्वीट किया, ‘‘मुझे अभी-अभी लाल क़िला से हिरासत में लिया गया है। क़रीब एक हज़ार प्रदर्शनकारियों को पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है। हज़ारों प्रदर्शनकारी रास्ते में हैं। हमें बताया गया है कि हमें बवाना ले जाया जा रहा है।’’
दिल्ली पुलिस उपायुक्त (सेंट्रल) मनदीप सिंह रंधावा ने कहा, ‘‘हम लोगों से अपील करते हैं कि वह अफ़वाहों पर ध्यान न दें। क्षेत्र में 144 पहले ही लगा दिया गया है।’’
खालिद ने ट्वीट किया, ‘‘लाल क़िले से दिल्ली पुलिस ने हमें उठाया। हम यहां विभाजनकारी कैब-एनआरसी के ख़िलाफ़ अशफ़ाक़ और बिस्मिल की शहादत दिवस के दिन प्रदर्शन करने के लिए जमा हुए थे। मैं सभी प्रदर्शनकारियों से अपील करता हूं कि वह शांतिपूर्ण तरीक़े से तब तक प्रदर्शन करते रहें जब तक कि कैब-एनआरसी को वापस नहीं ले लिया जाए। यह कुछ ऐसा है कि अशफ़ाक़ और बिस्मिल का क़र्ज़ है हम पर, जिसे हमें चुकाना है।’’
उमर ने हिरासत में लिए जाने से पहले न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा था कि वो आज देश और संविधान को बचाने के लिए सड़क पर उतरे हैं। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़े तो कोई बात नहीं।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) अजीत के.सिंगला ने लाल क़िले पर प्रदर्शनकारियों ने कहा, ‘‘अगर आपके पास मांगों का ज्ञापन है तो आप हमें दें। हमने धारा 144 लगा दी है। अगर असामाजिक तत्वों ने शांति भंग करने की कोशिश की तो आप लोग नियंत्रण नहीं रख पाएंगे।’’
एक प्रदर्शनकारी ने पूछा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने पर क्या नुकसान पहुंच रहा है।
29 वर्षीय शाकिब ने कहा, ‘‘जब कभी हम एनआरसी और कैब के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने के लिए जुटते हैं पुलिस कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लेती है ताकि हम उन्हें छुड़ाने पर ध्यान केंद्रित कर लें।’’
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को अलग-थलग किया। हज़ारों लोग दरियागंज, तुर्कमान गेट और जामा मस्जिद की तरफ़ से सुबह 10 बजे लाल क़िले की तरफ़ बढ़े। कुछ प्रदर्शनकारी जो चांदनी चौक पहुंचे थे पुलिस ने उन पर बल प्रयोग किया और उन्हें बसों में भरकर बवाना ले गए। हमें बीच-बीच में रोका गया और आगे बढ़ने की मंज़ूरी नहीं दी गई।’’
लोगो को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने दिल्ली में कम से कम 19 मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार बंद कर दिये गये थे। वहीं दक्षिण, पूर्वी और उत्तरी दिल्ली के बड़े हिस्से में प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेड लगाए गये हैं। शहर में कई जगहों पर यातायात की भी समस्या आ रही है। इसके साथ ही दिल्ली के कई इलाक़ों में मोबाईल के नेटवर्क कमज़ोर किए गए हैं जिससे प्रदर्शनकारी अधिक संख्या में एकत्रित न हो सकें।
लाल क़िले पर प्रदर्शनकारी सुबह छह बजे से ही जुटने लगे थे, वो सभी शहीदी पार्क जाना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें दस बजे हिरासत में लिया। जबकि प्रदर्शन का समय सुबह 11 बजे रखा गया था।
लाल क़िले पर लोग लगातार अलग-अलग दिशाओं से दस बीस की संख्या में आ रहे थे और ख़ुद ही गिरफ़्तारी दे रहे थे। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं थी। जितने भी प्रदर्शनकारी थे सभी शांतिपूर्ण तरीक़े से नारे लगते हुए पहुंच रहे थे। आज का पूरा विरोध मार्च शांति पूर्ण था।
इससे पहले उन्हें लाल क़िला और मंडी हाउस पर प्रदर्शन की इजाज़त नहीं दी गयी थी और वहाँ निषेधाज्ञा लागू कर दी गयी थी। जंतर मंतर पर लोग क्रांतिकारी गीत गा रहे थे और सड़कों पर नारे और संदेश लिख रहे थे। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में राजधानी के छात्र, शिक्षक और समाज के लोगों ने भी भागीदारी की थी।
प्रदर्शनकारियों का कहना था, "आज आरएसएस-भाजपा द्वारा देश को तोड़ा जा रहा है। इसलिए इसका विरोध करना ज़रूरी है। हम इस विधेयक का पुरज़ोर विरोध करते हैं जो नागरिकता को एक व्यक्ति के धर्म के साथ जोड़ता है, यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के विरूद्ध है। इस विधेयक का उद्देश्य देश में सांप्रदायिक विभाजन और सामाजिक ध्रुवीकरण को और तेज़ करना है, जो हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए ख़तरनाक है। इस बिल के पारित होने के साथ-साथ इस मोदी-शाह भाजपा सरकार द्वारा पूरे देश में नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) के विस्तार करने की घोषणा की है, जिससे भारतीय गणतंत्र का चरित्र बदल जाएगा। यह हमें एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र से एक "हिंदुत्व राष्ट्र" की ओर ले जाएगा और यही आरएसएस की राजनीतिक योजना है।"
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "आज दिल्ली ने दिखा दिया कि सरकार की जेलों में उनके लिए जगह नहीं है, हम जेलों में जाने के लिए तैयार है। लेकिन देश का संविधान नहीं ख़त्म होने देंगे। हम तो शांति से एक मार्च करने चाह रहे थे लेकिन पुलिस ने इसे सैंकड़ों मार्च में बदल दिया है। पुलिस ने ख़ुद ही पूरी राजधानी को बंद कर दिया जबकि हम तो केवल कुछ किलोमीटर ही मार्च करना चाहते थे।"
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
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