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बिहार: 'गोलीकांड' में पुलिस के दावे पर उठ रहे सवाल ? बिजली कटौती-लो वोल्टेज से ग्रस्त हैं कई इलाक़े

"यदि प्रशासन का कोई आदमी धरना स्थल पर जाकर आंदोलनकारियों का मेमोरेंडम ले लेता, तो यह घटना ही नहीं घटती।"
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बिहार के कटिहार जिला में 26 जुलाई को बिजली की अनियमितता, बिजली कटौती और लो वोल्टेज को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस गोलीबारी में कथित तौर पर दो लोगों की मौत के बाद जहां एक तरफ पुलिस ने 41 नामजद व 1200 अज्ञात के विरुद्ध प्रथिमिकी दर्ज़ कराई वहीं बिजली विभाग में कार्यरत सहायक विद्युत अभियंता विकास रंजन ने इमादपुर के मुखिया इंजीनियर मोअज्जम हुसैन को मुख्य अभियुक्त बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराया है। हालांकि अभी तक प्रदर्शन के दौरान मारे गए दो लोग और घायल कुछ लोगों को लेकर प्रशासन की तरफ से कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया गया है। प्रदर्शन के दौरान गोली चलने के बाद जहां 'मोहम्मद खुर्शीद' की मौके पर ही मौत हो गई वहीं सोनू कुमार शाह ने सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ा। सोनू के सिर में गंभीर चोट लगी थी। वहीं नियाज की आंख पूरी तरह डैमेज हो गई है और फिलहाल उनका इलाज सिलीगुड़ी के अस्पताल में चल रहा है।

सीमांचल स्थित वेब पोर्टल के पत्रकार धीरज झा के मुताबिक़ धरना प्रदर्शन पर बैठे आयोजकों ने धरना का परमिशन ले रखा था और उसकी पूर्व सूचना प्रशासन के पास थी। ये धरना मुखिया संघ द्वारा आयोजित की गई थी। हालांकि घटना के बाद पुलिस और बिजली विभाग के द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद स्थानीय विधायक महबूब आलम ने ट्वीट करते हुए लिखा कि बारसोई गोलीकांड में हमारी पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं सहित कई निर्दोष लोगों पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। इस वजह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर उन्हें सारी स्थितियों से अवगत कराऊंगा। स्थानीय पत्रकार जावेद के मुताबिक माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने 24-25 मई को बिजली कटौती व लो शेडिंग के सवाल पर संगमारी विद्युत स्टेशन पर धरना भी दिया था।

कटिहार 'गोलीकांड' में पुलिस के दावे पर क्यों उठ रहे सवाल?

बारसोई गोलीकांड के तुरंत बाद 26 जुलाई को गृह विभाग ने पूरी घटना के बारे में विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण चल रहा था लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों ने बिजली कर्मियों और वहां तैनात पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया। जिसके बाद पुलिसकर्मियों को यह एक्शन लेना पड़ा। 2 दिन बाद यानी 28 जुलाई को कटिहार के एसपी जितेंद्र कुमार ने फूटेज जारी करते हुए दावा किया कि एक व्यक्ति भीड़ में घुसकर सोनू और नियाज को गोली मारा।

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भीड़ में मौजूद प्रत्यक्षदर्शी जैबार, बिपुल और अकील के मुताबिक मोहम्मद खुर्शीद की जहां मौत हुई वह स्थान बिजली विभाग और अनुमंडल कार्यालय का परिसर है। सोनू शाह के बड़े भाई मोनू साह बताते हैं कि, "मेरा भाई मुझे बुलाने आया था। वह बस यूं ही भीड़ में खड़ा था। तभी एक गोली उसे भी लग गई। पुलिस के द्वारा चलाया जा रहा सीसीटीवी फुटेज देखिए, मुझे बताइए चंद सेकेंड में कोई व्यक्ति दो आदमी को गोली मार सकता है? इस पूरी घटना की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। तभी न्याय की उम्मीद की जा सकती है। वह सीए की तैयारी कर रहा था।"

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि माले विधायक दल नेता महबूब आलम ने एसडीओ राजेश्वरी पांडेय और डीएसपी को फोन के माध्यम से सूचना देकर सचेत किया था। उन्होंने अपनी सूचना में कहा था कि "आम लोगों में काफी आक्रोश है इसलिए प्रशासन इसे ठीक से डील करे। इसके बावजूद, प्रशासन ने अपनी ओर से किसी भी मजिस्ट्रेट की नियुक्ति नहीं की और मामले को एकदम सीरियस नहीं लिया। यदि प्रशासन का कोई आदमी धरना स्थल पर जाकर आंदोलनकारियों का मेमोरेंडम ले लेता, तो यह घटना ही नहीं घटती। प्रशासन ने बिना किसी चेतावनी के आंसू गैस अथवा हवाई फायरिंग की इसलिए इस घटना के लिए एसडीओ राजेश्वरी पांडेय को जिम्मेदार मानते हुए उनकी बर्खास्तगी की मांग करनी चाहिए। वहीं हमारी जांच टीम ने पाया कि प्रशासन के बयान के विपरीत इन दोनों जगह से यदि पुलिस अपने थ्री नाॅट थ्री से गोली चलाती है तो किसी की भी मौत हो सकती है। अभी तक पोस्टमार्टम की रिपोर्ट भी नहीं आ सकी है। यदि उस रिपोर्ट के साथ कोई छेड़छाड़ न हो तो स्पष्ट हो जाएगा कि हत्या पुलिस की गोली से हुई है अथवा किसी अज्ञात व्यक्ति की तरफ से। हम पूरे घटना की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग करते है।"

