महाराष्ट्र फसल ऋण: सरकार और बैंक के बीच गतिरोध किसानों को प्रभावित कर रहा है?

हाल के दिनों में राज्य ने सबसे ख़राब सूखे की मार झेली है और इस दौरान आयी मानसून की बारिश ने महाराष्ट्र के लाखों किसानों को राहत दे दी है। अब वे राज्य सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं ताकि वे कम से कम दो साल के वित्तीय ठहराव को पार कर सकें। इस मदद के एक हिस्से के तौर पर खरीफ़ के मौसम के लिए उन्हें सहज ऋण मुहैया कराना होगा।
हालांकि, बैंकों ने आज तक ऋण वितरण करने के अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं किया है।
हर खरीफ़ सीज़न के आने से पहले, मुख्यमंत्री पूरी की पूरी वित्तीय मशीनरी के साथ एक बैठक करते हैं। सीएम फडनवीस ने इस साल के जून में एक ऐसी ही बैठक की थी और निजी और सरकारी दोनों ही बैंकरों से अपील की थी कि वे कृषि में ऋण वितरण के लक्ष्य को पूरा करने की पूरी कोशिश करें। इस वर्ष के लिए, यह लक्ष्य 71,762 करोड़ रुपये था, इसमें से 30,778 करोड़ रुपये केवल राष्ट्रीयकृत बैंकों को देना था और 27,918 करोड़ रुपये निजी बैंक को देना था साथ ही 13,066 करोड़ रुपये ज़िला सहकारी बैंकों को दिए जाने थे।
हालांकि न्युज़क्लिक ने सूत्रों से पता लगाया है कि विशाल 71,762 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुक़ाबले, अभी तक केवल 25,944 करोड़ रुपये ही क़र्ज़ के रूप में वितरित किए गए हैं, जो कि लगभग कुल लक्ष्य का 36 प्रतिशत ही है। राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा सबसे ख़राब प्रदर्शन रहा है, उन्होंने केवल 5,331 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया है – जो उनके लक्ष्य का मात्र 14 प्रतिशत ही बैठता है। वाणिज्यिक बैंक केवल 4,899 करोड़ रुपये के ऋण वितरण को ही हासिल करने में कामयाब रहे हैं, जो उनके कुल वितरण लक्ष्य का मात्र 17 प्रतिशत है। हालांकि, 7,641 करोड़ रुपये का ऋण देकर, जिला सहकारी बैंकों ने 58 प्रतिशत के लक्ष्य को हासिल किया है – जो कम से कम राष्ट्रीयकृत और वाणिज्यिक बैंकों की तुलना में काफ़ी बेहतर प्रदर्शन है।
किसानों को क़र्ज़ देने में पीछे रह जाने की एक वजह यह भी है कि इस दौरान उन क़र्ज़ो के ब्याज की माफ़ी है जिसे राज्य सरकार द्वारा ऋण माफ़ी योजना के तहत माफ़ किया गया है। महाराष्ट्र सरकार ने जून 2016 में 34,022 करोड़ रुपये की ऋण माफ़ी की घोषणा की थी। इस योजना को अभी तक आधिकारिक रूप से बंद नहीं किया गया है, क्योंकि सभी किसानों को अभी तक इसका लाभ नहीं मिला है। लेकिन बैंक राज्य सरकार से इन ऋणों पर ब्याज की राशि जमा करने के लिए कह रहे हैं। यह ब्याज ऋण माफ़ी की घोषणा की तारीख़ और वास्तव में ऋण राशि माफ़ करने की तारीख़ के बीच की अवधि को लेकर गतिरोध है। जैसे ही राज्य सरकार ने बैंकों से योजना में अपना हिस्सा बढ़ाने के लिए कहा है, दोनों पक्षों के बीच गतिरोध से किसानों के हितों को नुक़सान पहुंच रहा है।
इस बीच, राज्य के विपणन और सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख ने वाणिज्यिक और राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा उठाए गए क़दम पर सार्वजनिक रूप से असंतोष व्यक्त किया है।
मंत्री सुभाष देशमुख ने कहा, “यह सच है कि कुछ राष्ट्रीयकृत बैंक ऋण प्रक्रिया पर अड़े हुए हैं। राज्य सरकार ऋण वितरण और ऋण प्रस्तावों की मंज़ूरी का दैनिक पालन कर रही है। लेकिन हम बैंकों से अपील करते हैं कि वे राज्य के बड़े हित को ध्यान में रखते हुए किसानों पर भी ध्यान दें और ऋण वितरण की प्रक्रिया को तेज़ करें।"
सूत्रों के मुताबिक़, सीएम फडणवीस ने भी बैठक में बैंकर्स को ऋण के प्रस्तावों को मंज़ूरी न देने के लिए फटकार लगाई है। उन्होंने ज़िला कलेक्टरों को आदेश भी जारी किए हैं, जिसमें किसानों को फसल ऋण देने से मना करने वाले बैंकों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। इसके बावजूद, जुलाई के दूसरे सप्ताह में ऋण वितरण संतोषजनक नहीं रहा है।
किसान नेताओं ने राज्य सरकार को इस तबाही के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है।
संसद के पूर्व सदस्य और किसानों के नेता राजू शेट्टी ने कहा, “सरकार को यह स्वीकार करना चाहिए कि ऋण माफ़ी योजना ने भारी गड़बड़ी की है। किसानों का एक बड़ा हिस्सा पहले से ही इस योजना से लाभान्वित नहीं हो पाया है। राज्य सरकार को मानसून से पहले इन मुद्दों को साफ़ कर देना चाहिए था ताकि सही वक़्त पर किसानों की मदद की जा सके। यह बेहतर होता अगर सरकार अब ज़िलेवार दिए गए ऋण की संख्याओं की घोषणा करती है और कुल प्रस्तावित और भुगतान/माफ़ किए गए ऋणों का अनुपात देती है।"
अखिल भारतीय किसान सभा के राज्य सचिव डॉ. अजीत नवले ने कहा कि किसानों के हितों की ज़िम्मेदारी राज्य सरकार को लेनी चाहिए।
डॉ. अजीत नवले ने आगे कहा, “सरकार ने 34,000 करोड़ रुपये की ऋण माफ़ी की घोषणा की थी। अब तक, इस योजना पर ख़र्च की गई कुल राशि 15,000 से 17,000 करोड़ रुपये के बीच है। तो, सरकार के पास बाक़ी पैसा ब्याज पर ख़र्च करने के लिए है। बैंकर्स पर उंगली उठाकर राज्य सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से भागने की कोशिश कर रही है। सरकार का यह रवैया आख़िरकार राज्य के किसानों को प्रभावित कर रहा है। इसलिए, हम ऋण की तत्काल मंज़ूरी की मांग करते हैं, ताकि किसानों को आगे ज़्यादा इंतज़ार न करना पड़े।"
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