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JNU छात्र संघ चुनाव: कड़े मुक़ाबले के बाद भी वाम का गढ़ बरक़रार

JNUSU के चुनाव में वामपंथी गठबंधन ने तीन प्रमुख पदों पर जीत हासिल की है, जबकि ABVP ने नौ वर्ष बाद बाद केंद्रीय पैनल में वापसी की है।
JNUSU
JNUSU के तीन अहम पदों पर जीते वाम उम्मीदवार

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) 2024-25 के चुनाव परिणामों की घोषणा हो चुकी है। इस चुनाव में वामपंथी गठबंधन ने तीन प्रमुख पदों पर जीत हासिल की है, जबकि ABVP ने नौ वर्षों के अंतराल के बाद केंद्रीय पैनल में वापसी की है।​ 

 JNUSU केंद्रीय पैनल के चुनाव परिणाम:

  • अध्यक्ष (President): नितीश कुमार (AISA) — 1,702 वोट
     
  • उपाध्यक्ष (Vice-President): मनीषा (DSF) — 1,150 वोट
     
  • महासचिव (General Secretary): मुंतेहा फातिमा (DSF) — 1,520 वोट
     
  • संयुक्त सचिव (Joint Secretary): वैभव मीणा (ABVP) — 1,518 वोट़

इन चुनावों ने कई सबक़ दिए हैं। सबसे अहम सबक़ तो वामपंथी संगठनों के लिए है, क्योंकि इस बार उसमें एका नहीं हो पाया। और दो प्रमुख वामपंथी छात्र संगठन अलग-अलग गठबंधन और पैनल बनाकर लड़े। 

वामपंथी गठबंधन में इस बार All India Students' Association (AISA) और Democratic Students' Federation (DSF) ने मिलकर चुनाव लड़ा, जबकि Students' Federation of India (SFI) ने AISF, BAPSA और PSA के साथ गठबंधन किया। SFI का गठबंधन इस बार एक भी सीट हासिल नहीं कर पाया। जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) सभी तीन सीटों पर मुख्य मुकाबले में रहा। और संयुक्त सचिव की सीट भी कब्ज़ा ली। AISA गठबंधन को उसने कड़ी चुनौती पेश की। जबकि जेएनयू को वाम का गढ़, वाम का ‘क़िला’ कहा जाता है। लेकिन ABVP ने इस बार इस ‘लाल क़िले’ में जिस तरह सेंध लगाई है। उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। बल्कि इसे शानदार ही कहा जाएगा। यही वजह है कि ABVP अपनी हार में भी जीत देख रहा है। 
ABVP के वैभव मीणा की जीत 2015-16 के बाद पहली बार है जब संगठन ने केंद्रीय पैनल में स्थान प्राप्त किया है। इससे पहले ABVP ने 2000-01 में अध्यक्ष पद जीता था।​

ABVP ने इस बार 42 में से 23 काउंसलर सीटें भी जीतीं, जो 1999 के बाद से उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
जेएनयू छात्र के चुनाव 25 अप्रैल को हुए थे, जिसमें लगभग 70 प्रतिशत छात्रों ने मतदान किया था।
हालांकि इसका दूसरा पहलू भी है कि विभाजित वाम संगठनों के बावजूद उनकी वापसी कोई कम महत्वपूर्ण नहीं है। AISA के हिसाब से विभाजन के बावजूद ABVP को मुंह की खानी पड़ी है और वह वाम को नहीं हरा पाया। SFI भी इस बात से संतोष व्यक्त कर रहा है कि– चलो, वाम संगठन ही लौटे, ABVP नहीं जीत पाई। SFI की अध्यक्ष पद की प्रत्याशी तैयबा अहमद को कुल 918 वोट मिले।

वाम छात्र संगठनों में इस बार एकता न होने के कई आपसी मतभेद बताए जा रहे हैं। हालांकि एकता के लिए अंत तक प्रयास हुए। 

वाम छात्रों की दृष्टि से कहा जा सकता है कि अंत भला तो सब भला। लेकिन उन्हें समझना होगा कि इस बार वे बाल-बाल बचे हैं। जेएनयू कैंपस पर वामपंथी गठबंधन ने अपनी पकड़ मजबूत तो रखी है, लेकिन ABVP ने जिस तरह ‘वापसी’ की है, वह जेएनयू की छात्र राजनीति के लिए नई संभावनाओं का पता दे रहा है।​

JNUSU

केंद्रीय पैनल का अंतिम रिजल्ट इस प्रकार है–

JNUSU Central Panel

JNUSU के नव निर्वाचित अध्यक्ष नितीश कुमार (AISA) ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि उनकी प्राथमिकता छात्रों के मुद्दे उठाना और उनके कल्याण के लिए संघर्ष करना रहेगा। ख़ासतौर पर केंद्र द्वारा विश्वविद्यालय के फंड में जो कटौती की गई उसे वापस पाने के लिए संघर्ष किया जाएगा। उन्होंने ABVP को भी चेताया कि अगर उनका संयुक्त सचिव जेएनयू या उसके जनादेश ख़िलाफ़ जाएगा तो पूरा पैनल उसके ख़िलाफ़ मज़बूती से खड़ा होगा। 

 

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