पुलिस गोलीबारी के बाद बिहार के ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव के बयान पर कई सवाल उठे थे। उन्होंने कहा था कि 'कोई बदमाशी करेगा तो पुलिस क्या करेगी'। इसके बाद कई विपक्षी नेताओं ने इसकी आलोचना की। बिहार के आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल सिंह बताते हैं कि बिजली आपूर्ति कंपनियां बिजली की पर्याप्त आपूर्ति करने में विफल रही हैं। इससे बिहार के कई इलाकों में आक्रोश फैल गया। यह राज्य सरकार की विफलता है।

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बिजली कटौती और लो वोल्टेज से ग्रस्त बिहार

बांका जिला स्थित धोरैया विधानसभा के विधायक भूदेव चौधरी सत्ताधीश पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के विधायक है। वो पिछले 2-3 दिन में बिहार के ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव और साऊथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक महेंद्र कुमार से मुलाकात कर अपने विधानसभा क्षेत्र की बिजली समस्याओं से उन्हें अवगत कराते रहे है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि, 'ऊर्जा मंत्री और बिजली पदाधिकारियों से मिलकर हमने अपने क्षेत्र की समस्या को रखा है। हमारे क्षेत्र में लगातार बिजली कटौती से क्षेत्र की जनता काफी परेशान है और इस भीषण गर्मी में लोगों को बिजली कटौती से पेयजल भी नसीब नहीं हो पाता है। बिजली कटौती से कृषि कार्यों में परेशानी होती है। इससे पहले हम बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता एवं सहायक अभियंता से भी मिलें, लेकिन इसके बाद भी आपूर्ति सही नहीं हो पा रही है। हमारे क्षेत्र स्थित दोनों प्रखंडों में 5 MVA की जगह 10 MVA की ट्रांसफॉर्मर लगने से समस्या का स्थायी निदान होगा।"

वहीं बांका जिला स्थित रजौन प्रखंड के कठचातर गांव के गुरूपूजन कुमार यादव बताते हैं कि, "मेरे गांव में ट्रांसफॉर्मर की सख्त जरूरत है। वोल्टेज बहुत खराब रहता है। सरकार से हम लोग नाउम्मीद हो चुके है। हम गांव वाले चंदा वसूल कर जल्दी ट्रांसफॉर्मर खरीदेंगे। पता नहीं खरीदने के बाद भी सरकार उसे उपयोग में लाने देगी कि नहीं।"

वहीं सीमांचल क्षेत्र स्थित स्थानीय पत्रकार के मुताबिक कटिहार के बारसोई डिवीजन के 30 पंचायत में 1 से 25 जुलाई के बीच 39 घंटे पावर सप्लाई की गई थी। इस दौरान बारसोई फीडर को औसतन 31.52 केवी, सन्हौली को 32.04 केवी और आजमनगर को 31.25 केवी बिजली मिल रही रही थी। जो लो वोल्टेज का प्रमुख कारण बनी थी। इसके अलावा 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन का रूट 70 किमी है, जो ट्रिप लगने की बड़ी वजह बन रही है। जिसकी वजह से लोग बेहद परेशान हैं। इसलिए वो बिजली विभाग के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।

बिजली की वजह से पटवन मंहगा पड़ रहा है

मौसम विभाग के अनुसार 1 जून से लेकर 31 जुलाई 2023 के दौरान बिहार में सामान्य से 48 प्रतिशत बारिश कम हुई है। राज्य के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत के मुताबिक अभी तक राज्य में सिर्फ 50% धान की रोपनी हुई है। इस वजह से बिहार कृषि विभाग किसानों को पटवन के उद्देश्य से डीलर खरीदने के लिए अनुदान पर दे रहा है। लेकिन पूरे बिहार में सीमांत किसानों को पटवन के लिए पंप सेट मशीन भाड़े पर ले जाकर खेत पटवाना पड़ रहा है। बांका जिला स्थित खड़िहारा पंचायत के कमलपुर गांव के नयन झा बताते हैं कि, "पूरे गांव में लगभग 40 से 50% खेतों तक ही बिजली का तार पहुंचा है। ऐसे में किसानों को लगभग ₹150 प्रति घंटा की दर से पंपिंग सेट मशीन से खेत पटवाना पड़ रहा है। वहीं जहां बिजली लगा है वहां सिर्फ 50-70 रुपए प्रति घंटा की दर से खेत पट रहा है।" बांका जिला के कमलपुर गांव जैसी स्थिति पूरे बिहार के गांवों की है।

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