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युद्धक्षेत्र निगरानी प्रणाली से स्थितिजन्य सतर्कता मॉड्यूल तक कई परियोजनाओं पर जुटी सेना: सूत्र

भाषा |
भारतीय सेना खुद को अधिक शक्तिशाली और कुशल बनाने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी पर आधारित कई प्रमुख परियोजनाओं पर काम कर रही है।
Indian army
प्रतीकात्मक तस्वीर। PTI

भारतीय सेना खुद को अधिक शक्तिशाली और कुशल बनाने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी पर आधारित कई प्रमुख परियोजनाओं पर काम कर रही है, जिनमें युद्धक्षेत्र निगरानी प्रणाली से लेकर एक ऐसी तकनीक शामिल है, जो एकल जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) मंच पर ‘बहु-क्षेत्रीय स्थानिक सतर्कता’ प्रदान करेगी। रक्षा सूत्रों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि सेना वर्ष 2023 को ‘बदलाव के साल’ के रूप में देख रही है और इन परियोजनाओं का मकसद सेना की कार्य प्रणाली को ‘नया आकार एवं नया स्वरूप देना’ तथा उसकी क्षमताओं में ‘बड़ा सुधार’ लाना है।

सूत्रों के मुताबिक, सेना ‘प्रोजेक्ट संजय’ के तहत युद्धक्षेत्र निगरानी प्रणाली का विकास कर रही है, जो जमीनी स्तर पर जानकारी जुटाने के लिए बड़ी संख्या में निगरानी केंद्र स्थापित करने पर जोर देता है।

उन्होंने कहा कि ‘प्रोजेक्ट संजय’ बड़ी संख्या में सेंसर को आपस में जोड़ने में मदद करेगा। यह सभी स्तर के कमांडर और सैन्य कर्मियों को एकीकृत निगरानी मंच प्रदान करने के साथ ही सेंसर-शूटर ग्रिड (सैनिकों को रियल-टाइम डेटा उपलब्ध कराने वाली ग्रिड) को एसीसीसीएस (आर्टिलरी कॉम्बैट कमांड एंड कंट्रोल एंड कम्युनिकेशन सिस्टम) से जोड़कर उसे मूर्त आकार देगा।

सूत्रों के अनुसार, एक लंबी अवधि में अलग-अलग क्षेत्रों में व्यापाक स्तर पर हुए परीक्षण में मिली सफलता के कारण यह महत्वाकांक्षी परियोजना साकार होने के करीब पहुंच गई है।

उन्होंने बताया कि पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में जिन इलाकों में बड़े पैमाने पर इस परियोजना की आजमाइश की गई, उनमें मैदानी इलाकों से लेकर रेगिस्तान और पहाड़ी क्षेत्र तक शामिल हैं।

सूत्रों के मुताबिक, बीईएल गाजियाबाद इस परियोजना की सिस्टम इंटीग्रेटर (एकीकृत सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर प्रणाली का विपणन करने वाली कंपनी) है और वह सेना की उम्मीदों पर खरी उतरने में कामयाब रही है।

उन्होंने कहा कि दिसंबर 2025 तक सैन्य टुकड़ियों के लिए इन निगरानी केंद्रों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आपूर्तिकर्ता के साथ अनुबंध को आगे बढ़ाया जा रहा है।

सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने जम्मू में हाल ही में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय सेना द्वारा अधिक शक्तिशाली और कुशल बनने के लिए किए जा रहे बदलावों का जिक्र किया था। 

उन्होंने कहा था, “हमने कई परिवर्तनकारी पहल की है, ताकि हम एक अधिक आधुनिक, अधिक प्रौद्योगिकी-कुशल और आत्मनिर्भर युद्धक बल बन सकें। इससे हम न केवल अपने उद्देश्यों को अधिक प्रभावी ढंग से पूरा कर सकेंगे, बल्कि भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से भी ज्यादा बेहतर तरीके से निपट पाएंगे।”

रक्षा सूत्रों ने बताया कि सेना एक और महत्वाकांक्षी परियोजना एसएएमए (सेना के लिए स्थितिजन्य सतर्कता मॉड्यूल) पर भी तीव्र गति से काम कर रही है। इसके तहत, युद्धक अभियानों के लिए सेना की निर्णय समर्थन सूचना प्रणाली (सीआईडीएसएस) को नया स्वरूप देते हुए सैन्य सूचना एवं निर्णय समर्थन प्रणाली (एआईडीएसएस) में तब्दील किया गया है, जो सभी परिचालन और प्रबंधकीय सूचना प्रणालियों से इनपुट को एकीकृत करेगा।

सूत्रों के मुताबिक, सेना अधिक शक्तिशाली और कुशल बनाने के लिए जिन अन्य परियोजनाओं पर काम कर रही है, उनमें ई-सिट्रेप (सिचुएशनल रिपोर्टिंग ओवर एंटरप्राइज-क्लास जीआईएस प्लेटफॉर्म), प्रोजेक्ट अवगत (सेना की अपनी गति शक्ति) और ‘प्रोजेक्ट अनुमान’ (मौसम संबंधी डेटा उपलब्ध कराने से जुड़ी तकनीक) शामिल हैं।

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