त्रासदी : यूपी और महाराष्ट्र में 5 कर्मचारियों की मौत

उत्तर प्रदेश के नोएडा और महाराष्ट्र के पालघर में अलग-अलग घटनाओं में पांच कर्मियों की मौत हो गई। पालघर के नालासोपारा में सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान दम घुटने से तीन मजदूरों की जान गई, जबकि नोएडा के सलारपुर गांव में सीवर लाइन खोलने के दौरान दो कर्मचारियों की मौत डूबने से हो गई।
महाराष्ट्र की पालघर पुलिस ने बताया कि हादसा शुक्रवार तड़के एक हाउसिंग सोसायटी नीलमोर इलाके के आनंद व्यू अपार्टमेंट में हुआ।
पालघर थाने के प्रवक्ता हेमंत काटकर ने कहा, ‘‘25 से 35 आयु वर्ग के तीन मजदूर सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए उसके अंदर गये थे। शायद जहरीली गैस से दम घुटने के कारण उनकी मौत हो गयी।’’
उन्होंने बताया कि अग्निशमन दल के कर्मियों और आपदा प्रबंधन इकाई की टीम ने शव बाहर निकाले। उन्हें पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया है।
काटकर ने कहा, ‘‘आठ व्यक्तियों के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया गया है।’’
नोएडा में दो सफाईकर्मियों की मौत
उत्तर प्रदेश के औद्योगिक नगर नोएडा के सलारपुर गांव में गुरुवार की रात सीवर लाइन को खोल रहे दो कर्मचारियों की मौत डूबने से हो गई।
सफाईकर्मियों की मौत की सूचना पाकर परिजन घटनास्थल पर पहुंचे और वहां उन्होंने जमकर हंगामा किया। यह क्षेत्र थाना सेक्टर 39 में आता है। मौके पर पहुंची पुलिस ने परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराया।
नगर पुलिस अधीक्षक सुधा सिंह ने बताया कि सलारपुर गांव में बंद पड़ी सीवर लाइन को खोलने का काम नोएडा प्राधिकरण का ठेकेदार करवा रहा था। दो कर्मचारी सीवर के गहरे गड्ढ़े में उतरकर जाम सीवर को खोलने के लिए पाइप से मिट्टी हटा रहे थे। जैसे ही कर्मचारियों ने बंद पाइप में से मिट्टी हटाई, तेज गति से पानी खाली पड़ी जगह में भर गया और दोनों कर्मचारी उसमें डूब गए।
उन्होंने बताया कि इस घटना में दोनों कर्मचारियों की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि देर रात को एनडीआरएफ की टीम गाजियाबाद से नोएडा पहुंची और दोनों के शवों को पानी से बाहर निकाला।
सिंह ने बताया कि दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि अगर मृतकों के परिजन इस मामले में ठेकेदार के खिलाफ शिकायत करते हैं तो घटना की रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच की जाएगी।
आपको बता दें कि पूरे देश में सीवर में मौतें काफी तेज़ी से बढ़ी हैं। जबकि देश में मैला प्रथा और सीवर या सैप्टिक टैंक में किसी भी व्यक्ति को उतारा जाना गैरकानूनी घोषित हो चुका है। बावजूद इसके ये काम धड़ल्ले से जारी है और कर्मचारियों को इसके लिए मजबूर किया जाता रहा है।
इसके विरोध में राजधानी दिल्ली समेत देशभर में लंबे समय से आंदोलन चल रहा है। पिछले साल 2018 के नवंबर में एक्टू (AICCTU) और सितंबर में सफाई कर्मचारी आंदोलन (SKA) ने “सफाई कर्मियों की हत्या बंद करो” “Stop Killing Sanitation Workers Mr. Modi !!” के नारे के साथ दिल्ली में बड़े कार्यक्रम किए। बावजूद इसके स्थिति में कोई बदलाव नहीं आ रहा। हां, चुनावी लाभ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसी साल मार्च में प्रयागराज (इलाहाबाद) कुंभ मेले में सफाईकर्मियों के पांव धोने का “अराजनीतिक” कार्यक्रम ज़रूर किया गया। मगर “इससे भी” सफाई कर्मियों की मौतें नहीं रुक पाईं हैं और न ही उनके परिवारों की जीवन दशा बदल पाई है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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