पी एस गोले ने सिक्किम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

गंगटोक : सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) के अध्यक्ष प्रेम सिंह तमांग ने सोमवार को सिक्किम के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।
पी एस गोले के नाम से लोकप्रिय तमांग को राज्यपाल गंगा प्रसाद ने यहां पलजोर स्टेडियम में शपथ दिलाई। उनके साथ एसकेएम के 11 विधायकों ने भी शपथ ली।
चुनाव नहीं लड़ने के कारण गोले इस समय राज्य विधानसभा के सदस्य नहीं हैं। शनिवार को उन्हें एसकेएम विधायक दल का नेता चुना गया था।
एसकेएम के, स्टेडियम में मौजूद हजारों समर्थकों ने नेपाली भाषा में शपथ ले रहे 51 वर्षीय पार्टी प्रमुख का उत्साहवर्द्धन किया।
पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के वरिष्ठ नेताओं ने शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा नहीं लिया।
2013 में गठित एसकेएम ने 32 सदस्यीय सिक्किम विधानसभा में 17 सीटें जीत कर स्पष्ट बहुमत हासिल किया है। एसडीएफ को 15 सीटों पर जीत मिली है।
एसकेएम ने 24 साल से अधिक समय से सत्तासीन चामलिंग सरकार को बेदखल किया है।
मंत्रियों के रूप में शपथ लेने वाले एसकेएम के 11 नेता क्रमश: कुंगा नीमा लेप्चा, सोनम लामा, बेदु सिंह पंथ, डॉ मणि कुमार शर्मा, अरुण कुमार उप्रेती, संदुप लेप्चा, लोक नाथ शर्मा, मिंगमा नोरबू शेरपा, कर्मा लोडय भूटिया, भीम हैंग लिम्बो और संजीत खरेल हैं।
कुल तीन महिलाओं ने चुनाव में जीत हासिल की है। इनमें से एक महिला प्रत्याशी ने एसकेएम के टिकट पर जीत दर्ज की है। बहरहाल, गोले के मंत्रिमंडल में कोई महिला प्रतिनिधि नहीं है।
सिक्किम में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की अधिकतम संख्या 12 हो सकती है।
कौन हैं गोले?
चामलिंग के नेतृत्व वाले सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के संस्थापक सदस्य रहे गोले ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत कर 2013 में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा बनाई। उन्होंने एसडीएफ पर भ्रष्टाचार और कुशासन का आरोप लगाया था।
गठन के अगले ही साल 2014 के विधानसभा चुनावों में एसकेएम ने 10 सीटें जीतीं।
हालांकि, भ्रष्टाचार के एक मामले में अपनी दोषसिद्धि के मद्देनजर चुनाव अधिकारियों द्वारा नामांकन खारिज किए जाने के डर से गोले ने इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया।
नेपाली माता-पिता कालू सिंह तमांग और धान माया तमांग के पुत्र गोले का जन्म पांच फरवरी 1968 में हुआ था। गोले ने दार्जिलिंग के एक कॉलेज से स्नातक किया और एक सरकारी स्कूल में शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया।
समाज सेवा के लिए उन्होंने तीन साल की सेवा के बाद सरकारी नौकरी छोड़ दी और बाद में एसडीएफ में शामिल हो गये।
गोले की तीन दशक की राजनीतिक यात्रा घटनापूर्ण रही है। वह 1994 से लगातार पांच बार सिक्किम विधानसभा के लिए चुने गए और 2009 तक एसडीएफ सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया।
एसडीएफ सरकार के चौथे कार्यकाल (2009-14) के दौरान चामलिंग ने उन्हें मंत्री पद देने से इंकार कर दिया इसके बाद गोले ने पार्टी छोड़ दी और अपना दल बनाया। उन्होंने सभी एसडीएफ के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और एसकेएम प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी संभाली।
2016 में, गोले को 1994 और 1999 के बीच सरकारी धन की हेराफेरी करने के लिए दोषी ठहराया गया था और बाद में विधानसभा में उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी।
51 वर्षीय गोले राज्य के पहले ऐसे राजनेता थे जिन्हें सजा मिलने के बाद विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था।
उन्होंने सिक्किम उच्च न्यायालय में फैसले को चुनौती दी जिसने निर्णय को बरकरार रखा जिसके कारण गोले को समर्पण करना पड़ा।
2018 में, जब गोले जेल से बाहर निकले तो उनके हजारों समर्थकों ने उनका स्वागत किया और अपने नेता के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करते हुए जुलूस निकाला।
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