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अफ़ग़ानिस्तान अपडेट: क्या है भारत का रुख, क्या कर रहा है अमेरिका, क्या सोच रहा है चीन

उम्मीद है कि अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पड़ोसियों के लिए चुनौती नहीं बनेगी : भारत ने यूएनएचआरसी में कहा
अफ़ग़ानिस्तान अपडेट: क्या है भारत का रुख, क्या कर रहा है अमेरिका, क्या सोच रहा है चीन

नयी दिल्ली: भारत ने तालिबान को लेकर अपना रुख अभी साफ नहीं किया है, हालांकि भारत की ओर से मंगलवार को कहा गया कि अफ़ग़ानिस्तान की मौजूदा स्थिति उसके लिए 'गंभीर चिंता' का विषय है और उसे उम्मीद है कि यह पड़ोसियों के लिए चुनौती नहीं बनेगी तथा लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूह द्वारा अपनी गतिविधियों के लिए देश की भूमि का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के एक विशेष सत्र को संबोधित करते हुए भारतीय राजदूत इंद्र मणि पांडेय ने कहा कि देश (अफ़ग़ानिस्तान) में एक "गंभीर" मानवीय संकट उभर कर सामने आ रहा है और हर कोई अफगान लोगों के मौलिक अधिकारों के बढ़ते उल्लंघन को लेकर चिंतित है।

उन्होंने कहा कि भारत को उम्मीद है कि वहां की स्थिति जल्द ही स्थिर होगी और संबंधित पक्ष मानवीय और सुरक्षा मुद्दों का समाधान निकालेंगे। उन्होंने कहा, "हमें यह भी उम्मीद है कि एक समावेशी और व्यापक आधार वाली व्यवस्था होगी जो अफगान समाज के सभी तबकों का प्रतिनिधित्व करती है। अफगान महिलाओं की आवाज, अफगान बच्चों की आकांक्षाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।"

उन्होंने कहा कि व्यापक आधार वाले प्रतिनिधित्व से व्यवस्था को अधिक स्वीकार्यता और वैधता हासिल करने में सहायता मिलेगी।

जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पांडेय ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में स्थिरता से क्षेत्र की शांति और सुरक्षा जुड़ी है। उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति उसके पड़ोसियों के लिए एक चुनौती नहीं होगी और उसके क्षेत्र का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) जैसे आतंकवादी समूहों द्वारा किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं किया जाएगा।’’

राजदूत पांडेय ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की मौजूदा स्थिति पड़ोसी देश होने के नाते भारत के लिए "गंभीर चिंता" का विषय है।

उन्होंने कहा, "हम अफ़ग़ानिस्तान में तेजी से उभर रही सुरक्षा स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और हम संबंधित पक्षों से कानून व्यवस्था बनाए रखने, सभी अफगान नागरिकों, संयुक्त राष्ट्र कर्मियों और राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा अफ़ग़ानिस्तान में सभी परिस्थितियों में मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करने का आह्वान करते हैं।’’

काबुल पर तालिबान का कब्जा हो जाने के बाद अफ़ग़ानिस्तान में मानवाधिकार संबंधी चिंता और स्थिति पर विचार विमर्श के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का विशेष सत्र आयोजित किया गया है।

अफ़ग़ानिस्तान से लोगों को सुरक्षित लाने के भारत के मिशन का नाम रखा गया ‘ऑपरेशन देवी शक्ति’

नयी दिल्ली: अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद काबुल से भारतीय नागरिकों और अफगान सहयोगियों को सुरक्षित लाने के भारत के जटिल मिशन का नाम ‘ऑपरेशन देवी शक्ति’ रखा गया है।

इस अभियान के नाम के बारे में तब पता चला जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 78 और लोगों को अफ़ग़ानिस्तान से लाए जाने के संदर्भ में मंगलवार को अपने एक ट्वीट में इसका उल्लेख किया।

