1अप्रैल को महाराष्ट्र के हर ज़िले में तहसील कर्यालयों का घेराव करेंगे के किसान

1 जून को अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में महाराष्ट्र के लाखों किसान राज्य के हर ज़िले में तहसील कार्यालयों के दफ्तरों का घेराव करेंगे I ये विरोध प्रदर्शन पिछले साल महाराष्ट्र में हुए किसान आन्दोलन के एक साल के उपलक्ष में और किसानों की माँगे न माने जाने के खिलाफ किया जा रहा है I पिछले साल यानि 1 अप्रैल 2017 को महाराष्ट्र के पुणतांबा गाँव में किसानों ने एक बहुत बड़ी हड़ताल की थी जिसमें उन्होंने सब्ज़ी, दूध, पोल्ट्री के सामान और फलों की सप्लाई को रोक दिया था I इस हड़ताल ने बहुत जल्द ही ज़ोर पकड़ा और फिर ये नासिक, कोलापुर, अहमदनगर और शोलापुर में भी फ़ैल गयी I
8 अप्रैल को महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार ने किसानों के 34,022 करोड़ रुपयों का कर्ज़ माफ़ करने का वादा किया था, जिसके बाद हड़ताल को ख़त्म कर दिया गया थाI इस वादे को न निभाये जाने और पूरी कर्ज़ माफ़ी न किये जाने की वजह से किसान तब से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैंI इन्हीं प्रदर्शनों की कड़ी में इस साल मार्च के महीन में हुआ ऐतिहासिक “किसान लॉन्ग मार्च” भी शामिल है, जिसमें पूरे महाराष्ट्र के 40,000 से ज़्यादा किसानों ने मुंबई तक मार्च किया थाI इस मार्च ने महाराष्ट्र सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था और किसानों की सभी माँगों को लिखित में मान लिया थाI
किसान लम्बे अर्से से यह माँग कर रहे हैं कि किसानों के पूरे कर्ज़ माफ़ किये जायें, बिजली के बिल पूरी तरह माफ़ हों, कृषि उत्पादन का डेढ़-गुना दाम मिले, डेरी किसानों को दुग्ध उत्पादन का सही दाम मिले, Scheduled Tribes and Other Traditional Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights) Act को सही ढंग से लागू किया जाए और स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू किया जाएI
AIKS (अखिल भारतीय किसान सभा) के महाराष्ट्र सचिव अजित नवाले ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार के द्वारा बार-बार वादा करके न निभाए जाने की वजह से किसान अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं I अजित नवाले ने मार्च में हुए ऐतिहासिक “किसान लॉन्ग मार्च” को आयोजित करने के लिए एक अहम भूमिका निभाई थी I AIKS का दावा है कि 1 जून को होने वाले इस घेराव में पूरे महाराष्ट्र से 2 लाख़ किसान हिस्सा लेंगे और वह उम्मीद कर रहे हैं कि बाकि किसान संगठन भी इस आन्दोलन में शामिल होंगे I
न्यूज़क्लिक से बात करते हुए नवाले ने कहा “पिछले साल की हड़ताल और लॉन्ग मार्च के बाद सरकार ने किसानों के वादे मान लिए थे लेकिन उन्हें अब तक ज़मीन पर लागू नहीं किया गया है I इसके विरोध में महाराष्ट्र के हर ज़िले में किसान तहसील कार्यालयों का घेराव करेंगे I ये घेराव तब तक जारी रहेगा जब तब उनकी माँगे मान नहीं ली जाती I पुरानी माँगों के आलावा हम ये भी माँग कर रहे हैं कि तूर दाल के आयात को रोका जाए क्योंकि इससे किसानों का बहुत नुक्सान होगा I”
उन्होंने आगे बताया “दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने 1.5 लाख़ टन तूर दाल को आयत करने का फैसला लिया है इससे तूर के दाम बहुत कम हो जायेंगे और खासकर विदर्भ के किसानों को बहुत नुकसान होगा I इसके साथ ही डेरी किसान 5 अप्रैल को दुग्ध विकास मंत्री के घर के सामने दूध के सही दाम नहीं दिए जाने के विरोध में बड़ी मात्रा में दूध फेंकने का कार्य करेंगे I”
दरअसल भारत में महाराष्ट्र कृषि संकट का गढ़ बनकर उभरा है 1995 से 2014 तक इस राज्य में 60,750 किसानों ने कर्ज़ों के बोझ तले अपनी जाने दीं है I इसके बाद भी ये आकड़ा बढता ही रहा है 2014 में 2,568, 2015 में 3,228 और 2016 में 3,063 किसानों ने जाने दी I
महाराष्ट्र में भी सबसे ज़्यादा ख़राब स्थिति विदर्भ इलाके की रही है I कुल मरने वाले किसानों में से 70% इसी इलाके के 11 जिलों से आते हैं I यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में यहाँ किसानों का गुस्सा आन्दोलन के रूप में उभर कर आया है I किसान नेताओं को उम्मीद है कि लगातार ज़ोर पकड़ता ये आन्दोलन किसानों की भयावह समस्यायों के कुछ उपाय निकलेगाI
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