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श्रम कानून के उल्लंघन की रिपोर्ट के साथ एक्टू ने जारी किया मज़दूरों का घोषणापत्र

एक्टू की प्रेस कांफ्रेंस में दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में चल रहे श्रम कानूनों के उल्लंघन पर विस्तार से चर्चा की गयी तथा मजदूरों का मांग-पत्र जारी किया गया। कहा गया कि 'अच्छे दिन' का वादा करके मोदी सरकार ने इस देश की मेहनतकश जनता को सिर्फ नोटबन्दी, महंगाई और बेरोजगारी की मार दी है।

WORKERS CHATER

लोकसभा 2019  चुनावों से पहले दिल्ली में ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (AICCTU) ने  श्रमिकों की मांगों के 13 बिंदु चार्टर के साथ दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में श्रम कानूनों के उल्लंघन पर एक रिपोर्ट जारी की। 

मंगलवार को दिल्ली के इंडियन वीमेन प्रेस कॉप्र्स में हुई एक्टू की प्रेस कांफ्रेंस में दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में चल रहे श्रम कानूनों के उल्लंघन पर विस्तार से चर्चा की गयी तथा मजदूरों का मांग-पत्र जारी किया गया। कहा गया कि 'अच्छे दिनका वादा करके मोदी सरकार ने इस देश की मेहनतकश जनता को सिर्फ नोटबन्दीमहंगाई और बेरोजगारी की मार दी  है। 

इस मौके पर एक्टू दिल्ली के राज्य सचिव अभिषेक ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने मज़दूरों से वादाखिलाफी की है। उनकी मज़दूर और गरीब विरोधी नीति कारण दिल्ली के मज़दूरों की हालत बद से बदतर हो गई है। मोदी सरकार ने मज़दूरों को  'अच्छे दिनका वादा किया था लेकिन पिछले पाँच साल में  श्रम अधिकारों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन और श्रमिकों के अधिकारों में कटौती से  उनकी जिंदिगी और खराब हो गई है। नोटबन्दी और जीएसटी के झटके ने मज़दूरों और समाज के सबसे अधिक हाशिये वाले अन्य तबकों पर कहर ढाया  है। इधर दिल्ली मेंनिर्वाचित सरकार के पास श्रमिकों की दुर्दशा को ठीक करने के लिए कोई वास्तविक शक्तियां नहीं हैं 

 अभिषेक ने दावा किया कि यही सब वजह हैं कि मज़दूरों ने  केंद्र में फासीवादी सरकार के खिलाफ वोट करने का संकल्प लिया है। ऐसे समय में जब कुछ मालिकों  के लाभ के लिए दर्जनों श्रमिकों को राष्ट्रीय राजधानी के कारखानों में जिंदा जला दिया जाता हैइस चार्टर को जारी करने ऐसे मज़दूरों को एकजुट होकर आवाज़ उठाना  जरूरी है। 

एक्टू दिल्ली के अध्यक्ष संतोष रॉय ने कहा, "देश ने पिछले पांच वर्षों में भयंकर अंधेरे का युग देखा है- अपने खान-पान तक के लिए लोग सड़कों पर दिन के उजाले में मारे गए हैं। सुरक्षा के लिए पूरी सरकारी मशीनरी तैनात है लेकिन दंगाइयों और नफरत फैलाने वालों के साथ। अंबानी और अडानी और अधिक अमीर हो रहे हैंजबकि जनता बेरोजगारी और गरीबी के कारण पीड़ित है। क्रॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि "देश की मेहनतकश जनता को धर्म के नाम पर लड़ाने वाली भाजपा सरकार को देश का मज़दूर उखाड़ फेंकेगा."

 

प्रेस कॉन्फ्रेंस को एक्टू की दिल्ली सचिव श्वेता राज और अधिवक्ता सूर्य प्रकाश ने भी संबोधित किया। इस मौके पर विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों के ट्रेड यूनियन नेता भी मौजूद थे।

 

इस मौके पर एक मज़दूर चार्टर जारी किया गया। जिसमें रखी गई मांगें इस प्रकार हैं: -

 

1. नफरत-हिंसा की राजनीति पर तुरंत रोक लगाओदंगाइयों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करो।

2. सभी के लिए सम्मानजनक रोज़गार की गारंटी करो। ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगाओ।

3. महंगाई पर रोक लगाओसभी मज़दूरों के लिए आवासजन परिवहनस्वास्थ्य व शिक्षा की व्यवस्था करो। मेट्रो भाड़ा बढ़ोतरी वापस लोपेट्रोल-डीजलएल पी जीके बढ़ते दाम पर रोक लगाओ।

4. श्रम कानूनों में मज़दूर विरोधी परिवर्तन वापस लो।

5. दिल्ली के सभी औद्योगिक क्षेत्रों में तय न्यूनतम वेतन लागू करो। न्यूनतम वेतन 26, 000 प्रति माह करो।

6. सभी कारखानों का सर्वेक्षण करोव सभी श्रम-कानून उल्लंघनों को संज्ञान में लो।

7. 45 दिनों के अंदर ट्रेड यूनियन पंजीकरण की प्रक्रिया को पूरा करो। ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हमला बन्द करो।

8. मजदूरों की स्थिति में सुधार के लिए श्रम अधिकारियों तथा श्रम मंत्रियों के साथ ट्रेड यूनियनों की नियमित बैठक बुलाई जाय।

9. श्रम-विभागों की स्थिति में सुधार लाया जाएउन्हें और मजबूत किया जाए। श्रम-इंस्पेक्टर की तुरन्त बहाली हो और श्रम कानूनों के उल्लंघन पर रोक लगाई जाए।

10. मजबूर के लिए सुलभ तथा भ्रष्टाचार मुक्त श्रम विभाग हो।

11. श्रम कानूनों का कड़ाई से पालन हो तथा उसका उल्लंघन करने पर कड़ी सज़ा दी जाए।

12. महिला मजदूरों के लिए सम्मानजनक रोजगार की गारंटी की जाए। महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव पूर्ण व्यवहार तथा यौन-हिंसा की घटनाओं पर रोक लगाई जाए तथा सभी कार्य-क्षेत्रों में विशाखा जजमेंट का कड़ाई से पालन हो।

13. प्रवासी मजदूरों के साथ होने वाले भेदभाव पूर्ण व्यवहार पर रोक लगायी जाए तथा प्रवासी मजदूरों के पक्ष में बने कानूनों को कड़ाई से लागू किया जाए।

 

 

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