उन्होंने लिखा, ‘‘ऑपरेशन देवी शक्ति जारी है। काबुल से 78 लोगों को दुशांबे के रास्ते लाया गया। आईएएफ-एमसीसी, एअरइंडियन और टीम एमईए को उनके अथक प्रयासों के लिए नमन।’’

भारत ने 16 अगस्त को काबुल से 40 भारतीयों को विमान से दिल्ली लाकर लोगों को सुरक्षित लाने के जटिल मिशन की शुरुआत की थी। इससे एक दिन पहले तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी पर नियंत्रण कर लिया था।

काबुल में खराब होती सुरक्षा स्थिति और अपने नागरिकों को वापस ले जाने के विभिन्न देशों के प्रयासों के बीच भारत अब तक 800 से अधिक लोगों को सुरक्षित ला चुका है।

पिछले एक सप्ताह से हजारों अफगान नागरिक काबुल हवाईअड्डे के आसपास एकत्र हैं जो तालिबान के कब्जे के बाद अपना देश छोडना चाहते हैं। उन्हें डर है कि तालिबान के साथ देश में बर्बरता का दौर फिर लौट आएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 अगस्त को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति की बैठक में अधिकारियों को अफ़ग़ानिस्तान से सभी भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने तथा भारत आने के इच्छुक अफगान हिन्दुओं और सिखों को शरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।

भारत द्वारा काबुल स्थित भारतीय दूतावास से 17 अगस्त को अपने सभी कर्मियों को वापस लाए जाने के बाद जयशंकर ने मिशन को ‘‘कठिन और जटिल’’ कवायद करार दिया था।

मंगलवार को भारत अपने 25 नागरिकों और कई अफगान सिखों तथा हिन्दुओं सहित 78 लोगों को दुशांबे से लेकर आया जिन्हें एक दिन पहले काबुल से इस ताजिकिस्तान की राजधानी पहुंचाया गया था।

मोदी ने अफ़ग़ानिस्तान की ताजा स्थिति पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन से की बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात कर अफ़ग़ानिस्तान के ताजा हालात के साथ-साथ दोनों देशों (भारत-रूस) के द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की।

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘अफ़ग़ानिस्तान के ताजा हालात पर मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन से विचारों का उपयोगी और विस्तृत आदान प्रदान हुआ। हम लोगों ने कोविड-19 के खिलाफ भारत-रूस सहयोग सहित द्विपक्षीय एजेंडे से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। महत्वपूर्ण मुद्दों पर घनिष्ट विमर्श जारी रखने पर दोनों सहमत हुए।’’

सीआईए के निदेशक ने काबुल में तालिबान नेता बरादर के साथ गुप्त बैठक की: ख़बर

वाशिंगटन: अमेरिका की केन्द्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) के निदेशक ने तालिबान के नेता अब्दुल गनी बरादर के साथ काबुल में सोमवार को गुप्त बैठक की। मंगलवार को एक खबर में यह जानकारी दी गई है।

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद दोनों पक्षों के बीच यह पहली उच्च स्तर की बैठक थी। अमेरिकी सैनिकों की वापसी से दो सप्ताह पहले 15 अगस्त को तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर कब्जा जमा लिया था और इस कारण राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़कर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जाना पड़ा था।

‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से अपनी खबर में बताया कि सीआईए के निदेशक विलियम जे. बर्न्स ने सोमवार को काबुल में बरादर के साथ एक गुप्त बैठक की। खबर में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शीर्ष खुफिया एजेंसी के प्रमुख को काबुल भेजने का फैसला किया।

इसमें कहा गया है कि सीआईए ने तालिबान के साथ बैठक पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन चर्चा में संभावित रूप से अमेरिकी सेना के लिए अमेरिकी नागरिकों और अफगान सहयोगियों को अफ़ग़ानिस्तान से निकालने के लिए 31 अगस्त की समय सीमा शामिल थी।

हालांकि, तालिबान के एक प्रवक्ता ने सोमवार को अमेरिका और ब्रिटेन को युद्धग्रस्त देश से अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना की वापसी के लिए 31 अगस्त की समय सीमा बढ़ाने की मांग को लेकर चेतावनी दी थी।

तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध लगाने संबंधी कदम सार्थक साबित नहीं होगा: चीन

बीजिंग: अफ़ग़ानिस्तान के संकट और तालिबान के खिलाफ संभावित आर्थिक प्रतिबंधों पर चर्चा के वास्ते जी7 देशों की मंगलवार को प्रस्तावित बैठक से पहले चीन ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों को अतीत से सबक सीखना चाहिए और समझदारी से काम लेना चाहिए।

चीन ने कहा कि तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध लगाये जाने संबंधी कदम सार्थक साबित नहीं होगा।

जी7 देशों में ब्रिटेन के अलावा, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका हैं। जी7 देशों के नेताओं की मंगलवार को डिजिटल बैठक होगी जिसमें तालिबान के कब्जा करने के बाद अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पर चर्चा की जायेगी।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। जॉनसन ने बैठक से पहले कहा कि तालिबान को उसकी बातों से नहीं उसके काम से आंका जाएगा।

‘डाउनिंग स्ट्रीट’ ने कहा कि बैठक के दौरान, जॉनसन समूह (जी) सात के नेताओं से अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के साथ खड़े रहने और शरणार्थियों और मानवीय सहायता को मजबूत करने का आह्वान करेंगे।

तालिबान पर नए प्रतिबंध लगाने की जी7 नेताओं की योजना पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रतिबंध लगाने और दबाव बनाने से समस्या का समाधान नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘‘अफ़ग़ानिस्तान एक स्वतंत्र, संप्रभु राष्ट्र है। अमेरिका और उसके सहयोगियों को अतीत से सबक सीखना चाहिए और अफ़ग़ानिस्तान से संबंधित मुद्दों पर समझदारी से काम लेना चाहिए।’’

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘किसी भी तरह के सख्त प्रतिबंध और दबाव बनाने से समस्या का समाधान नहीं होगा। हमारा मानना है कि अफ़ग़ानिस्तान में शांति और पुनर्निर्माण को आगे बढ़ाते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सोचना चाहिए कि लोकतंत्र के बहाने सैन्य हस्तक्षेप को कैसे रोका जाए।’’

पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान में शांति के लिए तालिबान के साथ ‘समावेशी’ राजनीतिक समझौते की बात कही

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने मंगलवार को कहा कि अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद युद्ध से जर्जर देश में शांति और स्थिरता के लिए समावेशी राजनीतिक समझौता सर्वोत्तम मार्ग है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस दिशा में सभी प्रयासों का पूर्ण समर्थन करता है।

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, शाह महमूद कुरैशी ने अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पर रूस के विदेश मंत्री सेरगी लावरोव के साथ फोन पर बातचीत में उक्त टिप्पणी की।

बयान के अनुसार, कुरैशी ने लावरोव से कहा कि शांतिपूर्ण और स्थिर अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

बयान के अनुसार, कुरैशी ने अफ़ग़ानिस्तान में बदलते हालात के कारण पैदा हो रही चुनौतियों पर क्षेत्रीय देशों के साथ सलाह-मशविरा की दिशा में पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कदमों से लावरोव को अवगत कराया।

बयान के मुताबिक, कुरैशी ने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान में फंसे विदेशी नागरिकों को वहां से निकालने में पाकिस्तान मदद कर रहा है।

कुरैशी के मंगलवार को उज्बेकिस्तान रवाना होने की संभावना है। इस यात्रा के दौरान वह ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईरान भी जाएंगे।

तालिबान को उसकी बातों से नहीं, कामों से आंका जाएगा: बोरिस जॉनसन

लंदन: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अफ़ग़ानिस्तान के संकट पर जी7 देशों की आपात बैठक की अध्यक्षता करने से पहले कहा कि तालिबान को उसकी बातों से नहीं उसके काम से आंका जाएगा।

डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा कि बैठक के दौरान, जॉनसन समूह (जी) सात के नेताओं से अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के साथ खड़े रहने और शरणार्थियों और मानवीय सहायता को मजबूत करने का आह्वान करेंगे। जी7 देशों में ब्रिटेन के अलावा, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका हैं।

