इस बार के डूसू चुनाव में क्या था नया?

जैसा की हमने डूसू चुनाव से पूर्व में आपको बताया था की इसबार चुनाव की शुरुआत वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार पर नामांकन करने के दौरान हमले के साथ हुई और सोमवार को प्रचार के अंतिम दिन, शाम को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP)के उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार शक्ति सिंह और उनके समर्थकों के द्वारा विश्वविद्यालय के ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज (संध्या ) में तांडव के साथ ही चुनाव प्रचार का अंत हुआ था और ये गुरुवार 13 सितंबर 2018 जिस दिन मतगणना हुई तब तक जारी रहा | मतगणना के बिच में ABVP और NSUI के बिच मतगणना परिसर के भीतर ही झड़प हुई , दोनों ही संग्ठन के लोगो ने वहाँ लगे शीशों को भी तोड़ और लगतार वहाँ हंगामा करते रहे |
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने अध्यक्ष समेत तीन पदों पर कब्जा कर लिया। कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई को केवल एक पद से संतोष करना पड़ा है। इस बार चुनाव में मतदान पिछले वर्ष की तुलना में मामूली बढ़ोतरी हुई मतदान 43% से बढ़कर 44.5% हुआ |
इस बार किसे कितना मत मिला :-
अध्यक्ष |
उपाध्यक्ष
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सचिव
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सह –सचिव |
अंकिव बसोया ABVP- 20,457 सन्नी NSUI- 18,723 अभिज्ञान AISA-8090 NOTA-3211
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शक्ति सिंह ABVP- 23,046 लीना NSUI- 15,000 अंशिका AISA-7329 NOTA-6445
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आकाश चौधरी NSUI- 20,198 सुधीर ABVP- 14,109 चिंतामणीदेव CYSS -4582 NOTA- 6807
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ज्योति चौधरी ABVP- 19,353 सौरभ NSUI- 14,381 शन्नीतंवर CYSS-9199 NOTA-8290
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इस चुनाव में एकबार फिर से EVM मशीन चर्चा के केंद्र में रही। कल मतगणना के दौरान छह EVM मशीनें खराब हो गईं थीं। इसे लेकर एनएसयूआइ और अन्य छात्र संगठनों ने जमकर हंगामा किया था। जब चुनाव अधिकारी ने मतगणना को पहले पूरे दिन के लिए टालने की घोषणा की परन्तु छात्र संगठनों के विरोध और हंगामे के बाद एक बार फिर करीब पांच घंटे बाद सभी छात्र संगठनों को बातचीत कर दोबारा मतगणना शुरू हुई।
इसके अतिरिक्त भी इस चुनाव में कई और ऐसी घटनाएँ हुई जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा, आपको यह याद करने में बहुत मुश्किल होगी की डीयू का अंतिम बार कब रिजल्ट रात के 10 बजे आया। दूसरा हमेशा ही डूसू में गुर्जर और जाट के बीच ही मुक़ाबला होता था परन्तु इसबार ऐसा नहीं हुआ। इन सब के अतिरिक्त इसबार डूसू में अपने आपमें एक नया गठबन्धन देखा और NOTA की भी खास भूमिका रही।
डूसू रिजल्ट आने में रात के 10 बजे
आमतौर पर हर वर्ष डूसू का रिजल्ट दोपहर 11 बजे तक सबके सामने आ जाता था। कल भी सबको यही उम्मीद थी और सुबह से गिनती जिस गति से हुई लग रहा था कि रिजल्ट में एक से दो घंटे देर हो सकती है, परन्तु जैसे ही 6 राउंड की गिनती पूरी हुई, ईवीएम में गड़बड़ी सामने आई इसके बाद चुनाव अधिकारी ने घोषणा की आज के लिए गिनती रोकी जा रही और शुक्रवार को दुबारा शुरू होगी| इसी को लेकर हंगामा शुरू हुआ, जिसके बाद चुनाव अधिकारी ने दुबारा मतगणना का काम 6 बजे शाम को शुरू किया| अंत में चुनाव का परिणाम रात के तकरीबन 10 बजे आया |
पूर्वांचल सेंटिमेंट का प्रयोग
डूसू में हमेशा ही जाट और गुर्जर के नाम पर मतदान होता रहा है क्योंकि दिल्ली ज़्यादातर जाट और गुर्जर समुदाय के गांवों से घिरा हुआ है। इसलिए, उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। बाहरी लोग कॉलेज की अधिकांश राजनीति को नियंत्रित करते हैं और भीड़ के लिए लोग हरियाणा और राजधानी के ग्रामीण बेल्ट से बुलाए जाते रहे हैं |
परन्तु इसबार जाट और गुर्जर समीकरण के अलवा ABVP ने पूर्वांचल कार्ड खेला या फिर यह कहें कि जाट और गुर्जर बाहुबलियों के मध्य एक पर्वांचल के बाहुबली को लड़ाने का निर्णय लिया जिसमें उसे सफलता भी मिली और उसके उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार यूपी के बलिया से शक्ति सिंह जो तकरीबन 7000 के ऐतिहासिक अंतर से विजय हुए|
परन्तु कई लोगों का मानना है की ये डीयू की छात्र राजनीति के लिए ठीक नहीं है, जिस तरह की हिंसा और गुंडागर्दी शक्ति सिंह और उनके समर्थकों की ओर से इस चुनाव में की गई उसने डूसू जो पहले से ही हिंसा के लिए बदनाम रहा है उसमें एक और नया अध्याय जोड़ दिया|
CYSS और AISA गठबंधन
माना जा रहा है था कि AISA और आम आदमी पार्टी के छात्रसंगठन CYSS का गठबंधन इस चुनाव में एबीवीपी और एनएसयूआई के सामने कड़ी चुनौती पेश करेगा। मगर ऐसा नहीं हुआ। AISA-CYSS गठबंधन तो नोटा से ही मुकाबला करता रह गया। आलम यह रहा कि आम आदमी पार्टी के छात्र संगठन CYSS के दो प्रत्याशियों को मिले कुल मत नोटा को मिले वोटों से भी कम रहा है। इस नए गठबंधन को उम्मीद थी कि एबीवीपी और एनएसयूआई से नाराज विद्यार्थी नोटा की जगह गठबंधन को वोट देंगे|
NOTA की भूमिका:- चार पदों पर नोटा को कुल 27739 वोट मिले जो ABVP और NSUI के बाद सबसे अधिक वोट लेने वाल पैनल बनकर उभरा है | हालांकि पिछले साल भी नोटा को करीब 27000 हजार वोट मिले थे। इससे साफ देखा जा रहा है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों में नोटा का प्रति रुझान स्थायी रूप से बना हुआ है।
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