66 पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए

पूर्व सिविल सेवकों के एक समूह ने सोमवार को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नाम पत्र में लिखा कि लोगों का चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर भरोसा उठ रहा है। भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई)की स्वतंत्रता और इसकी संवैधानिक निकाय के तौर पर निष्पक्ष संचालन को सुनिश्चित करने की जरूरत है।11अप्रैल से शुरू होने वाले आम चुनावों को देखते हुए , सिविल सेवकों ने अपने पत्र में कहा कि आचार संहिता का कई बार उल्लंघन किया गया है और संस्था "कार्रवाई करने में विफल" रही है
सिविल सेवकों ने डीटीएच प्लेटफार्मों पर नमो टीवी के लॉन्च के संबंध में आचार संहिता के उल्लंघन के उदाहरणों का हवाला दिया। पत्र में अन्य उदाहरणों का हवाला दिया गया है जहां राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतीय सेना को "मोदी की सेना" करार दिया था, आयोग ने उनपर बहुत हल्की कार्रवाई की। उन्हें केवल "सावधानी बरतने " का निर्देश दिया था। एक अन्य उदाहरण में यह है कि ई.सी.आई. ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक उपग्रह-रोधी मिसाइल के सफल परीक्षण की राष्ट्र के नाम घोषणा में आदर्श आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं पाया था।पत्र में कहा गया है कि भाषणों में जिस तरह की भाष का प्रयोग हो रहा है, वह पूरी तरह से आचार संहिता का उलंघन है। यहां तक कि संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्ति किसी राजनितिक कार्यकर्ता की तरह बयान दे रहे हैं। यह बात राजस्थान के राज्यपाल, कल्याण सिंह के भाषण के संदर्भ में, पत्र में कह गयी है। उन्होंने कुछ ऐसे बयान दिए हैं जो एक विशिष्ट राजनीतिक पार्टी के लिए प्रचार करने की तरह लगती हैं, इसलिए उनसे उनके त्याग पत्र की मांग होनी चाहिए है | लेकिन इस पर आयोग चुप है |
सिविल सेवकों में शामिल हैं, दिल्ली के पूर्व राज्यपाल, नजीब जंग, आईएएस और आईपीएस अधिकारी जैसे वीपी राजा, सुरंजन पंत, नजीब जंग, चंद्रशेखर बालाकृष्णन अन्य लोगों ने मुख्य चुनाव आयुक्त (जिसे सार्वजनिक भी किया गया था) को राष्ट्रपति को लिखे जाने वाले पत्र से पहले संबोधित किया। मार्च 2019, चुनाव प्रक्रिया के समापन तक किसी भी मीडिया तंत्र के माध्यम से किसी भी राजनीतिक व्यवस्था पर सभी बायोपिक्स और प्रोपोगेंडा को रोकने के लिए ईसीआई को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।
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