जॉनसन ने कहा, “हमारी पहली प्राथमिकता, हमारे नागरिकों और पिछले 20 साल में हमारी कोशिश में मदद करने वाले अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को निकालना है, लेकिन जब हम अगले चरण की योजना बनाते हैं तो यह जरूरी हो जाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तौर पर हम साथ आएं और दीर्घावधि के लिए एक संयुक्त दृष्टिकोण पर सहमत हों।”

उन्होंने कहा, “इसलिए मैंने जी7 की आपात बैठक बुलाई है ताकि तत्काल संकट पर हमारी प्रतिक्रिया का समन्वय किया जा सके और अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की पुन:पुष्टि की जा सके।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “ हमारे साझेदारों और सहयोगियों के साथ मिल कर, हम हर मानवीय और राजनयिक प्रभाव का इस्तेमाल मानवाधिकारों और बीते 20 साल में हासिल उपलब्धियों की रक्षा करने के लिए कर सकते हैं। तालिबान को उसकी बातों से नहीं, उसके काम से आंका जाएगा।”

इस बीच जॉनसन ने बैठक से पहले सोमवार शाम को अफ़ग़ानिस्तान के संकट पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से बात की।

डाउनिंग स्ट्रीट के प्रवक्ता ने कहा, “उन्होंने काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से अपने नागरिकों और अपनी सरकारों के साथ काम करने वाले लोगों को तेजी से और सुरक्षित तरीके से निकालने के ब्रिटेन और अमेरिका के प्रयासों को समन्वित करने पर चर्चा की।”

जी7 की बैठक ऑनलाइन होगी जिसमें नाटो और संयुक्त राष्ट्र महासचिवों को भी आमंत्रित किया गया है।

तालिबान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में बर्बरता की ख़बरें मिली हैं : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख

जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैशलेट ने मंगलवार को कहा कि उन्हें अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में बर्बरता से संबंधित पक्की खबरें मिली हैं जिनमें आम लोगों और हथियार डाल चुके सुरक्षाकर्मियों को तत्काल मृत्युदंड दिए जाने तथा महिलाओं पर प्रतिबंध लगाना शामिल है।

उन्होंने मानवाधिकार परिषद से अफगानिस्तान में लोगों के अधिकारों से जुड़ी स्थिति पर निगरानी के लिए ‘‘साहसिक एवं ठोस कार्रवाई’’ करने का आग्रह किया।

बैशलेट ने कहा कि मानवाधिकार उल्लंघन की खबरों की जांच के लिए कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए और युद्धग्रस्त देश पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘इस निर्णायक घड़ी में, अफगानिस्तान के लोग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए मानवाधिकार परिषद की ओर देख रहे हैं।’’

बैशलेट ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में मानवाधिकारों से संबंधित स्थिति पर करीब से नजर रखने के लिए एक समर्पित तंत्र की स्थापना कर मैं परिषद से साहसिक एवं ठोस कार्रवाई करने का आग्रह करती हूं।’’

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान आम लोगों और हथियार डाल चुके सुरक्षाकर्मियों को तत्काल मृत्युदंड दिए जाने, बाल सैनिकों की भर्ती, महिलाओं के स्वतंत्रता के साथ घूमने और लड़कियों के स्कूल जाने पर रोक लगाने जैसे काम कर रहा है तथा शांति से प्रदर्शन करने वालों का दमन किया जा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र को सूचना उपलब्ध कराने वाली नॉर्वे की एक निजी खुफिया एजेंसी ने कुछ दिन पहले कहा था कि तालिबान ने ऐसे लोगों को काली सूची में डाल दिया है जिनके बारे में उसे लगता है कि उन्होंने पूर्वीवर्ती अफगानिस्तान सरकार तथा अमेरिका नीत बलों के लिए काम किया था। डर की वजह से अनेक अफगान लोग छिपे हुए हैं।

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